शासन का बदला रंग: हेमंत सोरेन की शिकायत पर कार्यवाहक सीएम रघुवर पर ST-SC उत्पीड़न का केस दर्ज, बढ़ेगी मुश्किलें
अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम की धाराओं में केस हुआ है। जामताड़ा एसडीपीओ अरविंद उपाध्याय को इस केस के अनुसंधान की जवाबदेही दी गई है।
धनबाद/ जामताड़ा, जेएनएन। झारखंड में सत्ता के बदलते ही पुलिस-प्रशासन का भी रंग बदलने लगा है। विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार और झामुमो की जीत के बाद पुलिस ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ एसटी-एससी उत्पीड़न का मामला दर्ज किया है। यह मामला जामताड़ा थाना में दर्ज किया गया है।
झारखंड विधानसभा चुनाव- 2019 के पांचवें चरण 20 दिसंबर को मतदान से एक दिन पहले 19 दिसंबर को दुमका थाना में पहुंचकर झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ लिखित शिकायत की थी। पुलिस ने चुनाव परिणाम आने का इंतजार किया। परिणाम झामुमो के पक्ष में आने और हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री बनना तय हो जाने के बाद पुलिस रेस है। भावी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की शिकायत पर मिहिजाम थाना में निवर्तमान सीएम रघुवर दास के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। केस नंबर है, 110/19। चुनावी भाषण में अश्लील भाषा बोलने के आरोप में हेमंत सोरेन ने दुमका थाना में शिकायत दर्ज की थी। मामला मिहिजाम का था। इस नाते मिहिजाम में प्राथमिकी दर्ज हुई है। अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम की धाराओं में केस हुआ है। जामताड़ा एसडीपीओ अरविंद उपाध्याय को इस केस के अनुसंधान की जवाबदेही दी गई है।
झारखंड विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण के चुनाव प्रचार के दौरान 18 दिसंबर को मिहिजाम में सभा हुई थी। हेमंत सोरेन का आरोप है कि उस सभा में रघुवर दास ने जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल करते हुए आपत्ति जनक टिप्पणी की थी। 19 दिसंबर को दुमका मुफस्सिल एससी-एसटी थाना में आवेदन देकर रघुवर दास के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई करने की अनुरोध किया था। दुमका थानाप्रभारी ने उनके आवेदन पर अग्रेतर कार्रवाई के लिए मिहिजाम थाना भेज दिया। आवेदन मिलने के बाद मिहिजाम थानेदार मुकेश कुमार ने तत्काल केस किया।
- इन धाराओं में दर्ज की गई प्राथमिकी
- भारतीय दंड विधान की धारा 504 : शांति भंग करने के इरादे से जानबूझ कर अपमान करने के आरोप में यह धारा लगाई जाती है। इसमें दो साल की सजा और जुर्माना का प्रावधान है।
- भारतीय दंड विधान की धारा 506 : किसी को धमकी देने के अपराध में यह धारा लगाई जाती है। इसमें भी दो साल के लिए कारावास और आर्थिक दंड का प्रावधान है।
- एससी-एसटी एक्ट की धारा 3 : इसके तहत कोई गैर अनुसूचित जाति एवं जनजाति का व्यक्ति किसी अनुसूचित जनजाति के सदस्य को सार्वजनिक तौर पर अपमानित करता है तो उसे दंडित करने का प्रावधान है। दोष साबित होने पर छह माह से उम्र कैद की सजा हो सकती है।