जागरण विमर्श: 370 से जम्मू-कश्मीर की जनता को हुआ काफी नुकसान, अब होगा विकास
महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 में ही जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में कर दिया था। इसके दो साल बाद 17 अक्टूबर 1949 को धारा 370 लागू किया गया था। यह अस्थाई व्यवस्था थी।
धनबाद, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 का हटना आज हर जगह चर्चा का विषय बना हुआ है। यह क्यों लगाया गया, उस समय की परिस्थितियां क्या थीं और अब इसे हटाने से क्या प्रभाव पड़ेगा, इसके बारे में भी जानना जरूरी है। सोमवार को जागरण विमर्श कार्यक्रम में सिम्फर के सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक व जम्मू-कश्मीर स्टडी सेंटर के बिहार-झारखंड क्षेत्र के प्रभारी वीरेंद्र कुमार सिंह और झारखंड राज्य सचिव इंद्रजीत प्रसाद सिंह ने धारा 370 पर खुलकर चर्चा की।
वीके सिंह ने बताया कि पहले तो यह जानना जरूरी है कि धारा 370 कब और किस परिस्थति में लागू हुआ। बंटवारा रियासतों का नहीं बल्कि ब्रिटिश इंडिया का हुआ था। आजादी के वक्त रियासतें स्वतंत्र हो गई। उस वक्त लार्ड माउंटबेटन ने कहा था कि रियासतों को किसी न किसी (भारत या पाकिस्तान) में विलय करना होना पड़ेगा। सभी रियासतों के लिए एक ही विलय पत्र बनाया गया, जिसपर सिर्फ चयनकर हस्ताक्षर करना था। विलय का अधिकार विशुद्ध रूप से राजाओं के पास ही था। पंजाब का कपूरथला मुस्लिम बाहुल इलाका था, लेकिन उसका भारत में विलय हुआ। इसी तरह अमरकोट (अब उमरकोट) में 90 फीसद हिंदू थे, लेकिन इसका विलय पाकिस्तान में हुआ। जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 में ही जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में कर दिया था। इसके दो साल बाद 17 अक्टूबर 1949 को धारा 370 लागू किया गया था। यह अस्थाई व्यवस्था थी। मौलाना हसरत, बाबा साहब आंबेडकर और जम्मू-कश्मीर के मुस्लिमों ने भी 370 का विरोध किया था। इस अनुच्छेद की वजह से जम्मू-कश्मीर में रहनेवाले गोरखा, महिला, वाल्मीकि समुदाय के लोग और पाकिस्तान से आए शरणार्थी सभी प्रभावित हुए।
गोरखा व महिलाओं को सामान अधिकार से वंचित होना पड़ा। वाल्मीकि समुदाय के लोग चाहे जितना पढ़े-लिख ले, लेकिन उन्हें सफाई का काम ही करना पड़ता था। जो लोग लोकसभा के लिए वोट करते थे उन्हें पंचायत में मतदान की अनुमति नहीं थी। धारा 370 का मनमाना दुरुपयोग होता रहा है। सबसे अहम है कि पाकिस्तान के संविधान में कहीं भी जम्मू-कश्मीर की मांग शामिल है ही नहीं। पाकिस्तान में सिर्फ चार राज्य ही है, सिंध, बलूचिस्तान, पख्तूनिस्तान और पंजाब। 370 हटने से निसंदेह राज्य का विकास होगा। उद्योग-धंधे लगेंगे, डल झील का विकास होगा। डल झील और वुलर झील पर कब्जा हो चुका है। वुलर झील तो 100 वर्ग किमी से घटकर 23 वर्ग किमी पर सिमट गया है। झील के बड़े भूभाग पर स्थानीय नेताओं ने कब्जा कर लिया है।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप