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Happy Engineers Day 2019: देश का मान बढ़ा रहे कोयले की धरती के हीरे Dhanbad News

कोयले की खान में इंजीनियरों का भंडार छिपा है। इन इंजीनियरों के कौशल को बेहतर बनाने की बागडोर मुख्य रुप से आइआइटी-आइएसएम एवं बीआइटी सिंदरी पर है।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 09:43 AM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 09:43 AM (IST)
Happy Engineers Day 2019: देश का मान बढ़ा रहे कोयले की धरती के हीरे Dhanbad News
Happy Engineers Day 2019: देश का मान बढ़ा रहे कोयले की धरती के हीरे Dhanbad News

धनबाद [अतुल कुमार सिंह]। देश के विकास व समृद्धि में इंजीनियरों की भूमिका किसी से छिपी नहीं है। देश को आर्थिक रूप से मजबूत करने की बात हो या लोगों के जीवन को सरल व आरामदायक बनाने की या फिर चंद्रमा व मंगल पर जीवन तलाशने की, पृथ्वी से लेकर आकाश तक इनका अमूल्य योगदान रहा है। इंजीनियर देश की सफलता में नित नए आयाम गढ़ते रहे एवं उनकी प्रेरणा जीवंत बनी रहे इसी कारण प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर को सर मोक्ष गुडंम विश्वेश्वरैया के जन्म दिवस  को उनके सम्मान में देश भर में इंजीनियर्स डे के रुप में मनाया जाता है।

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शहर का गौरव आइएसएम व बीआइटी सिंदरी : कोयले की खान में इंजीनियरों का भंडार छिपा है। इन इंजीनियरों के कौशल को बेहतर बनाने की बागडोर मुख्य रुप से आइआइटी आइएसएम एवं राज्य के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग कॉलेज बीआइटी सिंदरी को है। इसके अलावा एशिया का सबसे पुराना माइनिंग कॉलेज, भागा भी अभियंताओं के कौशल को निखारने में मदद कर रही है। इन कॉलेजों से पढ़कर निकले विद्यार्थी देश विदेश में अपनी सेवा दे कर देश का मान बढ़ा रहे है। आइएसएम से बीटेक करने वाले गुलशन लाल टंडन और वामन बापूजी अपने इंजीनियरिंग कौशल के लिए भारत सरकार से पद्मभूषण से सम्मानित हो चुके हैं। इनके अलावा विजय प्रसाद, रवि नारायण और हर्ष गुप्ता को पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा आइएसएम के ही दुर्गाचरण, बीआइटी सिंदरी के सुबोध दास, आदि जैसे अनगिनत नाम है जिन्होंने अपने ज्ञान-कौशल से देश का नाम रोशन किया है। 

शहर के विकास में इंजीनियरों का योगदान : शहर को तकनीकी तौर पर विकास की पटरी पर लाने के लिए समय-समय पर नगर निगम व अन्य  अधिकारियों के साथ इन कॉलेजों के विद्यार्थियों की बैठक होती रहती है। जिसमें शहर की सड़क व्यवस्था, ड्रेनेज सिस्टम, ट्रैफिक व्यवस्था, पर्यावरण संबधी विषयों पर अपने महत्वपूर्ण सुझाव ये शहर को देते रहे है। जिससे शहर लाभांवित भी होता रहा है।

एक क्लिक पर सिमटा संसार :  इससे कोई इंकार नहीं कर सकता कि एक दशक के भीतर ही भारत  डिजीटल की ओर तेजी से बढ़ा है। कुछ वर्षो पहले किसी ने यह कल्पना भी नहीं की थी एक क्लिक पर कपड़े, राशन, खाना से लेकर घर के जरुरत का हर सामान उपलब्ध हो जाएगा। भारत सरकार भी डिजीटल इंडिया को बढ़ावा दे रही है। इससे देश के लाखों लोगों का जीवन बेहतर हुआ है। इसमें इंजीनियरों की भूमिका बताने की आवश्यकता नहीं है।

इंजीनियरिंग से जुड़ी चुनौतिया : देश के विकास में बड़ी भूमिका निभाने का बावजूद पिछले कुछ समय में विद्यार्थियों का रुझान इंजीनियरिंग की ओर घटा है। देश भर में बदं हो रहे इंजीनियरिंग कॉलेज इसके उदाहरण है। रुझान कम हाने के कारणों में कैंपस का ना होना एवं मात-पिता के दवाब में इंजीनियरिंग का चुनाव मुख्य माना जाता रहा है। साथ ही इंजीनियरिंग के सिलेबस व औद्योगिक जगत में इसकी जरुरत के बीच बढ़ती खाई भी देश भर में इंजीनियरों के डिमांड को कम करती जा रही है। कंपनिया आज के समय में विद्यार्थियों के व्यवहारिक ज्ञान पर जोर दे रही है। कहा तो ऐसा भी जाता रहा है कि 80 प्रतिशत सिलेबस आज के जरुरत के हिसाब से है। सरकार से लोगों की अपील है इंजीनियरिंग के सिलेबस को औद्योगिक जगत की जरुरत के हिसाब से बनाई जाए। ताकि देश को एक कुशल व दक्ष इंजीनियर मिल सके।

कौन थे मोक्ष गुंडम विश्वेश्वरैया : मोक्ष गुंडम विश्वेश्वरैया भारत रत्न व बिट्रिश नाइटहुड से सम्मानित देश के महान सिविल इंजीनियर थे। बेहतर जल संरक्षण, डैम व ब्रीज निर्माण, उन्नत सिंचाई व्यवस्था, बाढ़ से बचाव के अलावा देश के बेहतर निर्माण में उन्होंने कई कार्य किए। इंजीनियर आज भी उनसे प्रेरणा लेते हैं।


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