FDI के विरोध में कोयला उद्योग का थमा पहिया, संयुक्त मोर्चा ने केंद्र को दी चेतावनी Dhanbad News
अगर हड़ताल असरहीन रही तो केंद्र सरकार और कोयला मंत्रालय को यह कहने का माैका मिलेगा कि कोयला उद्योग में FDI के विरोध में मजदूर नहीं हैं। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
धनबाद, जेएनएन। कोयला उद्योग में 100 फीसद एफडीआइ (फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट) के खिलाफ पांच दिवसीय हड़ताल जारी है। मंगलवार को हड़ताल का दूसरा दिन है। व्यापक असर देखने मिल रहा है। धनबाद कोयलांचल स्थित कोल इंडिया की बीसीसीएल और ईसीएल की खदानें व परियोजनाएं पूरी तरह से ठप हैं। कोयला मजदूर काम-काज ठप कर नारेबाजी कर रहे हैं। सेल की चासनाला कोलियरी में भी हड़ताल सफल है।
FDI के विरोध में भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ ने पांच दिवसीय हड़ताल की घोषणा कर रखी है। सोमवार को हड़ताल का पहला दिन था। हालांकि हड़ताल का असर देखने को नहीं मिला। जबकि संयुक्त मोर्चा (सभी मजदूर संगठन) की तरफ से 24 सितंबर को एक दिवसीय हड़ताल की घोषणा की गई थी। इसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है। मजदूर संगठन और मजदूर एकजुट होकर FDI का विरोध कर रहे हैं। झारखंड इंटक के उपाध्यक्ष सुरेश चंद्र झा ने संयुक्त मोर्चा की हड़ताल को पूरी तरह से सफल करार दिया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए हड़ताल की सफलता बड़ी चेतावनी है। सरकार को कोयला उद्योग में 100 फीसद FDI का निर्णय वापस लेना चाहिए। अगर सरकार अपने निर्णय कायम रही तो मजदूर संगठन उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
बीसीसीएल में प्रथम पाली में मजदूरों की उपस्थिति नगण्य रही। बरोरा ब्लॉक दो गोबिन्दपुर व कतरास क्षेत्र में उत्पादन पूर्णतया ठप है। कोलियरी व परियोजना में कर्मियों की उपस्थिति बहुत कम। गोविन्दपुर क्षेत्र में 9 प्रतिशत उपस्थिति है। जबकि बरोरा में 2 से 3 प्रतिशत है। हालांकि क्षेत्रीय कार्यालयों में कुछ उपस्थिति देखी जा रही है।
बीसीसीएल के तहत आउटसोर्सिंग कंपनियों में भी कोयले का उत्पादन ठप पड़ गया है। एकेडब्लूएमसी के मां अंबे पैच अंगारपथरा में सन्नाटा पसरा हुआ है।