शिवानंद को एनडीए में दिख रहा संकट, कहा-यूपीए में नीतीश का स्वागत Dhanbad News
बिहार में राजद जदयू और भाजपा की अपनी अपनी ताकत है। चुनावी राजनीति में जो भी दो सियासी समूह एक साथ आएंगे वे विजयश्री पाएंगे।
धनबाद [अश्विनी रघुवंशी]। राजद के केंद्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के पुराने सहयोगी शिवानंद तिवारी। बिहार के मुखर नेता के नाते सियासत में अलग पहचान। उन्होंने कहा कि बिहार में राजद, जदयू और भाजपा की अपनी अपनी ताकत है। चुनावी राजनीति में जो भी दो सियासी समूह एक साथ आएंगे, वे विजयश्री पाएंगे।
तिवारी ने कहा कि विधानसभा चुनाव में राजद और जदयू ने जीत हासिल की थी तो लोकसभा चुनाव में भाजपा और जदयू ने। आज फिर बिहार की राजनीति करवट ले रही है। यूपीए से अधिक एनडीए में संकट है। सब सही होता तो मोदी सरकार में जद यू के सांसद भी मंत्री होते। उन्होंने कहा कि हम नीतीश कुमार को पकड़कर यूपीए में नहीं लाएंगे। वे खुद हमारे यहां आएंगे तो उन्हें नहीं भगाएंगे। शिवानंद झरिया में नवल किशोर ओझा के आवास पर आए थे। वहां उन्होंने विशेष बातचीत में यह बात कही।
शिवानंद का साफ इशारा था कि विस चुनाव के लिए राजद और जद यू फिर एक साथ आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में जदयू एवं भाजपा की साझा सरकार जरूर है। अभी आरएसएस के लोगों का डोजियर तैयार करने पर जदयू और भाजपा के शीर्ष नेताओं की जुबानी जंग से बहुत कुछ साफ हो जाता है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल विस्तार किया था। भाजपा के किसी भी विधायक को कैबिनेट में जगह नहीं दी गई। बिहार की सियासत में बदलाव शुरू है।
लालू की राजनीतिक विरासत पर कोई संदेह नहीं : शिवानंद ने कहा कि लालू यादव की राजनीतिक विरासत पर कोई संदेह नहीं है। तेजस्वी यादव राजद के अगले नेता हैं। तेज प्रताप यादव पर सवाल टाल गए। बोले- जो लोग वंशवाद की बात करते हैं, वे अपनी कैबिनेट के लोगों को क्यों नहीं देखते। लोजपा का मतलब ही राम विलास पासवान का पूरा खानदान है। देशभर में भाजपा के सांसद एवं विधायकों की सूची देख लीजिए, सबसे ज्यादा वंशवाद वहीं दिखेगा।
आसमान से देखिए तो झारखंड खोदा दिखेगा : शिवानंद ने कहा कि बिहार का बंटवारा हुआ तो दुख हुआ था। आज झारखंड की हालत देख और दुख होता है। हवाई जहाज से देखिए तो पूरे झारखंड खोदा हुआ दिखेगा, जैसे चेहरे पर चेचक के दाग। भाजपा सरकार बनने के बाद उद्योगपतियों को जमीन देने के लिए कितने लोगों की सरकार ने हत्या की है, हजारीबाग से गोड्डा तक। अगर अविभाजित बिहार में यह हुआ होता तो यूएनओ तक मुद्दा बन जाता।
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