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Weekly News Roundup Dhanbad: पुलिस-एसीबी भाई-भाई..., जानें जांच एसेंसियों के बीच गठजोड़ की अंदरूनी कहानी

धनबाद में इन दिनों पुलिस महकमे का माहौल फिर बदला-बदला सा है। कुछ पुलिस अफसर काफी चिंतित चल रहे हैं। नए एसएसपी जो आ गए हैं। उनका प्रेशर बर्दाश्त नहीं कर पा रहे। इसलिए उनहें थानेदारी छिन जाने का भय सता रहा है।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 06:31 PM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 06:31 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: पुलिस-एसीबी भाई-भाई..., जानें जांच एसेंसियों के बीच गठजोड़ की अंदरूनी कहानी
धनबाद में थानेदारों के तबादले की चर्चा चल रही है। इसे लेकर थानेदार चिंतित हैं।

धनबाद [ नीरज दुबे ]। एसीबी व जिला पुलिस इन दिनों भाई-भाई जैसी स्थिति में हैं। कुछ घूसखोर पुलिसकर्मियों के लिए खतरा टल सा गया है। वे सुकून में हैं। आखिर क्यों न हो, एसीबी के बड़े साहब ही जब धनबाद के कप्तान है, तो काहे को डर। किसकी मजाल कि किसी पुलिसकर्मी के दामन पर घूसखोरी का दाग लगा दे। पहले से सब कुछ ठीक हो चुका है। झारखंड के पांच जिलों में फिलहाल शीर्ष पद पर एसीबी के बड़े साहब ही बैठे हैं। देखा जाए तो मुख्यालय ने जिन आइपीएस अफसरों की पोस्टिंग की है, उसमें धनबाद डीआइजी असीम विक्रांत मिंज, दुमका डीआइजी सुदर्शन मंडल, जामताड़ा एसपी दीपक सिन्हा, पाकुड़ एसपी मनीलाल मंडल और देवघर एसपी अश्वनी सिन्हा एसीबी की कमान संभाल रहे थे। अब जिला पुलिस की बागडोर मिल गई। राज्य में एसीबी के जितने भी कनीय पदाधिकारी हैं, उन्हें सैल्यूट करते नहीं थकते थे। अब दाग लगे तो कैसे?

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थानेदारी जाने की चिंता में बाबू
धनबाद में इन दिनों पुलिस महकमे का माहौल फिर बदला-बदला सा है। कुछ पुलिस अफसर काफी चिंतित चल रहे हैं। नए एसएसपी जो आ गए हैं। उनका प्रेशर बर्दाश्त नहीं कर पा रहे। इसलिए उनहें थानेदारी छिन जाने का भय सता रहा है। दरअसल एसएसपी असीम विक्रांत मिंज के सामने कुछ पदाधिकारी एक्सपोज हो चुके हैं। कारण कामकाज में ढिलाई है। साहब ने ऐसे अफसरों को पकड़ भी लिया है। कुछ को थानेदारी छुड़ा देने की सांकेतिक चेतावनी भी दे दी है। अब इन्हें चिंता इस बात की ज्यादा है कि कहीं खराब सर्किल न मिल जाए। वैसे बाबू अधिक खौफ में हैं जो पुराने साहब के कार्यकाल में तो नंबर वन पर थे, मगर...। कब गाज गिर जाएगी, यह बात खाए जा रही है। वहीं कुछ अच्छे दिन आने के इंतजार में हैं। उन्हें लगता है कि सब दिन होत ना एक समाना।

बकरे की अम्मा की खैर नहीं
थोड़ा सब्र करिए, धनबाद में जल्द तेजतर्रार व काबिल आइपीएस अफसर की पोस्टिंग होगी। इस बार मुख्यालय ने काफी ठोक बजाकर यहां ग्रामीण एसपी को भेजने का निर्णय लिया है। देर हो सकती है, मगर होगा दुरूस्त। अब सवाल उठता है कि ऐसा कैसे कहा जा सकता है तो भाई साहब, सीनियर पुलिस पदाधिकारियों से बातचीत के दौरान संकेत मिल रहे हैं। सही भी है। धनबाद में यह पद खाली है और इसका असर भी दिख रहा है। अपराध बेलगाम है। वर्चस्व और रंगदारी को लेकर आउटसोर्सिंग में गोलीबारी की पूछिए मत। क्राइम के जितने भी तरीके हैं, आजमाए जा रहे हैं। अपराध ग्राफ मुनाफाखोरी की तरह चढ़ा हुआ है। कोयला चोरों की क्या बात करें- उनकी चांदी ही चांदी है। जीटी रोड, निरसा, बाघमारा, कतरास जैसे इलाके मानों अपराधियों के लिए सोना उगल रहे हैं। मगर, बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी!

वाह, ठेका में इतना कमीशन
ठेका पट्टा में कमीशनखोरी आम बात है, पर बिजली विभाग की ठेकेदारी ने तो सबको चौका दिया। साहब का कमीशन, मजदूरी व ऑफिस खर्च जोड़ दें तो ठेकेदार के पास जितनी पूंजी है, उसका दो गुना दाम विभाग उन्हें देता है। दरअसल, दो दिन पूर्व बरवाअड्डा की गोपी कृष्णा कंट्रक्शन कंपनी के गोदाम में डकैती हुई। कंपनी के एक प्रतिनिधि ने मीडियाकर्मी को 19 लाख की संपति का नुकसान बताया। पुलिस परेशान, इतनी बड़ी डकैती हो गई। फिर शाम में कंपनी के स्टोरकीपर ने थाना में दस लाख की शिकायत की। इस पर मीडियावालों ने कंपनी के एक सीनियर पदाधिकारी से पूछा तो स्पष्ट हुआ कि पहले ऑफिस खर्च व मजदूरी जोड़कर नुकसान का ब्योरा बताया गया। इसमें 19 लाख का नुकसान कंपनी को था। बाद में पाट्र्स की खरीदारी के दाम पर केस दर्ज हुआ तो आंकड़ा दस लाख हो गया। ये है जोड़-घटाव।


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