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World Menstrual Hygiene Day : यहां की 120 महिलाएं बना रही सस्ता व बायोडिग्रेबल सैनिटरी नैपकिन, जानें क्या है कीमत

माहवारी के जिक्र से अधिकतर महिलाएं शरमा जाती हैं। लेकिन धनबाद के एकता-एरिया लेवल फेडरेशन से जुड़ी महिलाएं हर दिन 100 सैनिटरी नैपकिन बना अपनी पहचान बन रही है।

By Sagar SinghEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 08:01 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 08:06 PM (IST)
World Menstrual Hygiene Day : यहां की 120 महिलाएं बना रही सस्ता व बायोडिग्रेबल सैनिटरी नैपकिन, जानें क्या है कीमत
World Menstrual Hygiene Day : यहां की 120 महिलाएं बना रही सस्ता व बायोडिग्रेबल सैनिटरी नैपकिन, जानें क्या है कीमत

धनबाद, [आशीष सिंह]। ये महिलाएं बहुत पढ़ी-लिखी नहीं हैं। कुछ तो अंगूठा छाप हैं। पर काम ही इनकी पहचान बन गया है। माहवारी जिसके जिक्र से अधिकतर महिलाएं शरमा जाती हैं, उसको लेकर यह जागरूकता की अलख जगा रही हैं। साथ ही, किशोरियों और महिलाओं को सबसे सस्ता सैनिटरी पैड भी उपलब्ध करा रही हैं। वह भी बायोडिग्रेबल, जो पर्यावरण के भी अनुकूल है। पथरागोड़ा-पांडरपाला में एकता-एरिया लेवल फेडरेशन से जुड़ी महिलाएं हर दिन 100 सैनिटरी नैपकिन बना रही हैं।

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फेडरेशन से 11 स्वयं सहायता समूह जुड़े हैं। इसमें 120 महिलाएं शामिल हैं। लॉकडाउन में डिमांड कम है फिर भी मांग के अनुरूप निर्माण जारी है। महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) ने इस ब्रांड का नाम 'उड़ान' रखा है। यह पूरी तरह से पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है। प्रयोग करने के बाद भी यदि इसे जलाया नहीं गया तो भी मिट्टी में आसानी से सड़ जाएगा।

संगठन की सचिव प्रियंका कुमारी कहती हैं कि माहवारी सिर्फ महिलाओं एवं किशोरियों का मुद्दा नहीं है, बल्कि इस पर पुरुषों की भागीदारी भी होनी चाहिए। देश में केवल 12 फीसद महिलाओं और लड़कियों को ही सैनिटरी नैपकिन के बारे में जानकारी है। झारखंड में तो यह स्थिति तो और खराब है। यहां अधिकांश महिलाएं मासिक धर्म के दौरान पुरानी, अस्वच्छ तरीकों पर निर्भर हैं। इसी उददेश्य को ध्यान में रखते हुए नगर निगम के सहयोग से इस काम की शुरूआत की गई। छ: पीस के एक पैकेट की कीमत महज 25 रुपये है, जो मार्केट में उपलब्ध किसी भी नैपकिन से कम है। बाजार में उपलब्ध नैपकिन का आगे और पीछे का हिस्सा प्लास्टिक कोटेड होता है, जबकि यह पूरी तरह कॉटन का है। छ: परत का यह जेल नैपकिन है। यह त्वचा के लिए हानिकारक भी नहीं है।

महिला स्वयं सहायता समूहों में नैपकिन का वितरण : प्रियंका बताती हैं कि फिलहाल इसकी मार्केटिंग जिले की 40 एरिया लेवल फेडरेशन (एएलएफ) यानी महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी 23 हजार महिलाओं में किया जा रहा है। जल्द ही खुले बाजार में भी इसकी बिक्री शुरू होगी। हालांकि कुछ ग्रामीण इलाकों में इसका वितरण शुरू कर दिया गया है। एक एएलएफ में 120 महिलाएं शामिल हैं। 12 महिला स्वयं सहायता समूह ऐसी हैं जो सैनिटरी पैड बनाने का प्रशिक्षण ले चुकी हैं। इनमें से कुछ ग्रुप ने सैनिटरी पैड बनाना भी शुरू कर दिया है। महिलाएं महज 2.38 रुपये में सैनिटरी पैड का निर्माण कर रही हैं। अल्ट्रासोनिक मशीन से नैपकिन का निर्माण किया जा रहा है। भविष्य में एक दिन में 20 हजार तक सैनिटरी का निर्माण किया जा सकेगा। एक मिनट में 50 पैड का निर्माण हो सकेगा। सैनिटरी पैड बनाने में प्रियंका, एजाज असगरी, आशा, मंजू, नीलम, ललिता, संतना किस्कू शामिल हैं।

महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए सैनिटरी नैपकिन बनाने की मशीन लगाई गई है। यह पूरी तरह से बायोडिग्रेबल है और महिलाओं के अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी है। प्रत्येक संकुल में आठ सैनिटरी पैड मशीन एसएचजी को दिया जा रहा है। - चंद्रशेखर अग्रवाल, मेयर धनबाद


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