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कोई ध्‍यान नहीं दे रहा; कोरोना काल में छोटकी बौआ में जलसंकट से जूझते लोग Dhanbad News

बाघमारा प्रखंड के बौआकला दक्षिण पंचायत अंतर्गत छोटकी बौआ बस्ती के ग्रामीण जलसंकट की गंभीर समस्या से त्रस्त हेै। करीब पाँच सौ की आबादी वाले इस बस्ती में पानी की कोई सुविधा नहीं है। 26 किलो मीटर की दूरी पर अवस्थित इस बस्ती के चारो तरफ कोलियरी क्षेत्र है।

By Atul SinghEdited By: Published: Mon, 17 May 2021 05:43 PM (IST)Updated: Mon, 17 May 2021 07:12 PM (IST)
26 किलो मीटर की दूरी पर अवस्थित इस बस्ती के चारो तरफ कोलियरी क्षेत्र है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

निचितपुर, जेएनएन : बाघमारा प्रखंड के बौआकला दक्षिण पंचायत अंतर्गत छोटकी बौआ बस्ती

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के ग्रामीण जलसंकट की गंभीर समस्या से त्रस्त हेै। करीब पाँच सौ की आबादी वाले इस बस्ती में पानी की कोई सुविधा नहीं है। प्रखंड मुख्यालय से करीब 26 किलो मीटर की दूरी पर अवस्थित इस बस्ती के चारो तरफ कोलियरी क्षेत्र है।

यहां हमेशा जलसंकट की समस्या रहती है। इसके कारण यहाँ के ग्रामीणों को सालों भर पानी के लिए भाग दौड़ करना पड़ता है। ग्रामीण करीब एक डेढ़ किलो मीटर दूर रेंगुनी मल्लाह बस्ती व बसेरिया बस्ती रेलवे लाईन के समीप के नल से पानी लाकर अपना काम चलाते हेै। महिलाएं माथे पर डेगची से तो पुरुष बाइक व साईकिल से ढोते हैं। बस्ती के कुछ ग्रामीण तो पानी खरीद कर काम चलाते हैं।

ग्रामीण कहते हैं कि इस बस्ती में पानी की कोई सुविधा नही है। यहां न तो चापानल है और न ही कुआं। कोलियरी क्षेत्र होने के कारण यहाँ कुआँ व चापानल सफल नहीं होता हेै। ग्रामीणों कहते हैं कि इस बस्ती की सूध लेने वाला कोई नहीं है। कहा कि यदि यहाँ पिट वाटर की आपूर्ति करा दी जाती तो ग्रामीणों को बहुत सहुलियत हो जाती। 

ऐसे हो सकता है समाधान :-- पाईप लाईन बिछाकर इस गाँव में जलापूर्ति की जाये तो ग्रामीणों को जलसंकट की गंभीर समस्या से निजात मिल सकती है। 

पानी की सुविधा नही होने के कारण यहां के ग्रामीणों को सालों भर पानी की गंभीर समस्या से जूझना पड़ता है। ग्रामीणों को पानी की तलाश में दर दर भटकना पड़ता है।

अजीत रजक, ग्रामीण

इस बस्ती में पानी की कोई सुविधा नही हेै। घर का सारा काम छोड़कर सबसे पहले पानी की जुगाड़ के लिए घर से निकलना पड़ता है। करीब एक किमी दूर रेंगुनी मल्लाह बस्ती व करीब डेढ़ किमी दूर बसेरिया बस्ती रेल लाईन के पास के नल से पानी लाना पड़ता हेै।

महेश रजक , ग्रामीण


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