Move to Jagran APP

भारतीय टीम में शामिल इस खिलाड़ी ने धनबाद में सीखा क्रिकेट का ककहरा Dhanbad News

भारतीय टेस्ट क्रिकेट में चुने गए ऑफ स्पिनर शाहबाज नदीम ने क्रिकेट का एबीसीडी धनबाद से सीखा है। धनबाद के डिगवाडीह स्टेडियम में क्रिकेट का गुर सीखा और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 01:50 PM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 03:00 PM (IST)
भारतीय टीम में शामिल इस खिलाड़ी ने धनबाद में सीखा क्रिकेट का ककहरा Dhanbad News
भारतीय टीम में शामिल इस खिलाड़ी ने धनबाद में सीखा क्रिकेट का ककहरा Dhanbad News

जागरण संवाददाता, धनबाद: भारतीय टेस्ट क्रिकेट में चुने गए ऑफ स्पिनर शाहबाज नदीम ने क्रिकेट का एबीसीडी धनबाद से सीखा है। शाहबाज का धनबाद से क्रिकेट का गहरा नाता रहा है। महज 11 साल की उम्र में शहबाज ने ए डिविजन का मैच खेला। धनबाद के डिगवाडीह स्टेडियम में क्रिकेट का गुर सीखा और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

loksabha election banner

शाहबाज के पिता जावेद महमूद बिहार के मुजफ्फरपुर रहने वाले हैं। 1998 से 99 के बीच जोड़ापोखर थाना में सर्किल इंस्पेक्टर थे। उस समय रित्विक रुद्रा धनबाद के एसपी थे। इस दौरान डिगवाडीह स्टेडियम में एसपी इलेवन और टाटा जीएम इलेवन के बीच दोस्ताना मैच हुआ था जिसमें शाहबाज ने एसपी इलेवन की तरफ से खेला था। उसमें शाहबाज ने एक विकेट लेकर सबको चौंकाया क्योंकि उस समय वह कक्षा 6 था। शाहबाज के कोच रहे इम्तियाज हुसैन उस वक्त टाटा में नौकरी करते थे। उन्होंने उसकी प्रतिभा को पहचानते हुए कोचिंग दी। इसके बाद शाहबाज ने इंडिगो क्लब की तरफ से 11 साल की उम्र में यह डिविजन खेला। उस वक्त धनबाद क्रिकेट में ए डिवीजन सबसे बड़ा टूर्नामेंट हुआ करता था। इंडिगो क्लब से बी और ए डिविजन खेलने के बाद स्टार क्लब ज्वाइन किया। स्टार क्लब से लंबे समय तक खेला। अभी शाहबाज जियलगोड़ा क्रिकेट एकेडमी से खेलते हैं। धनबाद से खेलते हुए शाहबाज ने झारखंड टीम और फिर भारतीय क्रिकेट टीम का सफर तय किया।

बचपन में पेस बॉलर बनना चाहता था शाहबाज: रांची टेस्ट में साउथ अफ्रीका के खिलाफ भारतीय क्रिकेट टीम में चुने गए लेफ्ट आर्म स्पिनर शाहबाज नदीम शुरुआत में तेज बॉलर बनना चाहते थे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

शाहबाज को कोचिंग दे चुके इम्तियाज हुसैन बताते हैं कि जब वे उनके पास पहली बार आए थे तो पेस बॉलिंग का टेस्ट दिया था। उस वक्त उनके पिता उन्हें कोचिंग देने के लिए लेकर आए थे। शाहबाज तब डिनोबिली डिगवाडीह में छठी क्लास में पढ़ता था। उसने पहली बार तेज बॉलिंग का ट्रायल दिया। उसकी कद काठी को देखते हुए मैंने उसे स्पिन करने का सुझाव दिया। इसके बाद दो साल के भीतर स्पिन की बारीकियां सीख ली। इतने कम समय में कम ही खिलाड़ी सीख पाते हैं। अंतिम बार दो साल पहले वह मेरे पास बैटिंग की ट्रेनिंग लेने आया था, क्योंकि अभी खिलाड़ी के लिए बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग में दक्ष होना जरूरी हो गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.