SAIL: बोकारो के अभियंताओं ने किया कमाल, साइलो स्टील निर्माण में भारत हुआ आत्मनिर्भर
अनाज के भंडारण सहित अन्य उत्पादित वस्तुओं के भंडारण के लिए बन रहे स्टील साइलो के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले स्टील को अब भारत दूसरे देशों से आयात नहीं करेगा। इस मामले में जल्द ही भारत आत्मनिर्भर हो जाएगा। बोकारो स्टील प्लांट में उत्पान शुरू हो गया है।
बीके पाण्डेय, बोकारो। साइलो के लिए स्टील निर्माण में देश को बड़ी सफलता मिली है। यह कारनामा दिखाया है सेल के बोकारो इस्पात संयंत्र ने। केंद्रीय इस्पात मंत्रालय ने इस्पात कंपनियों को साइलो स्टील में देश को आत्मनिर्भर बनाने की चुनौती दी थी। नतीजा सामने है। बीएसएल ने तीन सौ एमटी साइलो स्टील का उत्पादन कर दिखाया। इतना ही नहीं अगले पांच साल में देश की जरूरत को शत प्रतिशत पूरा कर देने का वादा भी किया है। मतलब, इस विशेष स्टील के लिए भारत को दूसरे देश के सामने हाथ नहीं पसारना होगा। सनद रहे साइलो का उपयोग अनाज के भंडारण के लिए किया जाता है। इसे विशेष प्रकार के स्टील से बनाया जाता है। इस स्टील का उत्पादन अभी तक अपने देश में नहीं होता था। इसे चीन कोरिया सहित अन्य दूसरे इस्पात उत्पादक देशों से मंगाया जाता था। रविवार को सभी प्रकार के परीक्षण से गुजरने के बाद बोकारो स्टील प्लांट के कोल्ड रोलिंग मिल-तीन से 450 जीएसएम की उच्च कोटिंग मोटाई के साथ 350 एमपीए से अधिक यील्ड स्ट्रेंथ वाले उच्च शक्ति वाले गैल्वेनाइज्ड क्वायल विकसित करते हुए 300 एमटी क्वायल का उत्पादन भी कर लिया है। कंपनी ने पहली बार इस ग्रेड को अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार बनाया है।
बोकारो व देश को होगा पांच बड़ा फायदा
आत्म निर्भर भारत अभियान के तहत हाल ही में सरकार ने इस्पात क्षेत्र में रिसर्च एंड डेवलपमेंट करने एवं नए ग्रेड के वैसे इस्पात को बनाने के लिए प्रोत्साहन नीति की घोषणा की है, जिसका कि अब तक हम लोग आयात करते रहे है। इसके लिए सरकार ने प्राथमिक रूप से 3000 करोड़ की राशि भी स्वीकृत किया है। जुलाई में स्पेशल स्टील के लिए प्रोडक्शन-लिक्वड इंसेंटिव (पीएलआइ) योजना शुरू करने के सरकार के फैसले के बाद बोकारो के निदेशक प्रभारी अमरेंदु प्रकाश के नेतृत्व में, बोकारो स्टील प्लांट को स्टील के इस ग्रेड को विकसित करने में सफलता प्राप्त किया है। अब जबकि बोकारो स्टील साइलो के निर्माण के लिए स्पेशल ग्रेड के स्टील का उत्पादन प्रारंभ कर रहा है। लाभ भी बोकारो को ही होगा।
- बोकारो के इस्पात की मांग बढ़ेगी।
- कंपनी को प्रोत्साहन राशि का लाभ मिलेगा।
- साइलो निर्माण करने वाले मझौले इंजीनियरिंग कंपनियों को अब इस ग्रेड के इस्पात का आयात नहीं करना होगा।
- छोटे शहरों में अनाज के भंडारण के लिए साइलो का निर्माण होगा।
- कम समय में साइलो का निर्माण होगा, देश को विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
अनाजों के भंडारण के लिए बनने वाले साइलो में होगा उपयोग
भारत के भौगोलिक विभिन्नता के साथ-साथ मौसम की विविधता को देखते हुए वर्ष 2015 से भारत सरकार ने फूड कारपोरेशन आफ इंडिया को गोदाम बनाने के बजाय साइलो में अनाज भंडारण करने का प्रस्ताव दिया था। इसके तहत देश के अलग-अलग शहरों में साइलो का निर्माण पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के साथ हो रहा है। बिहार के कटिहार में साइलो का निर्माण अदानी ग्रुप ने किया है, जहां लगभग 50 हजार मीट्रिक टन अनाज सुरक्षित रूप से इन साइलो में रखे जाते हैं। चुकी है विशेष इस्पात से बना हुआ होता है इसलिए इसमें बाहर के मौसम का ठंडा, गर्मी या बारिश का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है।
बोकारो के अभियंताओं ने किया कमाल
सरकार की पहल के बाद ईडी वक्र्स अतनु भौमिक ने सीआरएम-तीन, आरएंडसी लैब और सेल की आरडीसीआईएस इकाई की टीम ने कम समय में इसका उत्पादन प्रारंभ कर दिया गया, जिसे रविवार को जारी भी किया गया। विशेष इस्पात को विकसित करने वाली टीम में सीजीएम राजन प्रसाद, पीएस कन्नन, एन मंडल, केके सिंह, महेश सिंह, संतोष कुमार, परिचय भट्टाचार्य, रोसेलिन डोडरे, निखिल प्रताप सिंह, सुनील कुमार, प्रशांत कुमार सिंह, अभिषेक कश्यप सहित अन्य शामिल थे। इस सफलता के लिए निदेशक प्रभारी अमरेन्दू प्रकाश ने बधाई दी है।