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'टीबी हारेगा देश जीतेगा' अभियान शुरू, 15 जनवरी तक नए मरीजों की होगी खोज Dhanbad News

केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने देश से 2025 तक टीबी के उन्मूलन की तैयारी कर रखी है। इस और लगातार काम किए जा रहे हैं। टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान इसी का एक चरण है। इसके तहत धनबाद में टीबी के नए रोगियों की पहचान की जाएगी।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 15 Nov 2020 02:37 PM (IST)Updated: Sun, 15 Nov 2020 02:37 PM (IST)
'टीबी हारेगा देश जीतेगा' अभियान शुरू, 15 जनवरी तक नए मरीजों की होगी खोज Dhanbad News
सिविल सर्जन कार्यालय में 'टीबी हारेगा देश जीतेगा' अभियान के शुभारंभ के माैके पर उपस्थित चिकित्सक।

धनबाद, जेएनएन। 15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस के अवसर पर 'टीबी हारेगा देश जीतेगा' अभियान का शुभारंभ धनबाद में किया गया। सिविल सर्जन कार्यालय में अभियान का शुभारंभ जिला टीबी पदाधिकारी डॉ. एसएन जफरुल्लाह एवं सदर प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुनील कुमार ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस मौके पर राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत तमाम अधिकारी और कर्मचारी सहित बीटीटी मौजूद थे।

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2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य 

डॉक्टर जफरुल्ला ने बताया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने देश से 2025 तक टीबी के उन्मूलन की तैयारी कर रखी है। इस और लगातार काम किए जा रहे हैं। टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान इसी का एक चरण है। इसके तहत धनबाद में टीबी के नए रोगियों की पहचान करना, उन्हें सरकारी दवाओं से जोड़ना मरीजों को ठीक करना और जागरूक करना लक्ष्य है। जिले में यह अभियान 15 जनवरी 2021 तक चलेगा।

घर-घर जाकर किया जाएगा सर्वे

अभियान के तहत लोगों को बताया जाएगा कि यदि 2 हफ्ते से अधिक खांसी है, तो जरूर जांच करवाएं। साथ ही टीबी के लक्षण के बारे में भी अवगत कराया जाएगा। मरीज मिलने के बाद डॉट्स प्लस सेंटर से भी उन्हें जोड़ा जाएगा। 

मरीजों को मिलेंगे 500  रुपए

नई मरीज मिलने के बाद उन्हें 500 रुपए प्रति माह सरकारी सहायता भी प्रदान की जाएगी। यह 500 रुपए पोषण युक्त भोजन के लिए दिया जाएगा। एक मरीज को 8 महीने तक दवा चलती है, इस 8 महीने तक प्रतिमाह पांच 500-500 रुपए दिए जाएंगे। मरीज के ठीक होने के बाद यह राशि बंद कर दी जाएगी।

कोलियरी इलाके में विशेष जांच

अभियान के तहत कोलियरी और प्रदूषण के इलाके में विशेष जांच चलाई जाएगी। इन इलाकों में टीबी और फेफड़ों से संबंधित बीमारियां सबसे ज्यादा पाई जा रही है।  शहरी गरीबी भी इस इलाके में ज्यादा है। इस वजह से सरकार भी इन्हें स्लम एरिया मानकर जांच अभियान चलाने का निर्णय लिया है। 


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