मतदान दिवस पेड होलीडे देने पर जीएम का रोका सेवानिवृत्ति, बीसीसीएल पर चलेगा राजद्रोह का मुकदामा
चुनाव आयोग के निर्देश पर धनबाद के डीसी के आदेश के आलोक में कंपनी के सीएमडी से संपुष्टि के बाद मतदान के दिन कोयलाकर्मियों के लिए छुट्टी की घोषणा की गई थी।
धनबाद, जेएनएन। बीसीसीएल के रिटायर्ड जीएम कौशल किशोर सिंह ने कंपनी के जीएम कृष्णदेव प्रसाद एवं बीसीसीएल के विरुद्ध अदालत में मुकदमा दर्ज कराया है। उन्होंने कोयला कर्मचारियों को मतदान के संवैधानिक अधिकार से रोकने, जनप्रतिनिधि अधिनियम पर सवालिया निशान उठाने, बदले की भावना से विभागीय कार्रवाई करने और दो लाख रुपये रंगदारी मांगने का आरोप लगाया है। वरीय अधिवक्ता देवी शरण सिन्हा एवं संजीव कुमार पांडेय की दलील सुनने के बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी राजीव रंजन की अदालत ने सुनवाई के लिए मुकदमा स्वीकार कर लिया। अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख निर्धारित कर दी है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि 9 फरवरी 14 को बोकारो एवं 14 दिसंबर 14 को धनबाद, झरिया व सिंदरी में विधानसभा चुनाव था। चुनाव आयोग के निर्देश पर धनबाद के डीसी के आदेश के आलोक में कंपनी के सीएमडी से संपुष्टि के बाद मतदान के दिन कोयलाकर्मियों के लिए छुट्टी की घोषणा की गई थी। कृष्णदेव प्रसाद वर्ष 2015 में विजिलेंस जीएम बने। इसके बाद उन्होंने कौशल किशोर से कहा कि उनके विरुद्ध शिकायत आई है कि उन्होंने मतदान के दिन बीसीसीएलकर्मियों को पेड होलीडे दिया है। 28 फ रवरी 17 को कौशल सेवानिवृत्त हो गए। विभागीय कार्रवाई की बात कह कृष्णदेव ने कौशल किशोर का सेवानिवृत्ति लाभ रोक दिया। आरोप यह भी है कि वे दो लाख रंगदारी की मांग करने लगे। इसकी शिकायत शिकायतकर्ता के पुत्र करुणेश कौशल ने सीएमडी एवं मंत्रालय से भी की थी परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस साल 18 मार्च को आरोपित ने शिकायतकर्ता को धमकी दी कि वे 2 लाख नहीं देंगे तो उन्हें एक रुपया नहीं मिलेगा।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि इसके पूर्व डीपी पर भी इस तरह की कार्रवाई की गई थी परंतु उनका चार्जशीट वापस कर लिया गया था। भोजूडीह कोलियरी में भी अवकाश घोषित किया गया था परंतु किसी को चार्जशीट नहीं किया गया था मगर उनके विरद्ध जानबूझकर चार्जशीट कर सेवानिवृत्ति लाभ रोक दिया गया। अधिवक्ताद्वय ने दलील दी कि बीसीसीएल एवं उनके जीएम ने मतदान के अधिकार से कोयलाकर्मियों को रोकने का प्रयास किया जो राजद्रोह है। देश के जनप्रतिनिधि अधिनियम पर सवालिया निशान उठाना भी राजद्रोह है। उनकी दलील सुनने के बाद मुकदमे को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया।