Weekly News Roundup Dhanbad : हमरे साहब बड़े शिकारी, जानें कैसे-कैसे करते शिकार
मिलावट का जमाना है लेकिन किसी ने नहीं सोचा होगा कि जमीन में भी माफिया मिलावट कर देंगे। अभी जमीन में मिलावट का खेल खूब चल रहा है। सीएनटी की जमीन बिक नहीं सकती सो सीएनटी फ्री जमीन के लिए सभी नजरें गड़ाए रहते हैं।
धनबाद [आशीष झा]। Weekly News Roundup Dhanbad अंदर से भले ही आप कुछ हों, लेकिन समाज में साफ-सुथरी छवि दिखे, ये सभी को पसंद है। बात एक साहब की है जो कुछ दिन पहले ही बरवाअड्डा आए हैं। उन्हेंं साफ छवि वाला साहब कहलाना पसंद है, लेकिन हकीकत ये है कि शाम होते ही शिकार की तलाश शुरू हो जाती है। बालू से तेल निकालना उन्हेंं काफी पसंद है, क्योंकि इसमें किसी को भनक भी नहीं लगती और कमाई भी ठीकठाक हो जाती है। कुछ दिन पहले की ही बात है। साहब बालू से तेल निकालने पेट्रोलिंग पर निकले। बालू लदे तीन अवैध ट्रकों को पकड़ भी लिया। काफी आरजू-मिन्नत के बाद 75 हजार रुपये में सभी ट्रकों को छोडऩे की बात तय हुई। किसी ने सूद पर लेकर पैसा दिया तो किसी ने अपनी सोने की चेन ही गिरवी रख दी। रकम मिलते ही साहब अपने रास्ते और ट्रक अपने रास्ते।
जमीन में भी मिलावट
मिलावट का जमाना है, लेकिन किसी ने नहीं सोचा होगा कि जमीन में भी माफिया मिलावट कर देंगे। अभी जमीन में मिलावट का खेल खूब चल रहा है। सीएनटी की जमीन बिक नहीं सकती सो सीएनटी फ्री जमीन के लिए सभी नजरें गड़ाए रहते हैं। खासकर वैसी जमीन पर जहां पांच कट्ठा सीएनटी फ्री जमीन ले ली और दस कट्ठा सरकारी जमीन मिलाकर बेच दी। माल मिलते ही माफिया का काम खत्म। आगे क्या होगा, ये जमीन खरीदने वाले समझें। यह खेल अभी धड़ल्ले से गोविंदपुर, बरवाअड्डा, राजगंज आदि क्षेत्रों में हो रहा है। जमीन माफिया सेटिंग-गेटिंग से तीन-पांच करने में लगे हैं। कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। सब लक्ष्मी जी की महिमा है। लक्ष्मी दिखाते ही सारे काम अंचल कार्यालय में चुटकी में हो जाते हैं। बेचारी आम जनता पैसे देकर भी ठगी जाती है। जमीन लेते वक्त उन्हेंं धोखाधड़ी की भनक तक नहीं लगती।
धरी ही रह गई गाइडलाइन
अभी कोरोना संक्रमण का दौर चल रहा है। सरकार लगातार गाइडलाइन जारी कर रही है। इस बार दुर्गा पूजा को लेकर भी गाइडलाइन जारी की गई। कहीं पंडाल बनाने नहीं दिया गया ताकि लोग एक जगह नहीं जुट सकें। प्रतिमा की साइज भी तय कर दी गई। पंडाल के आसपास मेला लगाने की भी अनुमति नहीं मिली। महानवमी के दिन प्रशासन की सारी तैयारियां धरी की धरी रह गईं। पंडाल से महज सौ गज की दूरी पर दुकानों की कतारें लगीं दिखीं। धनबाद प्रखंड के झारखंड मैदान और उसके आसपास पैदल चलने की जगह नहीं थी। आधे से अधिक लोगों के पास मास्क नहीं थे। शराब की दुकानें भी खुली थीं। कहीं कोई देखने वाला नहीं था। शारीरिक दूरी की धज्जियां उड़ाई गईं। भक्त भी कहते सुने गए कि जब यही होना था तो पंडाल व मेला लगाने में क्या परेशानी थी। सब ढकोसला निकला।
प्रभार में सीओ, जनता परेशान
पुटकी की जनता बेहद परेशान है। वहां अंचल कार्यालय तो है, लेकिन न रसीद कट रही है, न जमीन संबंधी कोई मामला ही सुलझ रहा है। महीनों से वहां अंचल अधिकारी नहीं हैं। धनबाद के अंचलाधिकारी प्रभार में हैं, लेकिन उनके पास वहां समय देने का समय नहीं है। सीओ साहब कम जाते हैं तो जाहिर है कर्मचारी भी कम ही दिखते हैं। यदि गलती से दिख भी गए तो मामला सीओ साहब पर डालकर निश्चिंत हो जाते हैं। वहीं जनता कर्मचारी व अंचलाधिकारी के चक्कर में चकरघिन्नी की तरह घूमती रहती है। थक-हारकर बुदबुदाते हुए या तो घर बैठ जाती है, या फिर अंचलाधिकारी को खोजने निकल पड़ती है। धनबाद का बीडीओ ऑफिस भी वहीं शिफ्ट होना है, लेकिन अब तक किन्हीं कारणों से नहीं हो सका है। डीसी साहब कड़ा पत्र भी निकाल चुके हैं। उम्मीद है अगले महीने यह काम हो जाए।