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फ्लैट में बसने काे तैयार नहीं गांव के रैयत, जेआरडीए बीसीसीएल के 8000 आवासाें में रैयताें का करना चाहता है पुनर्वास Dhanbad News

झरिया पुनर्वास व विकास प्राधिकार (जेआरडीए) ने रैयताें काे बीसीसीएल के 8000 खाली पड़े आवासाें में बसाने का निर्णय लिया है। ये आवास करमाटांड़ कुसुम विहार कार्मिक नगर कोयला नगर जगजीवन नगर में बने हैं। इन्हें अग्नि प्रभावित क्षेत्राें में रह रहे बीसीसीएल कर्मचारियों के लिए बनाया गया था।

By Sagar SinghEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 08:33 AM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 08:39 AM (IST)
फ्लैट में बसने काे तैयार नहीं गांव के रैयत, जेआरडीए बीसीसीएल के 8000 आवासाें में रैयताें का करना चाहता है पुनर्वास Dhanbad News
जेआरडीए ने रैयताें काे बीसीसीएल के 8000 खाली पड़े आवासाें में बसाने का निर्णय लिया है। (प्रतीकात्मक फोटो)

धनबाद, जेएनएन। झरिया पुनर्वास व विकास प्राधिकार (जेआरडीए) ने रैयताें काे बीसीसीएल के 8000 खाली पड़े आवासाें में बसाने का निर्णय लिया है। ये आवास करमाटांड़, कुसुम विहार, कार्मिक नगर, कोयला नगर, जगजीवन नगर में बने हैं। इन्हें अग्नि प्रभावित क्षेत्राें में रह रहे बीसीसीएल कर्मचारियों के लिए बनाया गया था। हालांकि वे इन आवासाें में शिफ्ट नहीं हुए। कुछ आवासों में ही कर्मचारियों को शिफ्ट किया जा सका। अधिकांश वर्षाें से खाली पड़े हैं। लिहाजा बीसीसीएल ने इन आवासों को अब पुनर्वास के लिए जेआरडीए को देने का फैसला किया है।

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क्याें नहीं शिफ्ट हुए बीसीसीएल कर्मचारीः बीसीसीएल के खाली पड़े आवासाें में ए, बी व सी टाइप क्वार्टर हैं। ये आवास मुख्यालय के ताे करीब हैं लेकिन काेलियरी से दूर। लिहाजा कर्मचारियों ने आवागमन की सुविधा की कमी, कार्यस्थल से दूरी, बच्चाें की शिक्षा को देखते हुए इनमें शिफ्ट हाेना ठीक नहीं समझा। दबाव पर कुछ ही कर्मचारी शिफ्ट हाे सके। इन आवासाें में कम जगह व छाेटे-छाेटे कमराें की शिकायत भी की गई। निर्माण में खामियां भी एक वजह बताई जा रही है जिसकी वजह से कर्मचारी यहां रहना नहीं चाहते।

रैयताें की राय :

  • फ्लैट में यदि जेआरडीए पुनर्वास करना चाहती है ताे उसमें गांव के लाेग रहना पसंद नहीं करेंगे। हम लोगों ने पहले ही झरिया विहार कॉलोनी बेलगढ़िया में आवास लेने से मना कर दिया था। बीसीसीएल और जेआरडी के साथ हुई त्रिपक्षीय वार्ता में भी यह सहमति बनी थी कि गांव वालाें काे डूप्लेक्स जैसा आवास दिया जाए। खेती की जमीन के बदले मुआवजा व नाैकरी दी जाए। जब तक इन बाताें पर नीतिगत निर्णय नहीं हाे जाता और लिखित समझाैता नहीं हाे जाता हम अपनी जमीन नहीं छाेड़ेंगे। -सुरेश महताे, रैयत सह भाजपा नेता।

