पुलिस की लापरवाही से थाने में सड़ रहे बीमा कंपनी के करोड़ों के वाहन, क्लेम देने के बाद भी नहीं मिल पाती गाड़ी
विभिन्न बीमा कंपनी व पुलिस की लापरवाही से धनबाद के विभिन्न थानों में जब्त करोड़ों की गाडि़यां सालों से सड़ रही हैं। कुछ संपत्ति को चाहे तो बीमा कंपनी आसानी से प्राप्त कर सकती है लेकिन इसके लिए पुलिस तथा बीमा कंपनी के बीच आपसी समन्वय का घोर अभाव है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: विभिन्न बीमा कंपनी व पुलिस की लापरवाही से धनबाद के विभिन्न थानों में जब्त करोड़ों की गाडि़यां सालों से सड़ रही हैं। कुछ संपत्ति को चाहे तो बीमा कंपनी आसानी से प्राप्त कर सकती है, लेकिन इसके लिए पुलिस तथा बीमा कंपनी के बीच आपसी समन्वय का घोर अभाव है।
पिछले कुछ महीनों में धनबाद से दर्जनों वाहन चोरी हुए। जिनकी बीमा पॉलिसी थी, उसके मालिक ने तो बीमा कंपनी में क्लेम कर दूसरी गाड़ी या निर्धारित मुआवजा राशि ले ली, लेकिन चोरी हुई गाड़ी पुलिस द्वारा बरामद किए जाने के बाद थाने में सड़ती रहती है। चूंकि उस बरामद गाड़ी के बदले में मुआवजा राशि बीमा कंपनी गाड़ी के मालिक को दे चुकी होती है, लिहाजा बरामद गाड़ी बीमा कंपनी को मिलनी चाहिए, पर ऐसा हो नहीं पाता है। इसकी वजह है कि गाड़ी बरामद हो जाने की जानकारी पुलिस द्वारा बीमा कंपनी को नहीं दी जाती है और ना ही बीमा कंपनी इस संबंध में कोई जानकारी हासिल करने का प्रयास करती है। आमतौर पर यह समस्या केवल धनबाद में ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य में है। क्लेम देने के बाद भी बीमा कंपनी को बरामद गाड़ी नसीब नहीं होती है।
क्लेम देने से पहले ओनर से वाहन के कागजात ले लेती है बीमा कंपनी
मालूम हो कि चोरी हुए वाहन का क्लेम देने के दौरान बीमा कंपनी ओनर से वाहन के कागजात जमा ले लेती है, इसके बाद ही ओनर को क्लेम मिल पाता है। गाड़ी मालिक को जब बीमा कंपनी से मुआवजा मिल जाता है तो उसका उस गाड़ी से मालिकाना हक समाप्त हो जाता है। चूंकि गाड़ी का पेपर भी उसके पास नहीं रहता है, लिहाजा बरामद गाड़ी को वापस हासिल करने के लिए वह दोबारा दावेदारी पेश भी नहीं कर सकता है। ऐसे में अगर बरामद गाड़ी कोई हासिल कर सकता है तो वह बीमा कंपनी ही है, पर वह भी दिलचस्पी नहीं दिखाती है।
चोरी गए सैकड़ों वाहनों का क्लेम ले चुके हैं वाहन मालिक
आमतौर पर वाहन चोरी के मामले में पुलिस पहले कुछ दिनों तक चोर का सुराग तलाशने की कोशिश करती है, लेकिन जब सुराग नहीं मिल पाता है तो वैसे मामले में पुलिस एफआरटी (घटना सत्य परंतु सूत्रहीन) दर्शाते हुए फाइल क्लोज करती है। इसके बाद वाहन मालिक को बीमा कंपनी से मुआवजा मिलता है। पिछले कुछ महीनों में जिले के विभिन्न थानों में दर्ज सैकड़ों वाहन चोरी के मामले में एफआरटी हो चुका है।