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Dhanbad Youth Point Of View: विश्वविद्यालय म‍िलना ही काफी नहीं; बढ़े सुव‍िधाएं, हो बेहतर श‍िक्षकों की बहाली! पढ़ें युवा राय

धनबाद की बीएड छात्रा ऐश्वर्या राय ने बताय क‍ि नये विश्वविद्यालय की स्थापना होना धनबाद के लिए किसी बड़ी सौगात से कम नहीं। स्नातक और पीजी के पारंपरिक कोर्स के साथ दूसरे कई अच्छे और रोजगारपरक कोर्स भी कोयलांचल यूनिवर्सिटी में शुरू हुई हैं।

By Atul SinghEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 01:15 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 02:12 PM (IST)
Dhanbad Youth Point Of View: विश्वविद्यालय म‍िलना ही काफी नहीं; बढ़े सुव‍िधाएं, हो बेहतर श‍िक्षकों की बहाली! पढ़ें युवा राय
धनबाद की बीएड छात्रा ऐश्वर्या ने बताय क‍ि नये विश्वविद्यालय की स्थापना होना धनबाद के लिए बड़ी सौगात। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

धनबाद, जेएनएन: धनबाद धैया न‍िवासी बीएड की छात्रा ऐश्वर्या राय ने बताय क‍ि नये विश्वविद्यालय की स्थापना होना धनबाद के लिए किसी बड़ी सौगात से कम नहीं। लेक‍िन ये काफी नहींं है । जब तक  बेहतर श‍िक्षकों की समुच‍ित व्‍यवस्‍था नहीं की जाती श‍िक्षा के स्‍तर में बदलाव के बारे में सोचना बेईमानी है। व्‍यवस्‍था ऐसी होनी चाह‍िए ज‍िसमें छात्रों को सिर्फ किताबी शिक्षा नहीं बल्‍कि प्रायोगिक व व्यवहारिक ज्ञान म‍िल सके।  ऐसे स्नातक और पीजी के पारंपरिक कोर्स के साथ दूसरे कई अच्छे और रोजगारपरक कोर्स भी कोयलांचल यूनिवर्सिटी में शुरू हुई हैं, बावजूद अब भी इस शहर को शिक्षा के क्षेत्र में और बेहतर सुविधाओं की जरूरत है।

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दुनिया तेजी से बदल रही है और इसके लिए यह जरूरी है कि अब तकनीक व कौशल आधारित शिक्षा और उसके व्यवहारिक अनुभव से छात्र छात्राएं जुड़ें। इससे न सिर्फ डिग्री मिल जाएगी, बल्कि भविष्य में योग्यता और कौशल के आधार पर रोजगार के ज्यादा अवसर भी प्राप्‍त हो सकेंगे।

शिक्षा के साथ-साथ धनबाद को नए सिरे से  विकसित करने की भी ठोस और भविष्य को ध्यान में रखकर प्‍लान‍िंंग करनी होगी। सभी चाहते हैं कि धनबाद सुंदर और हरा-भरा दिखे। अगर वाकई ऐसा चाहते हैं तो निगम या सरकार के भरोसे अपने शहर को छोडऩा ठीक नहीं। शहरवासी होने के नाते खुद से शहर को सुंदर बनाने की कोशिश होनी चाहिए। पहले जहां सिर्फ तालाब था। वहां अब राजेंद्र सरोवर सुंदर और भव्य पार्क में बदल गया है।

इससे शहर के बीचो बीच शाम में वक्त गुजारने की जगह मिल गई है। शहर के दूसरे तालाब और उनके आसपास को भी ऐसे ही विकसित कर अपने शहर की नई तस्वीर पेश कर सकते हैं। जहां तक ट्रैफिक और अच्छी सड़कों का सवाल है तो सड़कें तो काफी हद तक सुधर गई हैं। पर ट्रैफिक की बस मत पूछिए। दिन हो शाम बैंक मोड़ जाना हो पहले सोचना पड़ता है। बचपन से सुन रही हूं कि रांगाटांड़ गया पुल का चौड़ीकरण होनेवाला है।

शहर में नए फ्लाईओवर बनने वाले हैं। बड़े शहरों के तर्ज पर अपने धनबाद में भी ट्रैफिक सुधरने वाली है। मगर बदलाव तो दिखता ही नहीं है। आवागमन सुविधा में भी धनबाद काफी पिछड़ा हुआ है। ज्यादातर यात्री सिर्फ ट्रेनों के भरोसे ही लंबी दूरी का सफर पूरी करते हैं। बचपन में सुना था कि धनबाद में एयरपोर्ट बनेगा और यहां के लोग भी हवा में उड़कर एक शहर से दूसरे तक चंद घंटों में पहुंच जाएंगे। वो सपना भी सपना ही बनकर रह गया है।

हवाई सेवा के लिए भी रांची या कोलकाता जाना पड़ता है। बस सुविधा का भी बदहाल है। शहर में तो बस ऑटो की ही सवारी कर सकते हैं। बस चंद रूटों पर ही चलती हैं। कितना अच्छा होता अगर अपने शहर में दूसरे बड़े शहरों जैसी बसें चलतीं। कॉलेज आने-जाने के लिए सोचना नहीं पड़ता। और उस पर अगर छात्र छात्राओं के लिए फ्री या फिर न्यूनतम किराए वाली बस सुविधा शुरू हो जाती तो और बेहतर होता।


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