Move to Jagran APP

तालीम के सफर पर ले जाती पहाडख़ंड एक्सप्रेस, दोगुनी हुई उपस्थिति; स्कूली शिक्षा में नए प्रयोग को जानिए

Pahar Khand Express स्कूल भवन का रंग रोगन कर रेलगाड़ी का आकार दिया। इसका नाम पहाडख़ंड एक्सप्रेस दिया है।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 01 Jan 2020 07:19 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jan 2020 07:19 AM (IST)
तालीम के सफर पर ले जाती पहाडख़ंड एक्सप्रेस, दोगुनी हुई उपस्थिति; स्कूली शिक्षा में नए प्रयोग को जानिए
तालीम के सफर पर ले जाती पहाडख़ंड एक्सप्रेस, दोगुनी हुई उपस्थिति; स्कूली शिक्षा में नए प्रयोग को जानिए

गोड्डा [विधु विनोद]। बच्चों को खेल खूब भाता है। रेलगाड़ी देखते ही गांव के बच्चे दौड़ पड़ते हैं। बाल सुलभ मन की उत्कंठा को ध्यान में रख झारखंड के गोड्डा में शिक्षा विभाग ने अनूठा प्रयोग किया। यहां के मेहरमा प्रखंड के आदर्श मध्य विद्यालय पहाडख़ंड व महागामा प्रखंड के लोगाय उर्दू मध्य विद्यालय को रेलगाड़ी का आकार दिया गया। नतीजा हैरतअंगेज रहा, स्कूल आने वाले बच्चों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई।

loksabha election banner

दो वर्ष पहले शिक्षा अधिकारी विनोद पाल की ओर से हुई पहल रंग ला रही है। बच्चे भी बेहद खुश हैं, बताते नहीं थकते कि हर दिन रेलगाड़ी में बैठकर पढ़ते हैं। दरअसल बच्चों की कक्षाओं को ट्रेन की बोगी जैसा बनाया गया है। दोनों ही विद्यालय पहली नजर में किसी प्लेटफॉर्म पर खड़ी रेलगाड़ी की तरह दिखते हैं। इस रेलगाड़ी की बोगियां (कक्षाएं) बच्चों से खचाखच भरी रहती हैं। विद्यालय प्रधान का कक्ष रेलगाड़ी के सबसे आगे लगे इंजन की तरह है। 

अवकाश के दिन भी मन करता है  स्कूल जाएं

पहाडख़ंड के आदर्श मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक मनीष कुमार, शिक्षक प्रभुजी, चंदन भारती, गुरुदेव साह ने बताया कि इस प्रयोग के परिणाम अच्छे आए हैं। स्कूल भवन का रंग रोगन कर रेलगाड़ी का आकार दिया। नतीजा सामने है। इसका नाम पहाडख़ंड एक्सप्रेस दिया है। स्कूल की छात्रा स्वाति, श्रुति, आराध्या, कृष्ण कुमार, राहुल ,सौरभ, रिया, स्वीटी, रागिनी ने बताया कि रोज स्कूल आते हैं। अवकाश के दिनों में भी स्कूल आने का मन करता है। 

दोगुनी से अधिक हो गई बच्चों की संख्या

लोगाय उर्दू मध्य विद्यालय में दो वर्ष पूर्व बच्चों की संख्या करीब 200 थी। तत्कालीन बीईईओ विनोद पाल ने स्कूल को रेलगाड़ी का आकार देने की दिशा में पहल की। आज यहां 600 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। शिक्षकों में नई उर्जा संचार हुआ। मेहरमा के आदर्श मध्य विद्यालय में करीब 500 बच्चे थे जो इस प्रयोग के बाद बढ़कर 600 से अधिक हो गए। रोज उपस्थिति भी बच्चों की 95 फीसद रहती है।

सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने में यह प्रयोग कारगर रहा। स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की पत्रिका के कवर पेज पर स्कूल की तस्वीर छपी। लोगाय व पहाडख़ंड गांव के स्कूल में यह प्रयोग हुआ। 

- शंभूदत्त मिश्रा, एडीपीओ, गोड्डा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.