  • दाे कमरे के फ्लैट में हमलाेग कैसे रहेंगे। हमारे पास हल, बैल, गाय भी हैं। उन्हें कहां रखेंगे। फ्लैट में गांव के रैयत रह ही नहीं सकते। हमारी शुरू से ही मांग है कि बीसीसीएल जमीन का अधिग्रहण कर नई बस्ती या गांव बसाए जहां रैयताें काे पुनर्वासित किया जाए। फ्लैट ताे अग्निप्रभावित क्षेत्र के ऐसे लाेगाें के लिए बनना था जिनकी अपनी जमीन नहीं। -विष्णु महताे, तेतुलमुरी बस्ती।
  • करमाटांड़ या कुसुम विहार में हमलाेग नहीं रहेंगे। वहां के क्वार्टर अब पुराने हाे चुके हैं। करमाटांड़ ताे काफी विवादित रहा है, यह काैन नहीं जानता है। अग्नि प्रभावित इलाके से हटने का यह मतलब नहीं कि कंपनी कहीं भी बसा दे और हम चले जाएं। हम जहां भी जाएंगे वहां रहने के लिए निजी मकान मिलेगा तभी जाएंगे। वार्ता में बीसीसीएल अधिकारियाें ने बताया भी था कि दाे-तीन जगह जमीन चिह्नित किया गया है जहां रैयताें के लिए नए आवास बनाए जाएंगे। -मनाेज महताे, तेतुलमुरी।
  • तेतुलमुरी बस्ती अग्नि प्रभावित है। यहां से पुनर्वास ताे करना है लेकिन फ्लैट में नहीं। अधिकांश संयुक्त परिवार है। यहां अपने हिसाब से रहते हैं। दाे कमरे के फ्लैट में पिता-माता और उनके युवा बच्चे कैसे रह सकेंगे। वहां एक बार पुनर्वास के बाद काेई बदलाव भी नहीं हाेगा। यहां हमलाेग जरूरत से हिसाब से मकान बना सकते हैं। सर्वे के दाैरान माता-पिता के परिवार काे ही यूनिट माना गया। उनके बच्चाें की शादी हुई ताे उनका परिवार कहां रहेगा। एक व्यक्ति काे कितना फ्लैट मिलेगा यह बीसीसीएल तय करे। -सुदामा महताे, ग्रामीण, तेतुलमुरी।
  • यह निर्णय गलत है। त्रिपक्षीय वार्ता में इस तरह की बात नहीं हुई थी। बीसीसीएल और जेआरडीए को अपने वादे पर कायम रहना चाहिए नहीं ताे विराेध हाेगा। कुछ जमीन काे बीसीसीएल अपनी बता रही है जबकि ग्रामीण अपनी। इस मुद्दे काे सीओ के साथ मिलकर सुलझाने की बात की गई थी। इस दिशा में अभी तक काेई कार्रवाई अभी तक नहीं की गई। पहले जमीन विवाद का निपटारा किया जाए उसके बाद ही पुनर्वास पर बातचीत हाे। -द्वारिका प्रसाद महताे, तेतुलमुरी।
  • बीसीसीएल में दाे एकड़ पर एक काे नाैकरी का प्रावधान है। जेआरडीए ने अभी इस दिशा में कुछ तय नहीं किया। किसके पास कितनी जमीन है, किसे नाैकरी मिलेगी किसे नहीं, जिन्हें नाैकरी नहीं मिलेगी उन्हें मुआवजा क्या मिलेगा, यह सब तय किए बगैर पुनर्वास पर बात करना ही बेमानी है। पुनर्वास जब भी हाेगा पूरे पैकेज के तहत हाेगा अन्यथा नहीं। हम अपना गांव छाेड़ कर कहीं भी नहीं जा सकते। फ्लैट में ताे बिल्कुल नहीं। वहां बीसीसीएल अतिक्रमणकारियाें काे बसाए वही ठीक रहेगा। -कृष्णा महताे, ग्रामीण

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