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Weekly News Roundup Dhanbad: बाप रे बाप ! बड़ा खतरनाक है डॉक्टर मुखर्जी का भूत, इससे बचके रहना

आपने किस्सा तो सुना होगा। बादशाह औरंगजेब ने मौसिकी को गैर जरूरी फिजूलखर्ची बताते हुए महफिल सजाना बंद कर दिया। फनकारों ने अपने साज-ओ-सामान की अर्थी निकाली। सोचा बादशाह पिघल जाएंगे।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 03:16 PM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 03:16 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: बाप रे बाप ! बड़ा खतरनाक है डॉक्टर मुखर्जी का भूत, इससे बचके रहना

धनबाद [ रोहित कर्ण ]। जिनकी पढ़ाई ही लाशों के चीर फाड़ से शुरू होती हो उन्हें भूतों का डर! पर यह सच है। बीसीसीएल के केंद्रीय अस्पताल के चिकित्सकों की कॉलोनी का यह बंगला लगभग एक दशक से खाली पड़ा है। अब तो यह खंडहर होने को है। प्रबंधन के प्रयासों के बावजूद कोई चिकित्सक यहां रहने को तैयार नहीं। उन्हें डर है कि इस बंगले में भूत का वास है। भूत भी किसका? उनके ही एक वरीय साथी का। चिकित्सक बताते हैैं कि इसी बंगले में डॉ. मुखर्जी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। कुछ इसकी वजह उनका अन्यत्र स्थानांतरण बताते हैं तो कुछ उनका मानसिक संतुलन बिगडऩा। खैर डॉ. बनर्जी ने जिस किसी कारण से खुदकशी की हो, उनके भूत ने किसी को परेशान नहीं किया। बहरहाल हर दिन जिंदगी-मौत के खेल देखने वालों में भी भूत का खौफ! एक चिकित्सक के मुताबिक भूत-भगवान दोनों होते हैैं।

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टेंपो पर सवार अधिकारी

आपने किस्सा तो सुना होगा। बादशाह औरंगजेब ने मौसिकी को गैर जरूरी, फिजूलखर्ची बताते हुए महफिल सजाना बंद कर दिया। फनकारों ने अपने साज-ओ-सामान की अर्थी निकाली। सोचा बादशाह पिघल जाएंगे। पर बादशाह ने तो दूर ले जाकर उन्हें दफना देने की सलाह दे डाली। कुछ ऐसा ही इन दिनों कोयला भवन के अधिकारियों के साथ हो रहा है। पहले तमाम जीएम के लिए चारपहिया वाहन की व्यवस्था थी। अब कंपनी ने खर्च घटाने की नीयत से नए वाहनों का एग्रीमेंट करना बंद कर दिया। जीएम स्तर के अधिकारियों तक को सीट शेयर करने की सलाह दे दी गई है। अब पुरानी ठसक इतनी जल्द जाती कहां है। सो एक साहब ने औरंगजेब के दरबारी फनकार की तरह प्रबंधन को सबक सिखाने की ठानी। जनाब टेंपो किराए पर लेकर ऑफिस आ गए। अब प्रबंधन तो सबक क्या सीखती, साहब खुद ही उपहास के पात्र बन गए।

साधो यह घाटे का सौदा

बिहार के मंदार पर्वत, पिरपैैंती समेत झारखंड के दो अन्य साइट में कोयला मिलने की खबर ने खूब सुर्खियां बटोरी। चारों ब्लॉक कोल इंडिया के मार्फत बीसीसीएल के पास आई। नए ब्लॉकों को लेकर तरस रही इस कंपनी में भी मानो बहार आ गई। अब सीएमपीडीआइएल ने जो रिपोर्ट बीसीसीएल प्रबंधन को सौैंपी है, उससे उत्साह ठंडा पड़ता दिख रहा है। बताया जा रहा कि यहां कोयला काफी नीचे है। ऊपर बलुआ मिट्टïी होने की वजह से खनन में भी परेशानी होगी। ओबी का ढेर बनाना संभव न होगा। भूमिगत खदान काफी खर्चीला होगा। बात इतनी होती तो कोई बात थी। कोयला भी काफी निम्न गुणवत्ता का है। कुल मिलाकर सौदा घाटे वाला ही होना है। ऐसे में अब कंपनी वैकल्पिक योजना पर विचार कर रही है। प्रयास है कि अडानी पावर प्लांट पार्टनर बने कि कोयला वहीं से निकले और वहीं खपा दिया जाए।

दादा की चल निकली

बाघ बहादुर पर कानून का शिकंजा क्या कसा दादा की तो चल निकली। कभी अपने इलाके के शेर थे दादा। लंबे समय राज्य सरकार में मंत्री भी रहे। बाघ बहादुर का राज शुरू हुआ तो दादा नेपथ्य में चले गए। सभी सिपहसालार भी साथ छोड़ गए। इस बार कांग्रेस में गए तो उम्मीद थी फिर से ताजपोशी भी हो जाएगी। पर ऐसा होते-होते रह गया। हालांकि ताजा हालात उनका गम भुलाने के लिए काफी है। सरकार की सख्ती के आगे बाघ बहादुर पनाह मांगते फिर रहे हैैं। दूसरी तरफ दादा मौके का फायदा उठाते हुए फील्डिंग सजाने में लग गए हैैं। हर जगह बिना रंगदारी कोयला लोड करवा रहे हैैं। अपने लोगों के सहारे जिन कोयला लोडर्स को पहले 6000 रुपये प्रति ट्रक मिलता था, उन्हें 10 हजार रुपया एकमुश्त दिलवा रहे हैैं। ऐसा इसलिए कि मजदूर पाला बदलें और लोडिंग प्वाइंट पर उनका कब्जा हो। 


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