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Weekly News Roundup Dhanbad : यह पॉलिटिक्स है बाबू, जिस को भी देखना हो जरा गाैर से देखना

जीटी रोड के किनारे कई हार्डकोक भट्ठे कोयला तस्करों का अड्डा रहे हैं। कुछ में साइकिल तो कुछ में डंपर से चोरी का कोयला बेरोकटोक उतारा जाता रहा है और रात के अंधेरे में अन्य राज्यों को टपाया जाता रहा है। लॉकडाउन में भी धंधा बदस्तूर जारी रहा।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 08:58 AM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 08:58 AM (IST)
देवप्रभा आउटसोर्सिंग कंपनी के विरोध में खड़ीं झरिया की विधायक पूर्णिमा सिंह।

धनबाद [ रोहित कर्ण ]। Weekly News Roundup Dhanbad अर्से तक कोयलांचल में झारखंड नामधारी पार्टियां आदिवासियों की गोलबंदी ही बाबू साहबों के खिलाफ करती रही हैं। उन्हें आदिवासियों का शोषक बताती-जताती रही हैं, मगर अब मामला कुछ अलग ही है। झरिया की विधायक पूर्णिमा सिंह ने एक बाबू साहब की आउटसोर्सिंग का काम बंद करा दिया। कहा- यह आदिवासी की जमीन पर काम कर रहा है। अगले ही दिन उनकी देवरानी ने काम शुरू करवा दिया। हालांकि उन्होंने भी आदिवासियों के साथ नाइंसाफी नहीं होने देने की बात कही। अब आदिवासियों की जमीन छोड़ ओवरबर्डेन डंप किया जा रहा है। मामला विधानसभा पहुंच चुका है। उधर अपने नए रहनुमाओं को देख आदिवासी भी चकराए हुए हैं। वाकई दुनिया गोल है। उधर हाल ही में शुरू इस पैच का ओबी कहां डंप किया जाए, कंपनी इसी सोच में है। उन्होंने मनईटांड़ की तरफ रुख किया तो वहां मूलवासियों ने खदेड़ दिया। मामला आसान नहीं।

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यहां भी बाहरी-भीतरी

नहीं, यह डोमिसाइल का मामला नहीं। बीसीसीएल का ही कर्मचारी है जयकिशोर। जगजीवन नगर गेस्ट हाउस में पोस्टिंग है। आवास के लिए छह बार आवेदन कर चुका है, लेकिन अभी तक मिला नहीं है। दरअसल गेस्ट हाउस से कभी भी कॉल आ जाने की वजह से उसने जगजीवन नगर में ही क्वार्टर देने की मांग रखी है। प्रबंधन इसे स्वीकार नहीं कर रहा। कहना है कि यहां का आवास केंद्रीय अस्पताल के कर्मियों के लिए बना है। यहां बाहरी लोग नहीं रह सकते। बोले तो दूसरे विभाग के लोग। यह अलग बात है कि इसी जगजीवन नगर में सैकड़ों क्वार्टर अवैध कब्जे में हैं। एक दबंग महिला द्वारा किराए पर लगाए जाने का मामला गरमाया हुआ है। उस पर सरायढेला थाना में केस भी किया गया है। क्वार्टर बनानेवाले ठेकेदार और खटालवालों ने भी कई पर कब्जा जमा रखा है। वे बाहरी नहीं हैं? सवाल वाजिब है।

आवास है कि बखेड़ा 

कभी 92 हजार कर्मचारियों वाले बीसीसीएल में अब मात्र 42,487 ही बचे हैं। इस बीच 40 हजार के करीब नए आवास बनाए गए हैं। इनमें अधिकांश खाली पड़े हैं। बावजूद आवास विवाद आए दिन लगा रहता है। कभी आवास नहीं मिलने का दुखड़ा तो कभी आवासों पर कब्जे का। अभी दामोदा कोलियरी के संयुक्त मोर्चे ने आवासों की मरम्मत में गड़बड़झाले की शिकायत कर दी। बीसीसीएल मुख्यालय से लेकर सतर्कता विभाग तक चिट्ठी लिखी गई। आरसीएमएस नेता राजेंद्र सिंह के मुताबिक ग्लोबल टेंडर में आवासों की पूरी तरह मरम्मत करना था। हालांकि वह नहीं हुआ। सामग्री में मिलावट से लेकर हर तरह से अनियमितता बरती गई। शिकायत पर जांच को कमेटी भी बनी, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन बात वाली रही। किसी पर कोई कार्रवाई नहीं। 640 में 150 के लगभग क्वार्टर जिनमें बीसीसीएल कर्मी रहते हैं, की खानापूर्ति कर मामला सलटा दिया गया है।

कोयला चोरों ने अड्डा ही बदला

जीटी रोड के किनारे कई हार्डकोक भट्ठे कोयला तस्करों का अड्डा रहे हैं। कुछ में साइकिल तो कुछ में डंपर से चोरी का कोयला बेरोकटोक उतारा जाता रहा है और रात के अंधेरे में अन्य राज्यों को टपाया जाता रहा है। लॉकडाउन में भी धंधा बदस्तूर जारी रहा। हालांकि पिछले कुछ दिनों से चल रही सख्ती की वजह से इस धंधे में मंदी भी आई थी। साइकिल तो चल रही थी, डंपर नहीं। शातिरों ने रास्ता निकाला। अब अड्डा ही बदल दिया है। यकीन मानिए, बलियापुर इन दिनों कोयला चोरी के सबसे बड़े अड्डे के रूप में जगह बना रहा है। यहां के कई भट्ठे संलग्न हैं। रात के अंधेरे में लोदना, घनुडीह इलाके से दर्जनों डंपर सीधे यहां पहुंच रहे हैं। सुबह होने तक धंधा चलता रहता है। ऐसा नहीं कि वारे-न्यारे की जानकारी नहीं, मगर कोरोना काल है, कमाई...। समझ गए ना!


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