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बैंक, एलआइसी-जीआइसी में असरदार रही हड़ताल, सभी ब्रांच में कामकाज ठप, जमकर नारेबाजी

बैंक एलआइसी-जीआइसी में आम हड़ताल असरदार रही। एलआइसी के सभी ब्रांच में कामकाज ठप रहा। कर्मचारियों ने नारेबाजी की। बीमा कर्मचारी संघ के संयुक्त सचिव हेमंत मिश्रा ने हड़ताल को पूरी तरह सफल बताते हुए कहा कि मजदूरों ने कारपोरेट समर्थक केंद्र सरकार के समक्ष अपनी चट्टानी एकता दिखाई है।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 03:17 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 03:17 PM (IST)
बैंक, एलआइसी-जीआइसी में असरदार रही हड़ताल, सभी ब्रांच में कामकाज ठप, जमकर नारेबाजी
एसबीआइ को छोड़ अन्य सभी बैंकों में कर्मचारी हड़ताल पर रहे।

जेएनएन, धनबाद: बैंक, एलआइसी-जीआइसी में आम हड़ताल असरदार रही। एलआइसी के सभी ब्रांच में कामकाज ठप रहा। कर्मचारियों ने ब्रांच गेट के बाहर नारेबाजी की। बीमा कर्मचारी संघ के संयुक्त सचिव हेमंत मिश्रा ने हड़ताल को पूरी तरह सफल बताते हुए कहा कि मजदूरों ने कारपोरेट समर्थक केंद्र सरकार के समक्ष अपनी चट्टानी एकता दिखाई है। सरकार फिर भी नहीं सुधरी तो हम लंबा संघर्ष करने को तैयार हैं।

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उन्होंने कहा कि एलआइसी भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इसकी सकल पूंजी 32 लाख करोड़ है। इसके ग्राहकों का आधार 40 करोड़ लोगों का है। बावजूद इसके सरकार इसका विनिवेशीकरण करना चाहती है, जिसका हम विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार जिस लेबर कोड के नाम पर अपनी पीठ थपथपा रही है, उस लेबर कोड के तहत ऐसे उद्योग जहां 300 से कम कर्मचारी हैं, आप कोई यूनियन नहीं चला सकते, जबकि पहले ऐसा नहीं था। कर्मचारियों को हटाने के लिए किसी अधिकारी से कोई अनुमति लेने या कोई नोटिस देने की अब जरूरत नहीं रह गई है। ऐसा नियम कारपोरेट कंपनियों के इशारे पर बनाई गई है। कोई भी कंपनी कभी भी कर्मचारी को नौकरी से निकाल सकती है। उसके सामाजिक सुरक्षा का भी कोई प्रावधान नहीं किया गया है। अनुबंध आधारित नौकरी को वैध बनाना स्थाई नौकरी समाप्त करने की साजिश है। यदि इसका पुरजोर विरोध नहीं किया गया तो नौकरी -पेशा लोगों के लिए काफी मुश्किलें होंगी। उन्हें कारपोरेट की गुलामी को विवश होना होगा।

इधर, बैंकिंग सेक्टर में भी हड़ताल का व्यापक असर रहा। एसबीआइ को छोड़ अन्य सभी बैंकों में कर्मचारी हड़ताल पर रहे। उन्होंने बैंक मोड़ व रणधीर वर्मा चौक पर प्रदर्शन भी किया। सरकार विरोधी नारे लगाए। हालांकि भारतीय मजदूर संघ के हड़ताल में नहीं होने का असर यहां भी स्पष्ट रूप से दिखा।


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