जमींदोज हुई महिला का शव पहुंचते ही उससे लिपट कर रोने लगीं बेटियां
संस धनसार इंडस्ट्री के पास जमींदोज हुई कल्याणी देवी का शव पोस्टमार्टम के बाद शनिवार के
संस, धनसार : इंडस्ट्री के पास जमींदोज हुई कल्याणी देवी का शव पोस्टमार्टम के बाद शनिवार के दोपहर में उसके घर इंडस्ट्री गोरखपुरिया धौड़ा पहुंचते ही स्वजन चीत्कार मारकर रोने लगे। नाबालिग पुत्री कोमल व दुर्गा मां के शव से लिपट कर जोर-जोर से रोने लगी। पति दिलीप बाउरी भी एक कोने में सिसक-सिसक कर रो रहा था। पुत्री कोमल यह कहते हुए रो रही थी कि मां मुझे अब हमे स्कूल कौन ले जाएगा। मुझे लाड़, प्यार कौन करेगा। जिस सरकारी स्कूल में कोमल पढ़ती थी, कल्याणी उसमें रसोइया थी। कोमल ने रोते हुए कहा कि काश मैं घटना के समय गोफ में समाने के समय मां के हाथ खींच लेती तो वह शायद बच जाती। बच्ची की जुबान से यह शब्द सुनकर आसपास के लोगों की आंखें नम हो गई। कल्याणी के शव का अंतिम संस्कार बस्ताकोला श्मशान घाट में किया गया। मुखाग्नि पति दिलीप ने दी।
आमार घोरेर लखी चोले गेलो :
आमार घोरेर लखी चोले गेलो। यह शब्द शनिवार को मृतक कल्याणी की शव यात्रा के दौरान परिवार की महिलाएं रो रोकर जोर-जोर से कहती जा रही थीं। कल्याणी का पति दिलीप बाउरी भी रोते हुए यही कह रहा था। यह दृश्य देखकर आम लोगों की आंखों में भी आंसू आ गए। दिलीप ने कहा कि कल्याणी मेरी पत्नी ही नहीं, घर की लक्ष्मी थी। विषम परिस्थिति में पत्नी ने हमे साहस दिया। घर चलाने में सहयोग करने के लिए वह इंडस्ट्री मध्य विद्यालय में एमडीएम भोजन बनाने के लिए रसोइया का काम भी करती थी। पति दिलीप ने कहा कि वह मेरे रोजगार के लिए भी काफी प्रयत्नशील थी। कुछ पैसे जमा कर हमें दिया था। उससे बस्ताकोला गौशाला मोड़ के पास एक छोटी दुकान भी खरीदी थी, ताकि उसे चलाकर परिवार को ठीक से पाला जा सके। लॉकडाउन के कारण दुकान नहीं चल सकी। बावजूद इसके कल्याणी ने हार नहीं मानी। आसपास के लोगों का कहना है कि कल्याणी जीवित रहते पति का हरदम साथ दिया। हालांकि कल्याणी की मौत के बाद पति दिलीप को आउटसोर्सिंग में काम मिलेगा।