Weekly News Roundup Dhanbad : कोरोना की ऐसी-तैसी, हम तो करेंगे ऑफिस खोलकर विकास
देश का सबसे बड़ा पुनर्वास अभी लटका ही रहेगा। जी हां हम बात कर रहे हैं झरिया के अग्नि प्रभावित क्षेत्र में रह रहे लोगों के पुनर्वास की। पहल की बात करें तो 21 बार इस मामले को लेकर उच्चस्तरीय बैठक हो चुकी है। फाइलें भी मोटी हो गई हैं।
धनबाद [ आशीष अंबष्ठा ]। Weekly News Roundup Dhanbad कोरोना काल में विशेष सावधानी को लेकर कई नियम-कानून हैं। लोगों पर प्रशासन सख्ती बरत भी रहा है, लेकिन महकमे में ही इसका पालन नहीं किया जा रहा है। बात कंबाइंड बिल्डिंग के डीआरडीए कार्यालय की है। पिछले दिनों यहां कई कर्मचारी संक्रमित मिले। उसके बाद भी ऑफिस को बंद नहीं किया गया। और तो और, इसको सैनिटाइजेशन भी नहीं किया गया। अब यहां जो इक्का-दुक्का कर्मचारी ड्यूटी कर रहे हैं, वो डरे हुए हैं। काम करना है, इसलिए कुछ बोल भी नहीं सकते। दरअसल, डीसी ऑफिस में जब कोरोना मरीज पाए गए थे तो उसे दो दिन के लिए बंद कर दिया गया था। अब इस मामले में क्या कहा जाए। वैसे चर्चा जरूर है कि जब वहां तो यहां क्यों नहीं? गाइडलाइन भी है कि सरकारी कार्यालयों को रोज खुलने से पहले, शिफ्ट बदलने और बंद होने के बाद सैनिटाइजेशन करना है, लेकिन...।
पुनर्वास में गुजर जाएंगी सदियां
देश का सबसे बड़ा पुनर्वास अभी लटका ही रहेगा। जी हां, हम बात कर रहे हैं झरिया के अग्नि प्रभावित क्षेत्र में रह रहे लोगों के पुनर्वास की। पहल की बात करें तो 21 बार इस मामले को लेकर उच्चस्तरीय बैठक हो चुकी है। जाहिर है, फाइलें भी मोटी हो गई हैं। झरिया पुनर्वास एवं प्राधिकार की गति को आगे बढ़ाने के लिए एडवाइजर तक रखे गए हैं, लेकिन असल स्थिति क्या है यह तो आंकड़े बता ही दे रहे हैं। मंत्री जी के दावे के अनुसार 12 साल में यहां के अग्नि प्रभावित लोगों का विस्थापन करना है। अब जब पुनर्वास का समय समाप्त होने को है तो मुआवजा नीति तय हो रही है। लग तो यही रहा है कि इसे पूरा करने में और एक सदी भी शायद कम पड़ जाए। तब तक दिल को खुश रखने को आश्वासनों का पुलिंदा काफी है।
निधि बनी अब सुनिधि
सीएमपीएफ इंटरनल ऑनलाइन व्यवस्था को 2006 में निधि नाम दिया गया था, जो बाद में पूरी तरह फेल हो गई। अब इसे फिर से चालू करने की कवायद शुरू हो गई है। 2 अक्टूबर को इसकी री लॉङ्क्षचग की जाएगी। अब इसका नाम सुनिधि दिया गया है। इसके सफल क्रियान्वयन को लेकर रोज पिछले एक माह से सात घंटे की ट्रेङ्क्षनग चल रही है, वो भी वर्किंग आवर में। नजर भी रखी जा रही है। इसके चालू होने से मैनुअल काम करने के नाम पर विलंब करने वाले की बहानेबाजी अब नहीं चलेगी। कोयला मंत्री भी सक्रिय हैं। 25 दिसंबर तक ऑनलाइन करने का निर्देश दिया है, ताकि घर बैठे सीएमपीएफ के सदस्य अपना सारा सेटलमेंट स्वयं कर सकें। अब मंत्री के आदेश के बाद तो इसे समय पर पूरा करना ही है। सो अफसरों की नींद भी उड़ी हुई है। पूरा जोर लगा रहे हैं।
राशन-किरासन के लिए शीर्षासन
झारखंड सरकार ने ग्रीन राशन कार्ड के लिए लोगों से ऑनलाइन आवेदन करने की अपील की है। 30 सितंबर तक अंतिम तारीख है, लेकिन ऑनलाइन काम नहीं हो पा रहा है। अब सोच ही सकते हैं। इस कारण राशन कार्ड की चाह रखने वालों को भारी परेशानी हो रही है। पहले तो फॉर्म के लिए पंचायत प्रतिनिधियों व पार्षद के पास चक्कर लगाना पड़ा। उसे किसी तरह भर भी लिया तो इसके बाद की प्रक्रिया दर्द-ए-दिल हो गई। आगे भी तो काम है। आवेदनों का सत्यापन कर सूची प्रकाशित करनी है। जिले से लेकर पंचायतों तक फाइलें अपडेट हो रही हैं। जिम्मेवार लोगों का रोज ही समय इसमें गुजर रहा है। हर शाम मुख्यालय से आंकड़ों का मिलान किया जा रहा है। कवायद तो तमाम चल रही है और बेचारी जनता ही पिस रही है। ठीक ही कहा- राशन-किरासन के चक्कर में जनता लगा रही शीर्षासन।