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इतना मिला दिया कि दाल ही पानी हो गई... आज भी याद है महंगाई पर सुषमा का तंज Dhanbad News

सुषमा ने महंगाई का जिक्र करते हुए कहा था कि दाल इतनी महंगी हो गई है कि गृहणियां परेशान हैं। दाल में पानी मिलाते मिलाते हाल यह हो गया है कि दाल ही पानी हो गई है।

By mritunjayEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 08:54 AM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 08:54 AM (IST)
इतना मिला दिया कि दाल ही पानी हो गई... आज भी याद है महंगाई पर सुषमा का तंज Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। पूर्व विदेश मंत्री व भाजपा की प्रखर वक्ता सुषमा स्वराज के निधन से धनबाद में भी शोक की लहर है। सोशल मीडिया पर लोग उनके निधन की सूचना पर शोक प्रकट कर रहे हैं। भाजपा नेताओं ने भी दिग्गज नेत्री के निधन पर शोक जताया है। लोगों ने उनके धनबाद दौरे को भी याद किया। 2009 के लोकसभा चुनाव में सुषमा धनबाद आई थीं। झरिया के चिल्ड्रेन पार्क में उनकी सभा हुई थी। हेलीकॉप्टर बनियाहीर मैदान में उतरा था। उन्हें सुनने काफी संख्या में लोग जुटे थे।

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सुषमा स्वराज के भाषण को याद करते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह बताते हैं कि तब केंद्र की यूपीए सरकार के दौर में महंगाई चरम पर थी। सुषमा ने महंगाई का जिक्र करते हुए कहा था कि दाल इतनी महंगी हो गई है कि गृहणियां परेशान हैं। दाल में पानी मिलाते मिलाते हाल यह हो गया है कि दाल ही पानी हो गई है। उनकी भाषण शैली पर तब लोग जमकर हंसे थे। भाजपा नेता राजकुमार अग्रवाल व अरुण जायसवाल ने बताया कि चिल्ड्रेन पार्क में उनकी वह सभा आज तक याद है। वे एक संवेदनशील नेता थीं। उन्होंने उस सभा में आम जनता के साथ भावनाओं की डोर से रिश्ता जोड़ा था। गरीब की भोजन की थाली से गायब होती सब्जी, पानी जैसी दाल और गायब सलाद का जिक्र कर महंगाई पर निशाना साधा था। इसके लिए तब की कांग्रेस सरकार को कठघरे में खड़ा किया था।

सुषमा जी के निधन की सूचना से मर्माहत हूं। पिछली लोकसभा की आखिरी सत्र में उनसे मुलाकात हुई थी। उनकी वाणी जितनी ओजस्वी थी स्वभाव उतना ही विनम्र था। मेरा उनसे व्यक्तिगत संबंध था। उनके निधन से देश को अपूरणीय क्षति हुई है।

-पीएन सिंह, सांसद, धनबाद

पीएन सिंह के लोकसभा चुनाव प्रचार में 2009 में सुषमा जी धनबाद आईं थीं। झरिया के चिल्ड्रन पार्क में उनकी सभा हुई थी। उनके निधन से राजनीति का एक अध्याय समाप्त हो गया है। विदेश मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल को लंबे समय तक याद रखा जाएगा।

-राज सिन्हा, विधायक, धनबाद

1977 के लोकसभा चुनाव के दौरान जॉर्ज फर्नांडिस जेल में थे। मुजफ्फरपुर से उनका नामांकन किया गया था। मैं भी स्टीमर से गंगा से मुजफ्फरपुर जा रहा था। पता चला उसी स्टीमर में जॉर्ज की मां भी जा रही थीं। उनके साथ एक युवती भी थी। वह सुषमा स्वराज थीं। उनका साहस देखकर काफी प्रभावित हुआ था। वाजपेयी के बाद वे सबसे ओजस्वी वक्ता मानी जाती थीं।

-हरिप्रकाश लाटा, वरीय भाजपा नेता

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