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Weekly News Roundup Dhanbad: भैया चुनाव लड़ जाएं का... झारखंड में दिख रही बिहार की चुनावी तपिश

झरिया प्रखंड की बात ही निराली है। यह तो सभी जानते हैं कि झरिया प्रखंड हो या विधानसभा क्षेत्र एक परिवार का खासा वर्चस्व है। परेशानी यह है कि अब परिवार ही एक नहीं रहा। एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिशें अनवरत चलती रहती हैं। ताजा प्रकरण बस्ताकोला में है।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2020 08:21 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 08:21 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: भैया चुनाव लड़ जाएं का...  झारखंड में दिख रही बिहार की चुनावी तपिश
पड़ोसी राज्य बिहार में चुनाव की तपिश धनबाद में दिख रही।

धनबाद [ आशीष झा ]। Weekly News Roundup Dhanbad बिहार में चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। उसकी तपिश से झारखंड भी अछूता नहीं है। झारखंड की कौन कहे, धनबाद से कई दावेदार बिहार में अपने क्षेत्र व पटना तक की दौड़ लगा रहे हैं। लगातार धनबाद में बैठे शुभचिंतकों से मशविरा ले रहे कि भैया चुनाव लडऩा ठीक रहेगा क्या। सलाह भी खूब दी जा रही कि बाबू पैसा मिल रहा है तो लड़ जाओ, आगे का भी रास्ता खुल जाएगा। हां, यदि अपना पैसा लगाना पड़े तो मत लडऩा। बिहार में एक विदेश में पढ़ी-लिखी मैडम धूम मचा रही हैं। पढ़े-लिखे लोगों को चुनकर टिकट दे रही हैं। फाइनांस भी खूब हो रहा है सो लड़ाई दिलचस्प होनेवाली है। धनबाद प्रखंड से ही एक गुरुजी तीन महीने के नोटिस पर स्कूल छोड़कर बिहार में कैंप कर रहे हैं। पुराने जनसंघी रहे हैं सो उनका आधार भी है। आगे भगवान मालिक।

दो मैडम के चक्कर में...
झरिया प्रखंड की बात ही निराली है। यह तो सभी जानते हैं कि झरिया प्रखंड हो या विधानसभा क्षेत्र, एक परिवार का खासा वर्चस्व है। परेशानी यह है कि अब परिवार ही एक नहीं रहा। एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिशें अनवरत चलती रहती हैं। ताजा प्रकरण बस्ताकोला में है। एक आउटसोॄसग में परिवार की एक मैडम मजदूरों की मांग पर काम रुकवा देती हैं तो दूसरी मैडम दूसरे दिन काम शुरू करवा देती हैं। एक हक की मांग करती हैं तो दूसरी रोजगार की बात समझाती हैं। दोनों में दम है लेकिन इन सबके बीच काम करनेवाले बेदम हो रहे। परेशानी यह है कि जल में रहकर मगर से बैर लेकर रह नहीं सकते और यदि एक की बात मानते हैं तो दूसरा टार्गेट में ले लेगा। काम बंद हुआ तो भूखों मरेंगे और चालू हुआ तो तनाव बढ़ेगा। अब भगवान ही बचाए।

जनता बेचैन, साहब मौन
आमागाटा बिजली सब स्टेशन के अधिकारी व कर्मचारियों की बात ही निराली है। इनके ही रहमोकरम पर गोविंदपुर प्रखंड की हजारों की जनता रोशन होती है या अंधकार में रहती है। गोविंदपुर प्रखंड का अधिकतर इलाका आमाघाटा बिजली सब स्टेशन के अधीन आता है। जाहिर है फोन भी उसी अनुपात में आएंगे। अब अमेरिका तो है नहीं कि बिजली कटेगी ही नहीं, किसी न किसी कारण से बिजली कहीं न कहीं कटी ही रहती है। जनता के दिखावे के लिए फोन नंबर भी जारी कर दिया जाता है लेकिन यह किसी सरदर्द से कम नहीं। कहीं तार गिर गया हो या कहीं जल्द से जल्द बिजली कटवानी हो, आम जनता फोन कर-करके परेशान हो जाती है, लेकिन सरकारी फोन रिसीव नहीं होता। होगा भी कैसे, सरकारी काम की तरह उसे भी भगवान भरोसे ही छोड़ दिया गया है। अब कुछ हो जाए तो जिम्मेदार कौन।

घर-घर जुगाड़ हो रहा काम
मनरेगा में काम को लेकर जबर्दस्त रस्साकसी है। अब मनरेगा आयुक्त के निर्देश पर पूरे राज्य में टीम घर-घर जाकर लोगों से पूछ रही है, मनरेगा में काम चाहिए क्या। अब दरवाजे पर आकर कोई काम दे रहा तो कौन मना करेगा भला, जो मिट्टी काटने का काम कभी नहीं करेंगे वो भी नाम लिखवा दे रहे हैं। क्या पता खाते में ही पैसा आ जाए। काम की मांग की लिस्ट तैयार कर टीम के सदस्य वाट्सएप पर जारी कर देते हैं। अब  मुखिया, पंचायत सेवक व रोजगार सेवक समझें कहां काम देना है। कई प्रखंड हैं जहां की पंचायतों में मिट्टी का काम है ही नहीं,लेकिन वहां भी टीम काम बटोरकर ले आ रही है। उन्हेंं काम देने का अब अलग ही टेंशन है। सब मगजमारी कर रहे हैं कि आखिर उन्हेंं तो नजदीकी दूसरी पंचायतों में ही काम करने जाना होगा।

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