रिश्ते को शर्मसार करने वाले बाप को दस साल की सजा, कोर्ट ने आर्थिक दंड भी लगाया
तोपचांची क्षेत्र की पीडि़ता की उम्र महज 13 वर्ष थी। उसके साथ दो लड़कों ने वर्ष 2016 में सामूहिक दुष्कर्म किया था। उसके पिता ने भी उसके साथ हैवानियत की।
धनबाद, जेएनएन। अपनी ही नाबालिग बेटी को हवस का शिकार बनाने वाले दुष्कर्मी पिता को उसके किए की सजा मिल गई। पोक्सो के विशेष न्यायाधीश राजकमल मिश्रा की अदालत ने उसे दस साल के कठोर कारावास और 20 हजार रूपए जुर्माना से दंडित किया है।
यह है मामलाः तोपचांची क्षेत्र की पीडि़ता की उम्र महज 13 वर्ष थी। उसके साथ तोपचांची के दो लड़कों ने वर्ष 2016 में सामूहिक दुष्कर्म किया था। इस बाबत प्राथमिकी भी दर्ज हुई थी। पीडि़ता उस सदमे से उबर भी नहीं पाई थी कि उसके पिता ने ही उसके साथ हैवानियत कर डाली। वह गर्भवती हो गई थी। जब मां को पता चला तो उसने अपने पति के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई। कांड के अनुसंधानक केदार गोस्वामी ने पीडि़ता का बयान 14 नवंबर 2017 को अदालत में कराया था। पीडि़ता ने बताया था कि उसके पिता ने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी। उसे न्याय चाहिए। उसका कहना था कि रक्षाबंधन के दो दिन पहले जब मां काम करने गई थी तब पिता ने दुराचार किया था।
बेटी को न्याय दिलाने के लिए आगे आई मांः बेटी को न्याय दिलाने के लिए उसकी मां ने भी कोर्ट में बयान दिया। बताया कि पहले तो लोक लाज से छिपाती रही। पर, आखिकार उसने बता ही दिया कि वह तीन माह की गर्भवती है। पुलिस ने आरोपित के विरूद्ध 15 दिसंबर 17 को आरोप पत्र दायर किया था। पांच फरवरी 18 को आरोप तय होने के बाद सुुनवाई शुरू हुई थी।
पीडि़ता ने दिया बच्चे को जन्मः दुष्कर्म की शिकार हुई 13 वर्षीया पीडि़ता ने एक बच्चे को जन्म दिया है। हालांकि वह बच्चे को जन्म देना नहीं चाहती थी और इसके लिए अदालत से इजाजत भी मांगी थी। पर, मेडिकल रिपोर्ट में इस कदम को खतरनाक बताया गया था। लिहाजा अदालत ने आदेश देने से इन्कार कर दिया। इसके बाद उसने बच्चे को जन्म दिया। पीडि़ता अपनी मां के साथ दूसरे राज्य में जाकर बस गई है जबकि उसके बच्चे को बाल कल्याण समिति के निर्देश पर लीगल फ्री कर इच्छुक दंपती को गोद दे दिया गया है।