Jharkhand: गांव-पंचायत में विवाद का नया केंद्र क्वारंटाइन सेंटर, गिरिडीह में बाहर निकल घूमने का किया विरोध तो ले ली जान
क्वारंटाइन में होने के बावजूद रोहित नियमित तौर पर अपने घर जाता था। उसके चचेरे भाई ने घर के बगल में ईंट भट्ठा भी लगाया था। ईंट भट्ठा में खान पान होता था।
गिरिडीह [ दिलीप सिन्हा ]। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जबसे गांव-पंचायतों में क्वारंटाइन सेंटर की व्यवस्था की गई है रोज नया-नया विवाद सामने आ रहा है। इन सेंटरों में तो हंगामा और मारपीट सामान्य बात हो गई है। पंचायत भवन में क्ववारंटाइन लोग भाग जाते हैं। पुलिस तलाश करती रहती है। पुलिस पर ही हमला किया जा रहा है। गिरिडीह में पुलिस अनुसंधान के दाैरान हैरान करने वाली बात सामने आई है। एक व्यक्ति की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी गई कि उसने क्वारंटाइन व्यक्ति को बाहर निकल घूमने से मना किया था।
क्वारंटाइन विवाद पर गांव में हुई पंचायती
मई की 11 तारीख को बिरनी में धर्मपुर गांव के चेतन आहार टोला में रहने वाले नारायण महतो उर्फ शुकर की हत्या हो गई। नारायण महतो सेल की चासनाला कोलियरी के सेवानिवृत कर्मचारी थे। हत्या के बाद प्रारंभिक अनुसंधान में यह बात आयी कि रास्ते की जमीन के पुराने विवाद में यह कांड हुआ है। अनुसंधान और आगे बढ़ा तो खुलासा हुआ कि पांच मई को गुजरात के सूरत से रोहित वर्मा आया था तो उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में उसके रहने की व्यवस्था की गई थी। क्वारंटाइन सेंटर में रहते हुए वह अपने घर के साथ गांव में और जगहों पर आना जाना करता था। गांव की पंचायत में लोग बैठे थे तो नारायण महतो ने इस पर आपत्ति की। विवाद बढ़ता गया। इसके बाद क्वारंटाइन सेंटर से आकर प्रवीण वर्मा और गांव में रहने वाले उसके भाई व परिजनों ने मिल कर नारायण महतो को जान से मार डाला। बता दें कि चासनाला कोलियरी से सेवानिवृत होने के बाद डेढ़ साल पहले नारायण गांव में रहने लगे थे।
सूरत से पांच मई को 14 प्रवासियों के साथ लाैटा रोहित
दरअसल, रोहित वर्मा सूरत में एक कपड़ा मिल में पिछले छह साल से काम कर रहा था। पांच मई को रोहित समेत 14 प्रवासी मजदूर सूरत से आये थे। प्रारंभिक जांच के बाद सभी लोगों को गांव के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय में क्वारंटाइन किया गया था। क्वारंटाइन में होने के बावजूद रोहित नियमित तौर पर अपने घर जाता था। उसके चचेरे भाई ने घर के बगल में ईंट भट्ठा भी लगाया था। ईंट भट्ठा में खान पान होता था तो उसमें रोहित भी शरीक होता था। रोहित के घर पर दूसरे गांवों से रिश्तेदार भी लगातार आना जाना कर रहे थे। इससे गांव के और लोगों में कोरोना के संक्रमण का भय बढ़ रहा था। इसी माहौल में 11 मई की शाम गांव के चबूतरे पर बैठ कर लोग चर्चा कर रहे थे। बतकही में रोहित का चचेरा भाई हरि वर्मा बोलने लगा कि हम लोगों के इलाके में कोरोना तेजी से फैल रहा है। इस पर नारायण महतो और चिंतामणि वर्मा ने त्वरित टिप्पणी की कि उसके परिवार के लोगों के कारण ऐसा हो रहा है। रोहित क्वारंटाइन में होने पर भी गांव में घूम रहा है। इस पर रोहित के बड़े भाई नारायण वर्मा समेत और परिजन गुस्सा गये। हो हल्ला शुरू हुआ तो नारायण वर्मा ने अपने भाई रोहित को आवाज लगायी। क्वारंटाइन सेंटर से दौड़ते हुए रोहित आया और नारायण महतो उर्फ शुकर पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। इसके बाद गांव के लोग दो समूह में बंट गये। एक दूसरे पर पथराव किया। मृतक नारायण महतो के पुत्र रितेश कुमार वर्मा ने प्रवासी मजदूर रोहित समेत उसके परिवार के दस लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी है।
पांच साल पहले रास्ते के लिए हुई थी मारपीट
नारायण महतो उर्फ शुकर की हत्या के बाद यह प्रचारित किया गया कि पुराने विवाद में मर्डर हुआ है। दरअसल, पांच साल पहले रास्ते की जमीन को लेकर नारायण महतो उर्फ शुकर महतो और रोहित वर्मा के परिजनों के बीच मारपीट हुयी थी। मुकदमा भी हुआ था। दोनों पक्ष सुलह के लिए राजी थे। इसी बीच कोरोना के संक्रमण के भय के कारण हुए विवाद में जान चली गयी।