Weekly News Roundup Dhanbad: हाय री किस्मत ! पेट में पथरी, बाहर निकला कोरोना
प्रवासियों को कोरोना से बचाव को 14 दिन के लिए घर-परिवार से दूर क्वारंटाइन सेंटर में रखा जा रहा है। जांच कराकर पता किया जा रहा है कि वे कोरोना पॉजिटिव तो नहीं?
धनबाद [ दिनेश कुमार ]। कोई ऐसा सोच भी नहीं सकता है। पेट में पथरी थी, लेकिन बाहर कोरोना निकल आया। बिल्कुल अजीबोगरीब। मामला गोमो का है। यहां का एक मरीज 22 मई को निजी क्लीनिक में भर्ती हुआ। कोरोना को लेकर डॉक्टर पहले से ही सतर्क हैं। मरीज की जांच हुई। कोरोना का लक्षण नहीं मिला तो भर्ती किया। कोई शंका भी नहीं थी। मरीज को भी कोई अंदेशा नहीं था। बस, पेट में दर्द की शिकायत थी। अल्ट्रासाउंड में भी पेट में पथरी की बात पता चली। लेकिन, स्थिति गंभीर थी। बेहतर इलाज के लिए मरीज को रांची भेजा गया। वहां जांच की गई तो पता चला कि महाशय को कोरोना ने धर लिया है। रिपोर्ट धनबाद भेजी गई। अब यहां मरीज के संपर्क में रहे लोगों को दिन में तारे दिख रहे हैं। दूसरी ओर जांच करनेवाले अब अपनी जांच कराने को बेताब हैं।
क्वारंटाइन चाहिए ठंडा-ठंडा, कूल-कूल
इन दिनों सबकी एक ही चाहत। जहां रहें, वातावरण हो ठंडा-ठंडा, कूल-कूल। आखिर मौसम ही कुछ ऐसा है। आसमान से आग बरस रही है। तापमान 40 डिग्री से ऊपर है। तेजी से घूमते पंखे के नीचे रहकर भी लोग पसीने से तरबतर हो रहे हैं। घर में रहनेवाले लोग तो मौका देखकर आहर-बाहर निकल लेते हैं, लेकिन क्वारंटाइन सेंटरों में रह रहे बेचारे प्रवासी क्या करें? वे तो बाहर भी नहीं निकल सकते। पहरा जो है। रात तो छत पर काट लेते हैं, पर दिन कैसे कटे। सो परेशान प्रवासियों ने क्वारंटाइन सेंटरों में कूलर और एसी की मांग शुरू कर दी है। निरसा के क्वारंटाइन सेंटर का जायजा लेने जब एक अधिकारी पहुंचे तो लोगों ने उनसे यही मांग कर दी। यह सुनकर अधिकारी भी हक्का-बक्का। आखिर, फिर नया लफड़ा आया। कितनी मांगें पूरी करें। इनकी फेहरिस्त तो लंबी ही होती जा रही है।
एतना दिन में करोनबो भी छोड़ देता
प्रवासियों को कोरोना से बचाव को 14 दिन के लिए घर-परिवार से दूर क्वारंटाइन सेंटर में रखा जा रहा है। जांच कराकर पता किया जा रहा है कि वे कोरोना पॉजिटिव तो नहीं? रिपोर्ट निगेटिव आने पर 14 दिन बाद उन्हें क्वांरटाइन सेंटर से छोड़ दिया जाता है। लेकिन, बाघमारा के एक क्वारंटाइन सेंटर में 15 दिन बाद भी लोग छोड़े नहीं गए। अधिकारी भी क्या करें? जांच रिपोर्ट ही नहीं आई थी। अब इससे प्रवासियों का क्या लेना देना। यह तो अफसरों की परेशानी है। बस बेताबी दिखा दी, हंगामा कर दिया। छोडऩे का दबाव बनाया। समझाने के लिए पुलिस अधिकारी पहुंचे। बोले-धैर्य रखो। निगेटिव रिपोर्ट आते ही छोड़ दिया जाएगा। लेकिन लोग तो खार खाए बैठे थे। एक से रहा नहीं गया, अधिकारी को ही समझा दिया कि सर-जांच रिपोर्ट छोडि़ए न। एतना दिन में करोनबो पकड़ा होता तो वह भी छोड़ देता।