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Hydrogen में छिपी है ऊर्जा के स्वच्छ स्रोत की तमाम संभावनाएं, ISM धनबाद सहित देश विदेश के विशेषज्ञों ने किया मंथन

आर्थिक विकास के साथ ऊर्जा की जरूरतें बढ़नी स्वाभाविक है। बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के साथ पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना भी एक बड़ी चुनौती है। यही कारण है कि दुनिया भर में स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

By Atul SinghEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 09:26 AM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 09:26 AM (IST)
Hydrogen में छिपी है ऊर्जा के स्वच्छ स्रोत की तमाम संभावनाएं, ISM धनबाद सहित देश विदेश के विशेषज्ञों ने किया मंथन
आर्थिक विकास के साथ ऊर्जा की जरूरतें बढ़नी स्वाभाविक है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

जागरण संवाददाता धनबाद: आर्थिक विकास के साथ ऊर्जा की जरूरतें बढ़नी स्वाभाविक है। बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के साथ पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना भी एक बड़ी चुनौती है। यही कारण है कि दुनिया भर में स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा पर विशेष जोर दिया जा रहा है। आईआईटी आईएसएम के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग तथा अमेरिकन केमिकल सोसाइटी इंटरनेशनल स्टूडेंट चैप्टर के विशेषज्ञों ने क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी के भविष्य पर मंथन किया। इसमें भारत के अलावा नॉर्वे, यूएई, ऑस्ट्रेलिया और यूएसए सहित 350 से भी अधिक विशेषज्ञों ने क्लीन एनर्जी पर चर्चा की। आईआईटी आईएसएम के निदेशक प्रो. राजीव शेखर ने अत्यधिक मांग वाली स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विषयों जिसमें हाइड्रोजन उत्पादन, जैव नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ कोयला रूपांतरण और मेथनॉल अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सरकारी नीतियों पर प्रकाश डाला। केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अरुण कुमार सामंत ने कहा कि भारत में भी पर्यावरण-हितैषी ऊर्जा से जुड़े शोध एवं विकास का कार्य निरंतर प्रगति पर है। ऊर्जा के स्वच्छ स्रोत के रूप में हाइड्रोजन में तमाम संभावनाएं छिपी हुई हैं। इन्हीं संभावनाओं को तलाशने के लिए कई शोध एवं अनुसंधान के कार्य किए जा रहे हैं।आईआईटी दिल्ली के चेयर प्रोफेसर के.के. पंत ने कहा कि न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की पूर्ति के लिए अपने ऊर्जा उपभोग में अक्षय ऊर्जा का अधिक से अधिक मिश्रण भारत की ऊर्जा नीति का अहम हिस्सा है। इसके लिए अन्य स्रोतों के अलावा स्वच्छ ऊर्जा के स्रोत हाइड्रोजन पर विशेष जोर दिया जा रहा है। यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दशकों में एक जलवायु-निरपेक्ष तंत्र के विकास में ऊर्जा स्रोत के रूप में हाइड्रोजन की अहम भूमिका होगी। केमिकल इंजीनियरिंग आईआईटी धनबाद के प्रो. एजाज अहमद ने कहा कि प्रति यूनिट मास की दृष्टि से हाइड्रोजन में ऊर्जा की मात्रा काफी अधिक होती है। यह गैसोलिन (पेट्रोल) की तुलना में तीन गुना अधिक होती है। ऊर्जा जरूरतों के संदर्भ में हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन सेल रूप पूर्व से ही किया जा रहा है। हालांकि, अक्षय हाइड्रोजन को एक कारगर विकल्प बनाने की राह में नई सामग्री के विकास, इलेक्ट्रोलाइट्स, भंडारण, सुरक्षा और मानक निर्धारण जैसी कई चुनौतियां बनी हुई हैं। चूंकि हाइड्रोजन तकनीक ग्लोबल वार्मिंग को घटाने में मददगार हो सकती है, इसीलिए आने वाले दशकों में ऊर्जा के रूप में हाइड्रोजन की हिस्सेदारी बढ़ाने के प्रयास अत्यधिक महत्व रखते हैं।

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आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर एम अली हैदर ने कहा कि हाल के वर्षों में दो पहलुओं ने हाइड्रोजन की वृद्धि में अहम योगदान दिया है। एक तो ऊर्जा स्रोत के रूप में हाइड्रोजन की लागत कम हुई है, और दूसरा यह कि ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन ने तमाम देशों को हाइड्रोजन जैसे विकल्प अपनाने पर मजबूर किया है। यह ऐसा विकल्प है, जो ऊर्जा से जुड़ी तमाम चुनौतियों का तोड़ निकालने में सक्षम है। ऊर्जा की बड़े पैमाने पर खपत करने वाले परिवहन, रसायन, लौह एवं इस्पात जैसे बड़ी ऊर्जा खपत वाले क्षेत्रों को भी इससे बड़ी राहत मिल सकती है। जहां उत्सर्जन घटाने की चुनौती कठिन है। इसके साथ ही, इससे हवा की गुणवत्ता में सुधार और ऊर्जा सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी। इसके अतिरिक्त पावर सिस्टम में लचीलापन भी बढ़ेगा। यह अक्षय ऊर्जा के भंडारण के सबसे किफायती स्रोतों में से एक है, जो बिजली को कई दिनों, हफ्तों और यहां तक कि महीनों तक संचित रख सकता है।

क्या है हाइड्रोजन ऊर्जा

हाईड्रोजन-एक रंगहीन, गंधहीन गैस है, जो पर्यावरणीय प्रदूषण से मुक्‍त भविष्‍य की ऊर्जा के रूप में देखी जा रही है। वाहनों तथा बिजली उत्‍पादन क्षेत्र में इसके नये प्रयोग पाये गये हैं। हाईड्रोजन के साथ सबसे बड़ा लाभ यह है कि ज्ञात ईंधनों में प्रति इकाई द्रव्‍यमान ऊर्जा इस तत्‍व में सबसे ज्‍यादा है और यह जलने के बाद उप उत्‍पाद के रूप में जल का उत्‍सर्जन करता है। इसलिए यह न केवल ऊर्जा क्षमता से युक्‍त है बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है। 


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