अमावस्या श्राद्ध के साथ ही पितृपक्ष का समापन आज
बासुकीनाथ आश्विन मास के कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से प्रारंभ पितृपक्ष का शनिवार को आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को समापन हो जाएगा। इसके पूर्व 15 दिनों से पितृपक्ष के अवसर पर बासुकीनाथ स्थित शिव गंगा तट पर पितरों को याद कर जल तर्पण करनेवालों की भीड़ उमड़ रही है। इसमें मृत पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता जताते हुए उनके वंशजों के द्वारा तर्पण किया गया। बासुकीनाथ मंदिर के पंडा मणिकांत झा उर्फ मन्नौ बाबा एवं पंडित आशुतोष बाबा ने बताया कि पितृपक्ष में तर्पण करने से पूर्वज तृप्त होते हैं एवं अपने वंशजों को फलने फूलने का आशीर्वाद देकर वापस लौट जाते हैं। इसके अलावा संन्यासी यति वैष्णव आदि का तर्पण उनके वंशजों व अनुयायियों द्वारा किया गया।
बासुकीनाथ : आश्विन मास के कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से प्रारंभ पितृपक्ष का शनिवार को आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को समापन हो जाएगा। इसके पूर्व 15 दिनों से पितृपक्ष के अवसर पर बासुकीनाथ स्थित शिव गंगा तट पर पितरों को याद कर जल तर्पण करनेवालों की भीड़ उमड़ रही है। इसमें मृत पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता जताते हुए उनके वंशजों के द्वारा तर्पण किया गया। बासुकीनाथ मंदिर के पंडा मणिकांत झा उर्फ मन्नौ बाबा एवं पंडित आशुतोष बाबा ने बताया कि पितृपक्ष में तर्पण करने से पूर्वज तृप्त होते हैं एवं अपने वंशजों को फलने फूलने का आशीर्वाद देकर वापस लौट जाते हैं। इसके अलावा संन्यासी, यति, वैष्णव आदि का तर्पण उनके वंशजों व अनुयायियों द्वारा किया गया। इसके अलावा भी ऋषि तर्पण पर भी साधु संन्यासियों का तर्पण किया गया था। बताया कि हिदू समाज में पितरों को याद कर जल तर्पण करने की परंपरा बहुत समय पहले से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि पितृपक्ष मानवीय कृतज्ञता का पर्व है। इसे श्रद्धा पर्व या श्राद्ध पर्व भी कहा जाता है। यह कर्मकांड आश्विन मास कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से प्रारंभ होकर कृष्ण पक्ष की समाप्ति अमावस्या तिथि तक चलता है। मान्यता है कि इसमें किया गया तर्पण कर्म मृत पूर्वजों को तृप्त करता है। पितृ पक्ष में शुभ कर्म करना वर्जित है। वहीं रविवार से देवी पक्ष के प्रारंभ होने के साथ ही सभी शुभ कर्मो का प्रारंभ हो जाएगा।