Investigation: समय पर ऑफिस नहीं आते बड़े साहब, बाबू तक मिले गायब Dhanbad News
अफसर खुद समय पर ऑफिस नहीं आते हैं। उनकी चमचमाती कुर्सियां कार्यालय की शोभा बढ़ा रही हैं। कई अफसरों के चैंबर में तो 10.30 बजे तक ताला लटका हुआ पाया गया।
धनबाद, जेएनएन। ये तो पब्लिक है सब जानती है। रोटी फिल्म का यह गाना सटीक बैठता है धनबाद जिला प्रशासन पर। जिसके कंधे पर जनता का बोझ है, उनकी समस्या सुनने वाले जिम्मेदार को जनता से कोई सरोकार नहीं है। जनता महंगाई की मार झेल रही है। कहीं जाम की समस्या से जूझ रही है तो कहीं रोजी रोटी की तलाश। ऐसे में जनता का दुख दर्द सुनने वाले सरकारी साहब ही नियमों का मजाक बना रहे हैं।
बुधवार को दैनिक जागरण ने जनता से सीधे जुड़े जिला प्रशासन कार्यालय में अधिकारियों की टोह ली। इस दौरान पाया गया कि अफसर खुद समय पर ऑफिस नहीं आते हैं। उनकी चमचमाती कुर्सियां कार्यालय की शोभा बढ़ा रही हैं। कई अफसरों के चैंबर में तो 10.30 बजे तक ताला लटका हुआ पाया गया। ऐसे में उन अफसरों के कार्यालय के अधीनस्थ बड़ा बाबू, क्लर्क, सुपरवाइजर क्या ड्यूटी करते होंगे यह तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकारी दफ्तर में आम जन अपनी समस्या लेकर घुमते दिखे। वे यह समझ सुबह ऑफिस आए होंगे कि 10 बजे सरकारी कार्यालय खुल जाएंगे। काम निपटाकर दूसरा काम करेंगे या फिर कड़ी धूप से बच जाएंगे। लेकिन साहबों की लेटलतीफी जनता की मुश्किल बढ़ा रही हैं। उनके आंसू पोछने वाला कोई नहीं।
बायोमेट्रिक्स में पकड़ी जाएगी लापरवाही : सरकार जनता की परेशानी दूर करने का लाख दावा कर ले, लेकिन हकीकत अभी भी वही है। जनता के पैसे से एसी व वाहनों का सुख लेने वाले अधिकारी व मातहतों का समय सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक्स लगाई गई ताकि उनकी चोरी पकड़ी जाए। बावजूद, सरकारी दफ्तर में कामचोरी धड़ल्ले से हो रही है। बायोमेट्रिक्स की जांच होने पर दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है।
10.40 तक की पड़ताल में नहीं आए अफसर, इक्का-दुक्का कर्मचारी दिखे : दैनिक जागरण की टीम सुबह 10.00 बजे डीसी ऑफिस पहुंची। सुबह 10.07 बजे एसओआर सह जिला सहकारिता पदाधिकारी संदीप कुमार दोराई बुरू चेंबर में नहीं थे। उससे सटकर ही उनका एक और विभाग है जिसमें ताला लटका हुआ था।
- 10.09 बजे एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट कम ईडीसी चंद्रजीत सिंह चैंबर में थे। उनसे कुछ लोग मिलने आए थे।
- 10.12 बजे डीपीओ (यूआईडीएआई) अमित कुमार सिंह चेंबर में नहीं थे।
- 10.15 बजे जिला समाज कल्याण शाखा में सन्नाटा पसरा था।
- 10.16 बजे डिस्ट्रीक सोशल वेलफेयर ऑफिसर दीप माला चेंबर नहीं पहुंची थीं।
- 10.18 बजे वेतन निर्धारण शाखा में बड़ा बाबू, क्लर्क की कुर्सियां खाली पड़ी थी।
- 10.20 बजे एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट अनुज बंदो का चेंबर खाली था।
- 10.20 बजे नीलाम पत्र शाखा कार्यालय में इक्का-दुक्का क्लर्क दिखाई दे रहे थे।
- 10.21 बजे सहायक निदेशक सोशल सिक्यूरिटी प्रवीण कुमार चेंबर में नहीं आए थे।
- 10.23 बजे निर्वाचन शाखा का दफ्तर खाली था।
- 10.25 बजे डीपीआरओ इशा खंडेलवाल कार्यालय में अनुपस्थित थी।
- 10.27 बजे ट्रांजिट सेक्शन में सीनियर क्लर्क पर पदस्थ महिला कर्मचारी सविता हलदर नहीं आई। पड़ताल में यह बात सामने आई कि यह कार्यालय बहुत ही महत्वपूर्ण है। डीसी को आने वाले पत्र यहीं रिसीव होते हैं, लेकिन उक्त कर्मचारी कभी भी समय पर नहीं आते। ऑफिस टाइम में भी गायब रहने से लोगों को इंतजार में खड़े रहना पड़ता है।
- 10.30 बजे एसडीओ ऑफिस में नहीं थे। चेंबर के बाहर बैठे कर्मचारी गप्पें हांक रहे थे। यहां के बड़ा बाबू के कार्यालय में कोई भी कर्मचारी नहीं था। फोटो खींचने पर कुछ कर्मचारी सामने आए और सफाई देने लगे।
- 10.40 बजे डीडीसी चेंबर में नहीं थे। कैमरा देखकर दूसरे चेंबर में कर्मचारी परदा लगाने जुट गए।
- 10.42 बजे जिप अध्यक्ष रोबिन गोराई भी चेंबर नहीं पहुंचे थे। जबकि जनप्रतिनिधि होने के नाते उनका पद महत्वपूर्ण हैं। ग्रामीण अपनी फरियाद लेकर पहुंचते हैं।
सभी के लिए निर्धारित समय के अनुसार काम करना अनिवार्य है। अगर कोई जानबूझकर लेट होता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-अमित कुमार, उपायुक्त