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Success Story: सच हुई Sooryavansham की कहानी... शादी के 14 साल बाद डिप्टी कलेक्टर बनीं सविता

सूर्यवंशम फिल्‍म तो आपने सैकड़ों बार देखी होगी अबतक! इस फिल्‍म की कहानी झारखंड के साहिबगंज में सच साबित हुई है। साहिबगंज की कार्यपालक दंडाधिकारी (डिप्टी कलेक्टर) सविता सिंह। लगन और मेहनत की मिसाल। 2006 में शादी हुई तो परिवार में बतौर गृहिणी रम गईं।

By Jagran NewsEdited By: Deepak Kumar PandeyPublished: Wed, 05 Oct 2022 07:58 AM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2022 07:58 AM (IST)
Success Story: सच हुई Sooryavansham की कहानी... शादी के 14 साल बाद डिप्टी कलेक्टर बनीं सविता
2020 बैच की जेपीएससी अधिकारी सविता सिंह।

साहिबगंज [डाॅक्‍टर प्रणेश]: सूर्यवंशम फिल्‍म तो आपने सैकड़ों बार देखी होगी अबतक! इस फिल्‍म की कहानी झारखंड के साहिबगंज में सच साबित हुई है। साहिबगंज की कार्यपालक दंडाधिकारी (डिप्टी कलेक्टर) सविता सिंह। लगन और मेहनत की मिसाल। 2006 में शादी हुई तो परिवार में बतौर गृहिणी रम गईं। शादी के दो साल बाद बेटे का जन्म हुआ। कुछ अलग करने की इच्छा से बचपन से मन में थी। पढ़ाई छूट गई थी, सो लगा कि घर की चहारदिवारी से बाहर नहीं निकल पाएंगी, मगर पति विभूति सिंह ने प्रोत्साहित किया। पुन: पढ़ाई शुरू कराई।

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इसके बाद सविता ने अंग्रेजी से एमए किया। आगे भी खूब पढ़ाई की। शादी के 13 साल बाद 2019 में जेपीएससी की परीक्षा दी। 2020 में परिणाम आया और डिप्टी कलेक्टर बन गईं। खूंटी में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद साहिबगंज में 2022 में कार्यपालक दंडाधिकारी की पहली पोस्टिंग हुई। कार्य के प्रति समर्पण देख सविता को जिला नीलाम पत्र पदाधिकारी, जन सूचना कोषांग की प्रभारी उपसमाहर्ता, जिला जन सुविधा कोषांग प्रभारी पदाधिकारी, विधि शाखा की प्रभारी उपसमाहर्ता व जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी का पदभार दिया गया है।

बकौल सविता, 21 साल की उम्र थी तब शादी हो गई। उस समय स्नातक अंतिम वर्ष में थी। शादी के दो साल बाद बच्चे का जन्म हुआ। ऐसा लगने लगा कि सपने पूरे नहीं होंगे। तब घरवालों से बात की। उन्होंने प्रोत्साहित किया। बच्चे के पालन-पोषण के साथ एमए में नामांकन कराया। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करने लगी। अंग्रेजी से एमए किया। दो बार यूपीएससी की परीक्षा दी, मगर सफलता नहीं मिली। इसके बाद भी हिम्मत नहीं हारी।

पढ़ाई करती थी तो फिर न दिन देखा न रात

तीन बार बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में सफल रही, लेकिन मुख्य परीक्षा में नहीं निकल सकी। तब पढ़ाई में ऐसा रमी कि न दिन देखती थी न रात। तैयारी सटीक हुई थी, जेपीएससी की परीक्षा दे दी। वहां चयन हो गया। सविता बताती हैं कि पति पलामू में अल्ट्रासाउंट सेंटर चलाते हैं। पिता शिक्षक हैं। दो भाई सेना में हैं। घर की आर्थिक स्थिति ठीक है, मगर सपना था कि कुछ ऐसा करेंगे कि परिवार का नाम रोशन हो। लोगों की सेवा कर सकें। अब हमारा सपना पूरा हो रहा है। उनका कहना है कि जीवन का हर क्षण मूल्यवान है, उसका महत्व सभी समझें। शिक्षा की लौ ही जीवन में उजाला भरती है, इसलिए हर इंसान को शिक्षित होना चाहिए। सफलता की कुंजी यही है। जिस विषय में मन लगे, उसमें ही पूरी ऊर्जा लगाएं। सविता खाली समय में पेंटिंग भी बनाती हैं।


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