Tasar of Jharkhand: इंटरनेशनल मार्केट में ब्रांड बन सकते हैं झारखंड के उत्पाद, राज्यसभा सदस्य के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने दिया जवाब
Tasar of Jharkhand राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने एक जिला-एक उत्पाद (ODOP) योजना पर काम करने का प्रस्ताव दिया है। केंद्र के साथ झारखंड को समन्वय बनाकर काम करना होगा।
धनबाद, जेएनएन। Tasar of Jharkhand झारखंड में बड़े पैमाने पर तसर का उत्पादन होता है। इसके औद्योगिक विकास का झारखंड में अपार संभावनाएं हैं। प्रयास हो तो इंटरनेशनल मार्केट में ब्रांड बन सकता है। बस समन्वय बनाकर कार्य करने की जरूरत है। झारखण्ड से राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने कहा है कि अगर झारखण्ड की सरकार ने केंद्र सरकार के साथ समन्वय स्थापित कर 'एक जिला – एक उत्पाद' (ODOP) योजना में दिलचस्पी दिखाई तो जल्दी ही झारखण्ड के तसर, लाह, सहजन (मुनगा), रुगडा, बंसकरील, मटर, टमाटर, वनौषधियों आदि की पहुंच अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक होगी| यह पहल झारखण्ड की समृद्धि और आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है|
पोद्दार के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्री का मिला समर्थन
पोद्दार ने कहा है कि झारखण्ड में औषधीय पौधों, वनोत्पादों, ग्रामीण – देशज उत्पादों, कलाकृतियों आदि में पर्याप्त विविधता है और यदि सही तरीके से वैल्यू एडिशन और मार्केटिंग की जाय तो अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में झारखण्ड के उत्पादों को अलग पहचान और अच्छी कीमत मिल सकती है| श्री पोद्दार ने अतारांकित प्रश्न के माध्यम से राज्यसभा में यह मुद्दा उठाया जिसके प्रत्युत्तर में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पियूष गोयल ने एक जिला – एक उत्पाद योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी| मंत्री श्री पियूष गोयल ने बताया कि एक जिला एक उत्पाद पहल के कार्यान्वयन पर विचार-विमर्श के लिए 27 अगस्त, 2020 को सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के साथ बातचीत की गई और उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) इस पहल पर आगे कार्य कर रहा है। इसके अतिरिक्त, डीजीएफटी के माध्यम से वाणिज्य विभाग, एक जिला एक उत्पाद पहल को बढ़ावा देने के लिए राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।
देश के प्रत्येक जिले को निर्यात हब के रूप में परिवर्तित करने पर जोर
केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि जिले में निर्यात संभावना को बढ़ावा देने, विनिर्माण और सेवा उद्योग को प्रोत्साहित करने तथा जिले में रोजगार सृजन के लक्ष्य के साथ-साथ, इसका उद्देश्य जिले में निर्यात संभावना वाले उत्पादों की पहचान कर, इन उत्पादों के निर्यात में आने वाली बाधाओं को दूर करते हुए, स्थानीय निर्यातकों/विनिर्माताओं को बड़े पैमाने पर विनिर्माण में सहायता प्रदान करके तथा भारत से बाहर संभावित खरीददारों का पता लगाकर देश के प्रत्येक जिले को निर्यात हब के रूप में परिवर्तित करना है। उन्होंने बताया कि जिला निर्यात संवर्धन समितियों (डीईपीसी) के रूप में प्रत्येक जिले में एक संस्थागत तंत्र स्थापित किया जा रहा है| डीईपीसी का प्रमुख कार्य केंद्र, राज्य और जिला स्तर के सभी संबद्ध हितधारकों के साथ समन्वय करते हुए जिला विशिष्ट निर्यात कार्य योजना तैयार करना और उस पर कार्रवाई करना होगा। डीजीएफटी ने प्रत्येक जिले की निर्यात संभावना वाले उत्पादों से संबंधित सभी सूचनाएं अपलोड करने के लिए राज्य को सक्षम बनाने हेतु एक पोर्टल का भी विकास किया है| देश भर के विभिन्न जिलों में निर्यात क्षमता वाले उत्पादों की पहचान की जा रही है और तद्नुसार राज्य निर्यात कार्यनीतियां तैयार की जा रही है।