कांटापहाड़ी में वर्चस्व के लिए मजदूरों में ठनी
कतरास वेस्ट मोदीडीह कोलियरी के कांटापहाड़ी डंप से कोयले के उठाव पर वर्चस्व को लेकर
कतरास: वेस्ट मोदीडीह कोलियरी के कांटापहाड़ी डंप से कोयले के उठाव पर वर्चस्व को लेकर एक बार फिर संघर्ष की जमीन तैयार होने लगी है। मंगलवार को लोडिग के सवाल पर यहां मजदूरों के दो गुट आमने सामने हो गए। एक पक्ष वजन घर के पास तो दूसरा पक्ष सड़क के दूसरी ओर जमा था। समय रहते पुलिस व सीआइएससएफ की टीम मौके पर पहुंच गई। दोनों पक्षों को समझा बुझाकर शांत किया। लेकिन ट्रकों में लोडिग नहीं हुई और ना विवाद समाप्त हुआ। डंप में दिन भर पुलिस व सीआइएसएफ कैंप कर रही थी।
मालूम हो कि मंगलवार को 22 ट्रकों का आवंटन था, जिसमें 17 ट्रक डंप में गया था। इसमें करीब आधे दर्जन ट्रकें सिडिकेट के बाहरी डीओ धारक की थी। डंप में पहले से कार्यरत मजदूरों के सरदार मुनिया देवी, शबनम खातून, नंद किशोर चौहान, दिनेश तुरी, मनोज भुइयां, प्रमोद भुइयां ने कहा कि लदाई से सैकड़ों मजदूरों के परिवार का भरण-पोषण होता है। यहां कार्यरत मजदूरों के 46 दंगल के अलावा बाहरी मजदूरों किसी भी कीमत पर प्रवेश नहीं करने देंगे। वे पुलिस पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगा रहे थे। उनका कहना था डीओ धारक शेरबहादूर बाहरी मजदूर को लाकर डंप में कार्य कराना चाह रहे हें, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इधर दूसरे पक्ष के मजदूरों का नेतृत्व कर रहे डीओ धारक शेर बहादुर का कहना था कि कोई बाहरी मजदूर नही लाए हैं। सभी स्थानीय मजदूर हैं। इनसे पहले से लोडिग कराया जा रहा है। वर्चस्व कायम रखने की मंशा रखने वाले यहां के स्थानीय मजदूरों को डंप में काम नहीं करने दे रहे हैं। शेरबहादुर ने कहा कि 8 व 10 जुलाई को मेरे व चंदेल के डीओ में इस डंप में ट्रकों में कोयला लोड हुआ था, जो मंडी जाने के बाद पता चला कि उक्त लोगों ने पत्थर लोड करा दिया था। पहले भी मेरे डीओ में कोयला उठाव पर उस गुट ने कई बार व्यवधान किया था। यही वजह है कि स्थानीय मजदूरों को वे लोग बाहरी कह रहे हैं। पुलिस प्रशासन से निष्पक्ष जांच कर आवश्यक कार्रवाई की मांग की गई है।