अक्षय नवमी पर आंवला वृक्ष की हुई पूजा
दुमका दुमका के शहरी व ग्रामीण इलाके के अलावा खासकर बासुकीनाथ बाबा के दरबार में मंगलवार को काíतक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भक्तों के द्वारा धात्रीवृक्ष आंवला वृक्ष का नियम निष्ठा पूर्वक पूजन किया गया। भक्तों के द्वारा पूरी नेम निष्ठा के साथ आंवला वृक्ष की पूजा की गई एवं आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राह्माणों को भोजन कराया गया।
दुमका : दुमका के शहरी व ग्रामीण इलाके के अलावा खासकर बासुकीनाथ बाबा के दरबार में मंगलवार को काíतक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भक्तों के द्वारा धात्रीवृक्ष आंवला वृक्ष का नियम निष्ठा पूर्वक पूजन किया गया। भक्तों के द्वारा पूरी नेम निष्ठा के साथ आंवला वृक्ष की पूजा की गई एवं आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राह्माणों को भोजन कराया गया। देर रात्रि तक भक्तों ने स्वयं एवं अपने सगे संबंधियों के साथ आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर ग्रहण किया। दुमका शहर में हरिसभा मंदिर परिसर में आंवला पेड़ की पूजा महिलाओं ने किया। बासुकीनाथ स्थित दारूक वन में आंवला वृक्ष के नीचे सैकड़ों स्थानीय भक्तों ने विधिवत पूजन किया।
जामा प्रखंड अंतर्गत लकड़ापहाड़ी जामा, महारो, लक्ष्मीपुर, बारापलासी आदि गांव में आंवला वृक्ष की पूजा कर महिलाओं ने अक्षय नवमी पर्व मनाया। इस अवसर पर अक्षय नवमी का व्रत रखा गया। मान्यता है कि इस पर्व को मनाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। व्रत करनेवाली महिलाएं आस्था का प्रतीक आंवला वृक्ष की पूजा करते हैं और परिवार की सुख समृद्धि की कामना करते हैं। आंवले में बहुत सी बीमारियों से लड़ने की ताकत होती है, यहां तक कहा जाता है कि आंवले को अमृत्व प्राप्त है। कहा जाता है कि आंवले के नीचे भोजन करने से बीमारियों से छुटकारा मिलता है और शरीर स्वस्थ रहता है।