Weekly News Roundup Dhanbad: बाबू ! रोजगार का सवाल है, भूखे-नंगे हैं तो कुछ भी करेंगे
Weekly News Roundup Dhanbad गरीब होना गुनाह है। और उनकी भूख को गुनाह मानना उससे बड़ा गुनाह। दो गरीब बच्चों की भूख से अंतडिय़ां ऐंठ रही थी। तन पर मैले कपड़े थे।
धनबाद [ अश्विनी रघुवंशी ]। सिंदरी। वही सुंदर जगह जहां मीनाक्षी शेषाद्री जैसी सुंदरी का जन्म हुआ है। जिस खाद कारखाने के कारण कभी सिंदरी का अलग मान होता था, उसी खान कारखाने के बंद होने से सिंदरी की सुंदरता खत्म हो चुकी है। खाद कारखाना की जगह हर्ल कंपनी आ रही है। खाद कारखाना के स्क्रैप को दो साल तक साफ करने वालों को काम पूरा होने के बाद बेरोजगार कर दिया गया। भूखे नंगे वाली हालत हो गयी। किसी भी तरह के रोजगार के लिए हर दरवाजे को खटखटाया। बुजुर्ग नेता रामाश्रय सिंह के पास गए। रामाश्रय ने समझाया कि भूखे नंगे हो चुके हो तो रोजगार के लिए नंग धड़ंग हो जाओ, सब खुद दुखड़ा सुनने आएंगे। 70 कामगार नंगे होकर कारखाना गेट पर खड़े हो गए। सर से पांव तक एक कपड़ा नहीं। केस हुआ। फायदा कि श्रम विभाग उनके नंगापन के कारणों की सुनवाई करेगा।
गुनहगार कुत्ता है या इंसान
गरीब होना गुनाह है। और उनकी भूख को गुनाह मानना उससे बड़ा गुनाह। दो गरीब बच्चों की भूख से अंतडिय़ां ऐंठ रही थी। तन पर मैले कपड़े थे। भोजन की चाहत में भटक रहे थे। सरायढेला के मुरलीनगर में एक आलीशान बंगला देखा। यह बंगला बीसीसीएल के कर्मचारी जहांगीर राम का था। भूख से परेशान दोनों बच्चे उनकी चौखट पर रोटी मांगने पहुंच गए। उम्मीद थी कि अब पेट की मरोड़ जरुर कुछ कम होगी। यह क्या। जहांगीर और उनकी बेटी ने बच्चों पर कुत्ता छोड़ दिया। बच्चे भागने लगे। कुत्ता ने छलांग लगायी। दोनों बच्चे के शरीर पर दांत गड़ा दिए। बच्चों का खून बहने लगा। ट्वीट का जमाना है। मसला डीजीपी तक चला गया। केस हुआ। जहांगीर की बिटिया हाजत में गयी। जहांगीर फरार। जहांगीर का इलाके में भौकाल था। ऐसा करम कि मिनटों में भौकाल खत्म। बताइए कि कुत्ता गुनहगार है या इंसान।
बंट गयी सत्ता की मलाई
सांसद पीएन सिंह के आशीर्वाद से चंद्रशेखर सिंह भाजपा के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। धनबाद जिला की एक धुर हिस्सा भी उनके कार्य क्षेत्र से बाहर नहीं। भाजपा ने संगठनात्मक दृष्टिकोण से धनबाद का दो जिलों में विभाजन कर दिया है, शहरी और ग्र्रामीण। चंद्रशेखर सिंह को दोबारा जिलाध्यक्ष बनाया गया है। सिर्फ शहरी हिस्से का। कभी पूरे घर के मालिक थे, अब आधे हिस्से के रखवाले। बंट गयी सत्ता की मलाई। ज्ञान रंजन ग्र्रामीण जिलाध्यक्ष बने हैं। वही ज्ञान जो टुंडी से पिछला विधानसभा चुनाव निर्दल लड़े थे। झाविमो में थे। बाबूलाल मरांडी की जीवन भर शागिर्दी की। टिकट नहीं दिए तो निर्दलीय लड़ लिए। जमानत जब्त। मरांडी भाजपा में आए तो ज्ञान भी भगवा रंग में रंग गए। मरांडी के सामने भूल चूक मानी। फिर मिला मरांडी का स्नेह। बन गए जिलाध्यक्ष। सबसे अहम। भाजपा कार्यकर्ताओं का स्नेह मिले तभी तो बनेगी बात।
फासला रहे तो सबको सुकून
बरोरा में बीसीसीएल के ब्लॉक दो एरिया का क्षेत्रीय कार्यालय है। बड़े साहब का अलग ही रौब। कोई नजदीक नहीं जाना चाहता था। कोरोना के काल में साहब दो की जगह आठ गज दूरी बरतने लगे थे। बहुत खुश हुए तो दूर से दुआ सलाम। कोरोना की माया अपरंपार है। यह न किसी को राजा मानती है न रंक। कोरोना बड़े साहब के इतने नजदीक चली गयी कि अब खुद ब खुद लोग उनसे दूर भाग रहे हैं। साहब परेशान है कि आखिर गलती कैसे हो गयी। कोरोना से पीछा छुड़ाने में लगे हैं। उनके चुनिंदा करीबी भी परेशान हैं। यह सोच कर हलकान है कि कहीं कोरोना ने उन्हें तो नहीं धर लिया है। कई जांच भी करा चुके हैं। देखिए, साहब किस किस को तोहफा दिए हैं। वैसे, अब सब कह रहे हैं कि साहब से जितना फासला रहे, उतना सुकून है।