निर्भया के गुनहगारों को फांसी दिए जाने से महिलाओं में हर्ष, पूर्णिमा बोलीं- देर से ही सही पर सत्य की जीत हुई Dhanbad News
निर्भया के गुनहगारों को शुक्रवार तड़के फांसी दे दी गई। घनबाद की महिलाओं ने इस निर्णय पर संतोष जताते हुए हर्ष व्यक्त किया है। साथ ही कहा कि बहुत पहले ही इन्हें लटका देना चाहिए था।
By Sagar SinghEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 02:02 PM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 02:18 PM (IST)
धनबाद, जेएनएन। निर्भया के गुनहगारों को शुक्रवार तड़के फांसी दे दी गई। इसमें लंबा समय लग गया। धनबाद की महिलाओं ने सात साल तीन माह से भी ज्यादा समय के बाद आए इस निर्णय पर संतोष जताते हुए हर्ष व्यक्त किया है। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि फांसी देने में काफी देर हो गई। यह बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। वहीं, झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने इसे सत्य की जीत बताया। महिला शिक्षकों ने आज के दिन को न्याय दिवस के रूप में मनाया।
आइए जानते हैं निर्भया के गुनहगारों को फांसी दिए जाने पर धनबाद की महिलाएं क्या राय रखती हैं:-
- सत्यमेव जयते, देर से ही सही पर सत्य की हमेशा जीत होती है। निर्भया के गुनाहगारों को फांसी देना भी एक तरह की जीत है। इससे अपराधियों का मनोबल टूटेगा और कोई भी अपराधी जघन्य अपराध करने से पहले कई दफा सोचेगा। - पूर्णिमा नीरज सिंह, विधायक झरिया
- निर्भया के गुनहगारों का यही हश्र होना चाहिए। गुनहगारों ने कई दफा माफी पाने की कोशिश की, लेकिन न्यायपालिका ने ऐसा होने नहीं दिया। हालांकि इसमें काफी देर हो गई, इसे और पहले हो जाना चाहिए था। - मनीषा सिंह, गृहिणी झाड़ूडीह
- सुबह उठी तो पता चला कि निर्भया के गुनहगारों को फांसी दी जा चुकी है। सुनकर बहुत सुकून मिला। ऐसे लोगों को साथ यही होना चाहिए था। इस तरह का कृत्य करने वालों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। -वीणा रिटोलिया, शिक्षिका पुराना बाजार
- निर्भया के दोषियों का यही हश्र होना चाहिए था। इसमें काफी देर हो गई। घटना सात साल पहले की है। इन्हें सजा आज मिल रही है। यह पहले मिलना चाहिए था, तभी तो अपराधी गुनाह करने से पहले सोचेंगे। -अपर्णा तिवारी, शिक्षिका हाउसिंग कॉलोनी
- ऐसे अपराध की यही सजा होनी चाहिए थी। ऐसे जघन्य अपराध के लिए कुछ साल पहले ही सजा दे देनी चाहिए थी। फांसी दिए जाने के बाद अब दूसरे अपराधी 10 बार सोचेंगे। - स्वाति सिंह, आर्किटेक्चर हाउसिंग कॉलोनी
उस रात क्या हुआ था निर्भया के साथ :
- निर्भया अपने एक दोस्त के साथ 16 दिसंबर 2012 की काली रात को साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल में 'लाइफ ऑफ पाई' फिल्म देखकर वापस लौट रही थी। वे पहले ऑटो से घर जाने की सोच रहे थे, लेकिन ऑटोवाला तैयार नहीं हुआ तो वे मुनिरका में उतर गए। इसके बाद निर्भया अपने दोस्त के साथ वहीं खड़ी एक बस में सवार हो गई। निर्भया के दोस्त ने एक निजी चैनल को बताया था कि बस चलने के बाद उन्हें ऐसा लग रहा था कुछ ठीक नहीं है। बस में उन दोनों को छोड़कर कुल छ: लोग सवार थे।
- निर्भया के दोस्त के अनुसार, बस कंडक्टर ने पहले किराया मांगा तो मैंने 20 रुपये दिए। थोड़ी देर आगे जाने पर उसने बस के गेट बंद कर दिया। इसके बाद पीछे बैठे तीन लोग आगे आ गए और पहले बदतमीज करने लगे। फिर कहासुनी होने पर उन्होंने मारपीट शुरू कर दी। इन लोगों ने उनसे उनका फोन छीन लिया।
- निर्भया ने इसका विरोध किया तो वे उसे पीछे ले गए व बारी-बारी से सभी ने दुष्कर्म किया। इस दौरान जब निर्भया का दोस्त उसको बचाने गया तो उन्होंने लोहे की रॉड मारकर घायल कर दिया था, जिससे वह बेहोश हो गया। इसके बाद इन दरिंदों ने अपनी हवस मिटाने के साथ ही निर्भया के शरीर में लोहे ही रॉड घुसा दी थी। इसके बाद दोनों को दक्षिण दिल्ली के वसंत विहार इलाके में बस से फेंक दिया।
- अगले दिन यह खबर पूरे देश में आग की तरह फैल गई। देश भर में निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए लोग सड़कों पर उतरने लगे। इधर, निर्भया की हालत नाजुक होती जा रही थी। सफदरजंग अस्पताल में उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। हालात नाजुक होता देख तब की मनमोहन सरकार ने उसे इलाज के लिए सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल भेजा, जहां 29 दिसंबर को इलाज के दौरान निर्भया ने रात करीब दो बजे दम तोड़ दिया था।
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