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स्कूलों को करना होगा सरकार के शुल्क संबंधी आदेश का पालन

शुल्क को लेकर सरकार की ओर से 25 जून 2020 को जारी किए गए आदेश का पूर्ण रूप से पालन करना होगा। यह बात जिला शिक्षा अधीक्षक इंद्र भूषण सिंह ने सोमवार को दिल्ली पब्लिक स्कूल के सभागार में शुल्क को लेकर बुलाई गई बैठक में कही।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 09:29 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 09:29 PM (IST)
स्कूलों को करना होगा सरकार के शुल्क संबंधी आदेश का पालन
स्कूलों को करना होगा सरकार के शुल्क संबंधी आदेश का पालन

धनबाद : शुल्क को लेकर सरकार की ओर से 25 जून 2020 को जारी किए गए आदेश का पूर्ण रूप से पालन करना होगा। यह बात जिला शिक्षा अधीक्षक इंद्र भूषण सिंह ने सोमवार को दिल्ली पब्लिक स्कूल के सभागार में शुल्क को लेकर बुलाई गई बैठक में कही। इस दौरान डीएसई ने कहा कि सरकार का नियम कहता है कि स्कूल अभिभावकों से केवल मासिक शुल्क ही लेगा। वहीं कुछ निजी स्कूलों ने कहा कि शुल्क संबंधित मामला न्यायालय में है। वहीं कुछ स्कूलों ने कहा कि अब तो आफलाइन पढ़ाई शुरू हो गई है। इस पर जिला शिक्षा अधीक्षक ने स्कूलों के इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि न्यायालय ने न तो स्टे लगाया है और न ही अंतरिम आदेश जारी किया है। ऐसे में सरकार का आदेश मान्य है और उसका अनुपालन करना होगा। बावजूद शुल्क को लेकर मनमानी की शिकायत प्राप्त होगी तो कार्रवाई की जाएगी। बैठक में डीईओ व डीएसई ने अभिभावक संघ द्वारा लगातार विभिन्न स्कूलों से जुड़ी विभिन्न मामले में आ रही शिकायतों पर भी चर्चा की।

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बीपीएल कोटे में दाखिले को लेकर कहा कि जिन स्कूलों में सीटें खाली हैं, उसे लाटरी के आधार पर दूसरे अभिवंचित वर्ग के विद्यार्थी का दाखिला लें। वहीं जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रबला खेस ने कहा कि शुल्क संबंधी शिकायत नहीं मिलनी चाहिए। इस दौरान राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण के विषय पर भी स्कूलों से विस्तार से चर्चा की गई। इस दौरान डीइओ ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया कि अभी तक 37 स्कूलों के अपने यहां शुल्क समिति के गठन व शुल्क बढ़ोतरी से संबंधित जानकारी उनके कार्यालय को सौंपी है। बचे हुए स्कूल जल्द सूची सौंपे। स्कूलों ने शुल्क बकाया होने पर जतायी चिंता :

बैठक में कई स्कूलों के प्राचार्यों ने सभी निजी विद्यालयों में अभिभावकों द्वारा काफी शुल्क बकाया होने की बात कहते हुए चिता जाहिर की। साथ ही डीइओ व डीएसई से इस संबंध में दिशा निर्देश जारी करने का आग्रह किया। इस पर डीईओ व डीएसई ने कहा कि अभिभावकों को समय पर कम से कम मासिक शुल्क अवश्य जमा करनी चाहिए। डीएवी जामाडोवा के प्राचार्य ने कहा कि सभी स्कूलों में सैकड़ों अभिभावक ऐसे भी है जिनका बकाया कोविड काल से पूर्व का है। इसका हल कैसे होगा। वहीं सहोदया के चेयरमैन एनएन श्रीवास्तव ने कहा कि शुल्क से संबंधित मामले उच्च न्यायालय में लंबित है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सभी शुल्क लेने के मामले में फैसला दे चुका है कि स्कूल 85 फीसद तक सभी शुल्क ले सकती है, फिर धनबाद जिले में ही इतनी रोक क्यों है। डीएसई ने स्कूलों को बताया शिकायत का समाधान

जिला शिक्षा अधीक्षक इंद्र भूषण सिंह ने कहा कि शुल्क को लेकर जो शिकायत अभिभावक कर रहे हैं उन्हें स्कूल बुलाएं और उनकी काउंसिलिग करें। स्कूलों को यह देखना होगा कि शिकायत करने वाले अभिभावकों की आर्थिक स्थिति कैसी है। उन्होंने गिनिया देवी स्कूल का उदाहरण देते हुए कहा कि शुल्क को लेकर सबसे अधिक 75 शिकायत आई है। इस पर स्कूल के प्राचार्यों ने कहा कि ऐसी स्थिति में विधि व्यवस्था की समस्या खड़ी हो जाएगी। जिसपर डीएसई ने कहा यह स्कूल की समस्या है प्रशासनिक स्तर पर इसका निदान करें। जिला स्तरीय शुल्क कमेटी पर हुई चर्चा :

डीईओ व डीएसई ने प्राचार्यों को आपसी सहमति से दो प्राचार्यों का नाम चयन कर विभाग को सौंपने को कहा। इस पर प्राचार्यों ने कहा कि दो प्राचार्य का नाम चयन कर विभाग को दिया जाएगा। प्राचार्यों ने कहा कि समिति के लिए जिन दो अभिभावकों का चयन किया जाएगा वो अभिभावक भी किसी स्कूल का वास्तविक अभिभावक ही होने चाहिए। बैठक थी शुल्क पर, सुलझाने लगे स्कूल की समस्या :

बैठक में शुल्क संबंधी सरकार के आदेश का अनुपालन कराने की जगह शिक्षा विभाग की ओर से अभिभावकों पर दोषारोपण, शिक्षक-कर्मचारी का वेतन, स्कूल का संचालन सहित स्कूलों की समस्याओं पर चर्चा शुरू हो गई और मुद्दे की बात दब गई। काफी देर बाद जब शिक्षा विभाग को अहसास हुआ तब जाकर शुल्क की बात स्कूलों से की गई। बैठक में दिल्ली पब्लिक स्कूल की प्राचार्या डा. सरिता सिन्हा, डीएवी के प्रचार्य एन एन श्रीवास्तव, राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर के प्राचार्य सुमंत मिश्रा, मदन मोहन मिश्रा, प्रमोद चौरसिया, शारदा महाजन, रविप्रकाश तिवारी, मदन कुमार सिंह, प्रसुन मिश्रा, शैलेंद्र सिंह, पुर्णिमा शील सहित अन्य स्कूलों के प्राचार्य उपस्थित थे।


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