Weekly News Roundup Dhanbad: नौकरिया बची कि ना... जानिए सीएमपीएफओ में टेंशन की वजह
Weekly News Roundup Dhanbad धनबाद नगर निगम में इन दिनों ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल चल रहा है। मलाईदार अंचल से कनीय पदाधिकारियों का तबादला मुख्यालय में कर दिया गया है।
धनबाद [ आशीष अंबष्ठ ]। Weekly News Roundup Dhanbad कोल माइंस भविष्य निधि संगठन कार्यालय में हलचल मची है। 50 साल की उम्र या 30 साल नौकरी जिसने कर ली, उनकी सूची केंद्र सरकार ने मांगी है। फाइल तैयार हो रही हैं। इसकी भनक से ही कर्मचारी छोडि़ए अधिकारियों के भी पसीने छूट रहे हैं। चिंता इस बात की है कि नौकरी पर आंच न आ जाए। यूं तो सीएमपीएफ वैसे भी मलाई के मामले में बड़ा अड्डा माना जाता है। इसलिए नौकरी कैसे बचे, इस जुगत में सभी लगे हैं। बड़ा बाबू से भी खूब चिरौरी हो रही, नौकरिया बची कि ना। आपके हाथ में है। एक ही याचना, बड़ा बाबू जरा जोड़ ठीक से करना, एक दिन भी गिनती में कम हो रहा हो तो फाइल न भेजना। बड़ा बाबू भी फूल कर कुप्पा हैं। इतना सम्मान तो कभी नहीं मिला। मन ही मन मुदित हैं, अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे।
सब्र का फल मीठा
धनबाद नगर निगम में इन दिनों ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल चल रहा है। मलाईदार अंचल से कनीय पदाधिकारियों का तबादला मुख्यालय में कर दिया गया है। तीन सिटी मैनेजर को झरिया, धनबाद और छाताटांड़ का कार्यपालक पदाधिकारी बनाया गया है। अभी तक ये आइएएस आइपीएस अधिकारियों की तरह प्रतीक्षा सूची में पड़े थे। बेचारे परेशान थे, काम नहीं था। इसी बीच नगर आयुक्त बदले। बस क्या था इनके तो दिन ही फिर गए। दूसरी ओर अब तक कार्यपालक पदाधिकारी की भूमिका निभा रहे अधिकारी शंटिंग में चले गए। मुख्यालय से अटैच हो गए। वे इन दिनों गुणा गणित में लगे हैं। आखिर कुछ काम तो चाहिए ना। खैर कुछ भी हो, हालिया हुए खेल से नगर निगम में इन दिनों एक मुहावरा खूब बोला जा रहा है, घूरे के भी दिन फिरते हैं भइया, फिर ये तो अधिकारी हैं। सब्र किए थे, सो मीठा फल पाए।
साहब गुस्सा हो गए तो...
एसडीओ साहब सुबह अपने समय पर कार्यालय पहुंच रहे हैं। सभी कर्मचारियों की जानकारी ले रहे हैं। कर्मी भी नब्ज भांप गए हैं। सो कार्यालय में राइट टाइम पहुंच रहे हैं। साहब से भी पहले। इधर साहब ने एक फरमान दिया है, कोविड डाटा की पंजी अपटेड रहे। साहब हर दिन अपडेट मांगते हैं। नतीजा जल्दी आना और देर से जाने का लफड़ा हो गया है। रोजमर्रा का काम अलग। एसडीओ कार्यालय में शादी, विवाह, भोज कार्यक्रमों की अनुमति के लिए भी आवेदनों का अंबार लगा है। उनको भी निपटाना है। कर्मियों के होश फाख्ता तो हैं पर इन दिनों चूं भी नहीं कर रहे। पूरी शिद्दत से काम में लगे हैं। आखिर करें भी तो क्या। साहब नए हैं। अभी ठीक से उनको सभी समझ भी नहीं पाए हैं। यदि किसी बात पर गुस्सा हो गए तो क्या होगा। बस काम करे जा रहे हैं।
कर्मचारियों की नो एंट्री
डीसी उमाशंकर सिंह को योगदान दिए दो माह हो रहे हैं। इस दौरान अपने कड़क स्वभाव की छाप छोड़़ चुके हैं। आते ही कर्मचारियों को फरमान दिया था, हर काम नियमों के पालन के साथ समय पर करें। कोरोना काल में उनके तेवर सभी ने देख लिए हैं। सो उनके अनुसार काम करने की आदत डाल रहे हंै। इधर हाल के दिनों में डीसी साहब के तेवरों ने कर्मियों को अंदर तक हिला दिया है। पुराने वाले डीसी तो बैठक में कर्मियों को बुला लेते थे। कर्मी भी मदद करने को हमेशा तत्पर। उनकी आवाज आई और आंकड़े हाजिर। ये वाले साहब तो बैठक में कर्मियों को देखना भी नहीं चाहते। हाल में एक बैठक हुई तो कर्मचारियों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। आखिर उनका इस बैठक में क्या काम। कर्मी परेशान, आखिर क्या जुगत करें कि साहब के करीबी बन जाएं।