आ गई सूर्य की किरणों का ताप घटाने-बढ़ाने की तकनीक, IIT-ISM के असिस्टेंट प्रोफेसर ने कराया पेटेंट Dhanbad News
IIT ISM के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पंकज ने सूर्य की किरणों को सांद्र कर एक काफी चौड़ी मजबूत बीम बनाने की दिशा में सफलता हासिल की है। इससे मनचाहे तापमान की ऊष्मा हासिल कर सकेंगे।
धनबाद, (आशीष सिंह)। चीनी की शर्बत को गाढ़ा करते जाएं यानी उसमें शक्कर की सांद्रता (कंसन्ट्रेशन) बढ़ा दें तो वह चाशनी बन जाएगी। इसी फार्मूले पर धनबाद के आइआइटी आइएसएम (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस) के फ्यूल, मिनरल एंड मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पंकज कुमार जैन ने सूर्य की किरणों को सांद्र कर एक काफी चौड़ी मजबूत बीम बनाने की दिशा में सफलता हासिल की है। इसके सहारे हम सूर्य की किरणों से मनचाहे तापमान की ऊष्मा हासिल कर सकेंगे।
डॉ. पंकज के आविष्कार 'कंसन्ट्रेशन ऑफ सोलर रेडिएशन एंड ऑबटेनिंग कंसन्ट्रेटेड प्लेन बीमÓ को भारत सरकार के कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट ने पेटेंट कर दिया है। यह तकनीक भविष्य में बिजली बनाने की दिशा में बेहद कारगर सिद्ध होगी। इस दिशा में काम भी शुरू हो गया है। वैकल्पिक ऊर्जा की तलाश हर देश कर रहा है। सौर ऊर्जा पर तो तमाम शोध हो रहे हैं। सौर ऊर्जा का किस तरह बेहतर इस्तेमाल हो, इसी बिंदु पर पंकज का शोध है।
सूर्य की किरणें ऐसे बनेंगी सशक्त बीम
डॉ. पंकज ने बताया कि इस खोज की दम पर सूर्य की किरणों को एक खास बिंदु पर एकत्रित कर उसे दर्पण और लेंस के माध्यम से साड़ी जैसे चौड़ी प्लेन बीम में बदला जाता है। अभी तक हम लिनिअर बीम (धागे के समान लेजर किरण की तरह) का इस्तेमाल कर सके हैं। उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक परावर्तन के माध्यम से ले जाते हैं।
बिजली उत्पादन के लिए उपकरण उपयोगी
इस नई तकनीक के प्रयोग से बना उपकरण इस प्लेन बीम को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाएगा। एक इकाई में एक बड़े अवतल दर्पण, विशेष प्रकार के लंबे उत्तल व अवतल लेंस और एक समतल दर्पण की आवश्यकता होती है। इनको एक विशेष क्रम में सूर्य के प्रकाश में रख देंगे। इससे प्लेन बीम बन जाएगी। बिजली उत्पादन के लिए इस उपकरण की कई इकाइयों का इस्तेमाल करेंगे।
पर्यावरण के अनुकूल है यह तकनीक
ये इकाइयां भूमि पर अलग-अलग ऊंचाइयों पर लगानी होंगी। सभी इकाइयों से उत्पन्न प्लेन बीम को एक दिशा में भेजेंगे। फिर इसे बड़े दर्पण की मदद से एक रेखा पर एकत्र कर लेंगे। इससे अत्यधिक तापमान उत्पन्न होगा। तापमान की जरूरत के अनुरूप इकाइयों की संख्या तय होगी। आज कोयले का बिजली उत्पादन में प्रयोग हो रहा है। इससे पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल है।
ऐसे काम करेगा उपकरण
सोलर इकाई में विशेष प्रकार का दर्पण सूर्य की किरणों को एक जगह लाकर ताकतवर बनाएगा। लेंस सोलर बीम तैयार करेंगे। इसी प्रकार समतल दर्पण इसे परावर्तन से दूसरी जगह भेजेगा। सारी बीम एक लाइन (पथ) पर आने से उनसे अत्यधिक ऊष्मा मिलेगी। इस तकनीक से पानी को गरम करने व खाना पकाने से लेकर ऊष्मा संबंधी हर काम हो सकेगा।
नई खोज :
- IIT-ISMके असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पंकज की तकनीक हुई पेटेंट
- सूर्य की किरणों को एक रेखा से गुजारकर दर्पण और लेंस की मदद से साड़ी जितनी चौड़ी बीम में बदलेंगे
- आवश्यकता अनुरूप तापमान का उपयोग कर सकेंगी औद्योगिक इकाइयां
- बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन के लिए भी अहम होगी यह विधि
- पानी को गरम करने व खाना पकाने से लेकर ऊष्मा संबंधी हर काम इस तकनीक से होगा संभव