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एक बैल बेच झुलसी पत्‍‌नी का कराया इलाज, 3 दिन अस्पताल में रही शव ले जाने में दूसरा भी बिका

26 जुलाई को उसकी पत्‍‌नी मौत हो गई लेकिन उसके पास शव घर तक ले जाने को भी पैसे नहीं थे। मृतका का शव तीन दिन तक पीएमसीएच में ही पड़ा रहा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 29 Jul 2017 01:07 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jul 2017 01:07 PM (IST)
एक बैल बेच झुलसी पत्‍‌नी का कराया इलाज, 3 दिन अस्पताल में रही शव ले जाने में दूसरा भी बिका
एक बैल बेच झुलसी पत्‍‌नी का कराया इलाज, 3 दिन अस्पताल में रही शव ले जाने में दूसरा भी बिका

धनबाद, [दिनेश कुमार] । घर में हुए एक हादसे ने जामताड़ा जिले के करमाटांड़ थाना क्षेत्र के बरमुंडी गांव निवासी गरीब आदिवासी बबलू हेम्ब्रम की जिंदगी तबाह कर दी। सप्ताह भर पूर्व आग में उसकी पत्‍‌नी जल गई। बबलू ने अपने दो में से एक बैल बेचकर उसका उपचार भी कराया लेकिन वह बच नहीं सकी।

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26 जुलाई को उसकी मौत हो गई लेकिन उसके पास शव घर तक ले जाने को भी पैसे नहीं थे। मृतका का शव तीन दिन तक पीएमसीएच में ही पड़ा रहा। आखिरकार वह दूसरा बैल बेचकर भी 28 जुलाई को पीएमसीएच आया और पोस्टमार्टम कराकर पत्‍‌नी का शव घर ले गया। बबलू हेम्ब्रम की पत्‍‌नी चुनकी हांसदा (35 वर्ष) सप्ताह भर पूर्व आग में झुलस गई थी। वह घर में खाना बना रही थी। बबलू ने पत्‍‌नी को उपचार के लिए जामताड़ा के स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया। वहां से चुनकी को धनबाद पीएमसीएच रेफर कर दिया गया। पत्‍‌नी को इलाज के लिए धनबाद तक लाने के भी पैसे बबलू के पास नहीं थे। उसे पत्‍‌नी के इलाज के लिए अपने दो में से एक बैल नौ हजार रुपये में बेचने पड़े।

वह पत्‍‌नी को इलाज के लिए पीएमसीएच लेकर आया लेकिन सरकारी अस्पताल में भी इलाज में उसके सारे पैसे खत्म हो गए। बबलू के अनुसार उसे सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में भी पत्‍‌नी के इलाज के लिए सारी दवाएं बाहर से ही खरीदनी पड़ीं। अस्पताल से उसे कोई दवा नहीं मिली। जब सारी राशि खत्म हो गई तब बबलू फिर 26 जुलाई को रुपये के इंतजाम के लिए अपने गांव चला गया। एक अस्पतालकर्मी को उसने पत्‍‌नी की सूचना देने का आग्रह किया और रुपये का इंतजाम करने को घर चला गया। इधर बबलू गांव गया और उधर पत्‍‌नी दुनिया से भी चल बसी।

26 जुलाई की शाम उसकी मौत हो गई। मौत के बाद अस्पताल के कर्मियों ने उसे सूचना दी और अस्पताल आने का आग्रह किया पर वह रुपये का इंतजाम नहीं कर सका। कुछ देर अस्पतालकर्मियों ने परिजनों का इंतजार किया पर कोई नहीं आया तो शव को डीप फ्रीजर में रखवा दिया गया। 26 से लेकर 28 जुलाई तक चुनकी का शव पीएमसीएच में ही पड़ा रहा। बबलू रुपये के इंतजाम और एंबुलेंस के जुगाड़ में जुटा रहा लेकिन कोई मदद नहीं मिली।

आखिरकार 28 जुलाई को शुक्रवार को बबलू पीएमसीएच आया। पत्‍‌नी का शव देखकर उसे काठ मार गया। इसके बाद उसने अपने छोटे भाई को इसकी सूचना दी। बताया कि उसके पास पैसा नहीं है। शव कैसे ले जाएंगे। इसके बाद दूसरे भाई ने आननफानन में उसका दूसरा बैल भी बेच दिया और नौ हजार रुपये लेकर पीएमसीएच पहुंचा। यहां वे एंबुलेंस के मारा मारा फिर रहा था। उससे जामताड़ा जाने के लिए काफी पैसे मांगे जा रहे थे। इस बात की जानकारी झामुमो के कुछ नेताओं को हुई। इसके बाद उन्होंने पीएमसीएच अधीक्षक को फोन किया। जानकारी पाकर पीएमसीएच अधीक्षक डॉ. के विश्र्वास ने शव को जामताड़ा तक ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था कराई। हालांकि इसमें भी काफी देर हुई और परिजनों को शाम तक इंतजार करना पड़ा। जो पैसे थे उससे बबलू ने दवा दुकानदार और अन्य का बकाया चुकाया फिर शाम को शव लेकर जामताड़ा के लिए रवाना हुआ। पीएमसीएच में उसने बताया कि सोचा कि पत्‍‌नी बच जाएगी तो दोनों बच्चों को परेशानी नहीं होगी पर अब वह अकेले बच्चों की देखरेख कैसे कर सकेगा। अब तो उसकी खेती का सहारा बैल भी बिक गया।


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