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पेटीएम में कैश बैक का झांसा देकर ठगी करने वाले तीन गिरफ्तार, बंगाल के नंबर से करते थे दक्षिण भारत के राज्यों में फोन Dhanbad News

पेटीएम पर कैश बैक का झांसा देकर खाते से रुपये उड़ाने वाले तीन साइबर अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इस गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है।

By Sagar SinghEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 11:45 PM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 11:45 PM (IST)
पेटीएम में कैश बैक का झांसा देकर ठगी करने वाले तीन गिरफ्तार, बंगाल के नंबर से करते थे दक्षिण भारत के राज्यों में फोन Dhanbad News
पेटीएम में कैश बैक का झांसा देकर ठगी करने वाले तीन गिरफ्तार, बंगाल के नंबर से करते थे दक्षिण भारत के राज्यों में फोन Dhanbad News

बोकारो/धनबाद, जेएनएन। पेटीएम उपयोग करने वालों को कैश बैक का झांसा देकर उनके खाते से रुपये उड़ाने वाले तीन साइबर अपराधियों को पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार किया। इनमें धनबाद के मनियाडीह का 24 वर्षीय नीरज कुमार शर्मा, गिरिडीह के बेरापहाड़ी का 20 वर्षीय खूबलाल मंडल और गिरिडीह के ही जमडीहा का 20 वर्षीय पिंटू कुमार राणा शामिल हैं। उनके पास से एक दर्जन मोबाइल व 16 सिमकार्ड समेत अन्य सामान बरामद हुए।

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बोकारो के हरला थाना इलाके में सेक्टर-09 बी की स्ट्रीट 16 के आवास संख्या 1258 में रहकर ये अपराधी आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात समेत अन्य जगहों पर फोन कर लोगों से रुपये ठगते थे। बोकारो के एसपी पी मुरूगन ने बताया कि ये अपराधी दूसरे राज्य के लोगों को पश्चिम बंगाल के सिमकार्ड से फोन करते थे। गिरोह में और सदस्य हैं जिन्हें दबोचने के लिए पुलिस की दबिश जारी है।

एसपी ने बताया कि ये अपराधी सबसे पहले अपने मोबाइल में पेटीएम एप डाउनलोड करते थे। इसके बाद इस एप के पे ऑप्शन में जाकर कोई भी मोबाइल नंबर डालकर चेक करते थे कि संबंधित मोबाइल नंबर वाला पेटीएम का उपयोग करता है या नहीं। अपने काम के पेटीएम यूजर का स्क्रीन शॉट लेकर रख लेते थे। जब 50 से 100 यूजर के नाम व नंबर एकत्रित हो जाते तो सभी को बारी-बारी फोन करते थे। उन्हें कैश बैक का झांसा देकर तुरंत एक मैसेज भेजा जाता था। साथ ही एक लिंक पर क्लिक करने की बात कही जाती थी। लिंक पर क्लिक करते ही जानकारी ले लेते थे।

खुद को छात्र बता भाड़े पर लिया घर : एसपी ने बताया कि इन्होंने खुद को विद्यार्थी बताया था और भाड़े पर घर लिया था। वे 3500 रुपये भाड़ा देते थे। कुछ लोगों से रुपये ठगने के बाद अपना लोकेशन बदल लेते थे ताकि पुलिस की नजर में न आएं। झारखंड में रहकर बंगाल के सिमकार्ड से दूसरे राज्यों के लोगों से रुपये ठगने के पीछे इनकी मंशा पुलिस को झांसा देने की ही होती थी।


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