Weekly News Roundup Dhanbad: यह बीसीसीएल का मॉडल है, इसकी पूरी कॉलोनियों का अंदाजा लगा लीजिए
जमीन के अभाव में कोयला खदानों का विस्तारीकरण रुका हुआ है। लिहाजा कभी सबसे बड़ी कंपनी रही बीसीसीएल आज कोल इंडिया की सबसे छोटी कंपनी बन गई है। उत्पादन हो नहीं रहा जो हो रहा है वह कोयला बिक नहीं रहा।
धनबाद [ रोहित कर्ण ]। श्रमिकों का रहन-सहन सुधारने के लिहाज से औचक निरीक्षण की योजना तो बीसीसीएल के कल्याण विभाग की थी, पर पसंद आई तो सीएमडी ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। टास्क फोर्स बनाई और एक इलाके के महाप्रबंधक को दूसरे के इलाके का औचक निरीक्षण का दायित्व दे दिया गया। निर्देश दिया कि निरीक्षण की तस्वीर व वीडियो फुटेज ट्विटर पर डाली जाएं। अब अधिकारी तो अधिकारी ठहरे। बजाए कॉलोनियों की बदहाली, लगे अपना फोटोशूट कराने। तमाम तस्वीरें प्रतिनिधिमंडल के साथ निरीक्षण करते महाप्रबंधकों की भर दी गईं। करते भी क्या, यहां एक ढूंढो तो हजार समस्याएं मिलती हैैं। देखिए न, साहब लोग गए थे बेरा मॉडल कॉलोनी निरीक्षण को, पता चला कि वहां वाटर सप्लाई सिस्टम ही बदहाल है। मॉडल कॉलोनियों का यह हाल तो अन्य का क्या होगा। सो तमाम कॉलोनियों की जगह एक क्षेत्र की एक कॉलोनी का निरीक्षण कर खानापूर्ति कर रहे।
गरीबी में आटा गीला
जमीन के अभाव में कोयला खदानों का विस्तारीकरण रुका हुआ है। लिहाजा कभी सबसे बड़ी कंपनी रही बीसीसीएल आज कोल इंडिया की सबसे छोटी कंपनी बन गई है। उत्पादन हो नहीं रहा, जो हो रहा है वह कोयला बिक नहीं रहा। जो बिक रहा है उसकी कीमत वसूल नहीं हो पा रही। इतनी समस्याएं क्या कम थीं कि चल रहीं खदानें बंद करने का नोटिस थमा दिया गया। फुलारीटांड़ ओसीपी से 10 हजार टन प्रतिदिन उत्पादन हो रहा था। हाई वॉल से पत्थर गिरने की घटना के बाद डीजीएमएस ने यहां से उत्पादन रुकवा दिया। इधर दूसरे ही दिन जमुनिया में भी नई शॉवेल मशीन पर पत्थर गिर गया। हालांकि वहां उत्पादन जारी है। दोनों ही जगह भू-अधिग्रहण का मामला लंबित है। प्रशासन व बीसीसीएल प्रबंधन चाहकर भी मामला सुलझा नहीं पा रहा। जमीन मिल जाती तो परियोजना विस्तार से यह समस्या ही उत्पन्न न होती।
16 वर्ष से एक पद पर
जी हां। अब यह स्वर बीसीसीएल के गोविंदपुर क्षेत्र संख्या-3 से उठा है। हाजिरी लिपिक, धौड़ा सुपरवाइजर जैसे पदों को संवेदनशील बताते हुए इन पर दशकों से जमे कर्मचारियों के स्थानांतरण की मांग की जा रही है। शिकायत की गई है कि हाजिरी लिपिक 16 वर्ष से एक ही पद पर बने हुए हैैं। बीसीसीएल में जहां अन्य पदों पर संडे ड्यूटी कटौती का मामला गरमा रहा है, वहीं क्षेत्रीय कार्यालय के इन पदों के बाबुओं को संडे ड्यूटी की सभी सुविधाएं प्राप्त हैं। कर्मचारियों को ही क्यों, सेल्स ऑफिसर जैसे पद भी गिरवी रख दिए गए हैैं। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि कई जगह स्थानांतरण के बाद कुर्सी तो बदल दी जा रही है, लेकिन काम नहीं बदला जा रहा। इसके खिलाफ कई बार मांग की गई, लेकिन फलाफल कुछ नहीं निकला है। यूनियन भी दबाव की ही राजनीति कर रहे हैं।
एक जैसे जुर्म, सजा अलग-अलग
बीसीसीएल में कुछ भी हो सकता है। जिसकी जैसी सेटिंग उसके साथ वैसा व्यवहार। अब देखिए, बारूद वाहक बलिराम साहू को कंपनी ने कारण पृच्छा कर एक सप्ताह में जवाब मांगा है। जवाब कि वह बिना सूचना दिए 10 सितंबर से 28 सितंबर तक गायब क्यों रहे। एकीकृत जयरामपुर कोलियरी के परियोजना पदाधिकारी सह प्रबंधक ने यह पूछा है। प्रबंधक महोदय ने दो दिन बाद ही एक झटके से एक जेनरल मजदूर विजय मुंडा की अनुपस्थिति को ईएल मार्क कर दिया। वह 28 अगस्त से 28 सितंबर तक गायब था। अब कर्मचारी इन दोनों कागजातों को वायरल कर पूछ रहे कि आखिर एक तरह के जुर्म के लिए अलग-अलग तरह की सजा क्यों? वैसे प्रबंधक महोदय वरीयता के बावजूद कनीय द्वारा दरकिनार किए जाने की शिकायत को लेकर चर्चित रहे हैैं। इसे मुद्दा बनाकर उन्होंने संगठन के मार्फत कोयला भवन तक शिकायत दर्ज कराई थी।