तीन दशक बाद चिरकुंडा में फिर रक्तरंजित खेल
चिरकुंडा/पंचेत चिरकुंडा क्षेत्र में तीन दशक के बाद एक बार फिर रक्तरंजित का खेल हुअ
चिरकुंडा/पंचेत : चिरकुंडा क्षेत्र में तीन दशक के बाद एक बार फिर रक्तरंजित का खेल हुआ है। वर्ष 1991 में रामाधार सिंह को रात के वक्त अपराधियों ने अंधाधुंध फायरिग कर मौत के घाट उतार दिया था। वह दुर्गा मंदिर में सो रहा था। उसी वक्त अपराधियों ने घटना को अंजाम दिया था। वह मामला उन दिनों काफी सुर्खियों में रहा, लेकिन पुलिस अपराधियों को पकड़ने में असफल रही। उसकी मौत के बाद सुशांत सिंह का नाम सुर्खियों में आया। सुशांत सिंह का आस-पास क्षेत्र में तूती चलती थी। लेकिन गैंगवार के कारण सुशांत की भी हत्या दुर्गा मंदिर के पास गोलियों से भूनकर वर्ष 1997 में कर दी गई । सुशांत सिंह के हत्या की बाद उसके कई साथी इधर-उधर हो गए। अब तालडंगा हाउसिग कॉलोनी में विनोद झा की हत्या से चिरकुंडा दहल उठा है। सूत्रों के अनुसार विनोद झा का चिरकुंडा के एक दागी अपराधी से पिछले छह माह से अदावत चल रही थी। कभी दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी। छह महीना पहले दोनों में विवाद हो गया था। इससे विनोद झा ने अपना रास्ता अलग कर लिया था। पुलिस इस बिदू पर भी जांच कर रही है।
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मृतक के सोशल व आर्थिक स्थिति पर पुलिस की नजर
विनोद झा की हत्या क्यों और किस कारण से की गई, अभी कुछ भी पता नहीं चल रहा है। पुलिस हत्या के कारणों को पता करने में लग गई है। पुलिस मृतक के सोशल व आर्थिक बिदु पर भी नजर बनाए हुए है। बताया जाता है कि मृतक की पत्नी ने नर्सिंग होम में पुलिस के सामने चिरकुंडा के एक अपराधी को हत्या का जिम्मेदार ठहराया, लेकिन पुलिस का कहना है कि अभी वैधानिक रूप से अपराधी के नाम का जिक्र नहीं कर सकते। हालांकि, पुलिस इस बिदु पर भी जांच कर रही है।