India Lockdown: बेटियां सात समंदर पार, पिता का अंत समय आया तो विलेन बना कोरोना, पत्नी ने दी मुखाग्नि
बोकारो स्टील प्लांट के सेवानिवृत्त अधिकारी ललित कुमार सिंह को दो बेटी ही थीं। उनका जब अंतिम समय आया तो उन बेटियों को भी पिता का दर्शन करने का मौका नहीं मिला। कोरोना विलेन बन गया।
बोकारो, जेएनएन। बेटा न होने का ललित कुमार सिंह को कभी गम नहीं रहा। उन्होंने बदलते समाज और देश को ध्यान में रखते अपनी दोनों बेटियों को बेटों की तरह पाला। अच्छी पढ़ाई कराई। पढ़ा-लिखाकर इतना काबिल बनाया कि दोनों बेटियों की अमेरिका में नौकरी लग गई। इसे संयोग की कहा जाय कि ललित कुमार सिंह का जब अंतिम समय आया तो चाहकर भी उनकी दोनों बेटियां अमेरिका से बोकारो नहीं पहुंचीं। पिता और बेटियों के बीच कोरोना विलेन बनकर खड़ा हो गया। मजबूर होकर ललित कुमार सिंह की पत्नी सुषमा रानी ने मंगलवार को अपने पति को मुखाग्नि दी।
बोकारो स्टील प्लांट के सेवानिवृत्त अधिकारी ललित कुमार सिंह को दो बेटी ही थीं। उनका जब अंतिम समय आया तो उन बेटियों को भी पिता का दर्शन करने का मौका नहीं मिला। रास्ते में कोरोना का संकट विलेन बनकर खड़ा हो गया। मजबूर होकर पत्नी सुषमा रानी ने ही पति को मुखाग्नि दी। चूंकि उन्हें दो बेटियां ही थी और दोनों विदेश में रहती हैं। लॉकडाउन व अंतरराष्ट्रीय उड़ान बंद होने के कारण बेटियों का अमेरिका से आना संभव नहीं हो सका। सिंह की सोमवार को मृत्यु हो गई। इसके बाद पत्नि सुषमा रानी के सामने धर्म संकट था। इसके बाद सुषमा ने समाज के लोगों के साथ विचार-विमर्श कर खुद ही मुखाग्नि देने का निर्णय लिया।
ललित कुमार सिंह बोकारो स्टील में अधिकारी थे। सेवानिवृत्त होने के बाद बोकारो स्टील से सेक्टर-5 में ही मकान ले लिया था। उनकी दोनों बेटियां विदेश में रहती है। अनुपमा अमेरिका के न्यू जर्सी तो शालिनी कनाडा में रकहर नौकरी करती है। ललित कुमार का अंतिम संस्कार मंगलवार को गरगा नदी स्थित श्मशान में किया गया। ललित को पत्नी सुषमा रानी ने मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार हर विधि पत्नी ने की। अंतिम संस्कार के समय शारीरिक दूरी का पालन किया गया। इस कारण अंतिम संस्कार में गिने-चुने लोग ही पहुंचे। ललित सिंह की पत्नी के निर्णय को स्थान लोग तारीफ कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह समाज को रास्ता दिखाने वाला निर्णय है।