अपने ही यहां पढ़े बच्चों को अब 11वीं में एडमिशन देने से मुकर गए धनबाद के स्कूल
जिस स्कूल में दस साल तक पढ़ाई की उसी स्कूल में आगे पढ़ाई जारी रखने में परेशानी हो रही है। निजी स्कूल दसवीं पास करने वाले अपने ही छात्रों को एडमिशन देने में आनाकानी कर रहे हैं।
आशीष सिंह, धनबाद: जिस स्कूल में दस साल तक पढ़ाई की, उसी स्कूल में आगे पढ़ाई जारी रखने में परेशानी हो रही है। निजी स्कूल दसवीं उत्तीर्ण करने वाले अपने ही छात्रों को एडमिशन देने में आनाकानी कर रहे हैं। ज्यादा विरोध न हो, इसलिए कटऑफ जारी कर दिया है। 60-70 फीसद अंक लाने वाले तो छोडि़ए, यहां तो 80 फीसद तक अंक लाने वाले छात्रों को भी परेशानी हो रही है। स्कूलों के इस कदम से अभिभावक तो परेशान है हीं, छात्रों के मन भी यह चिंता घर कर गई है कि अब उनका एडमिशन कहां होगा।
कटऑफ का खेल शहर के बड़े स्कूलों दिल्ली पब्लिक स्कूल, डीएवी पब्लिक स्कूल कोयला, राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर और धनबाद पब्लिक स्कूलों में धड़ल्ले से चल रहा है। निजी स्कूल 11वीं के एडमिशन में अपने ही स्कूल में दसवीं तक के बच्चों को प्रताडि़त करने में जुट गए हैं। 10 साल तक एक स्कूल में पढऩे के बाद छात्रों का 11वीं में एडमिशन नहीं लिया जा रहा है, जबकि स्कूल का प्रथम दायित्व है कि स्कूल में पढऩे वाले छात्रों का 11वीं में एडमिशन लें। लेकिन निजी स्कूल इस नियम को तोड़ रहे हैं।
साइंस की जगह कॉमर्स लेने पर बना रहे दबाव: शिक्षा विभाग के पास ऐसी कई शिकायतें पहुंच रही हैं, जिसमें छात्रों को साइंस की जगह कॉमर्स संकाय लेकर एडमिशन कराने का दबाव बनाया जा रहा है। दिल्ली पब्लिक स्कूल, डीएवी पब्लिक स्कूल कोयला नगर और राजकमल में 60-70 फीसद अंक लाने वाले छात्र इस समस्या से जूझ रहे हैं। जो छात्र साइंस लेकर पढऩा चाहते हैं उन्हें आर्ट्स या फिर कॉमर्स में एडमिशन दे दिया जा रहा है। अभिभावक व छात्र रोजाना स्कूल का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन स्कूल प्रबंधन सुनने को तैयार नहीं है। स्कूल प्रबंधन तो यहां तक कह दे रहे हैं कि अभी तो कॉमर्स में एडमिशन मिल भी जा रहा है, आगे यह भी नहीं मिलेगा।
छात्र की मर्जी है तो उसी स्कूल में पढ़ाना होगा: दसवीं में जिन छात्रों को 70 या 60 फीसदी तक अंक आए हैं, उन्हें 11वीं में नामांकन के लिए अपने स्कूल में भी दिक्कतें आ रही हैं। नामांकन के लिए उन्हें आवेदन फॉर्म भरने के साथ लिखित परीक्षा देनी होगी। अगर छात्र इसमें पास नहीं करेंगे तो नामांकन नहीं होगा। जबकि सीबीएसई और आइसीएसई बोर्ड का यह नियम कि 10वीं पास करने के बाद अगर छात्र उसी स्कूल से 11वीं की पढ़ाई करना चाहते हैं तो कर सकते हैं। इसके लिए स्कूल छात्रों का अंकों के आधार पर सीधा नामांकन लेगा।
सीबीएसई के नियम
- 10वीं परिणाम के बाद 11वीं में उन्हीं सीटों पर स्कूल नामांकन लेगा, जितनी सीटें खाली रहेंगी।
- अगर कोई छात्र स्कूल खुद से छोड़ता है और जो सीटें खाली रह जाती हैं, उन्हीं पर नामांकन होगा।
- स्कूल पहले अपने छात्रों का नामांकन लेंगे, फिर बाहरी छात्रों का।
- 10वीं में जितने सेक्शन होंगे, उतने ही सेक्शन में भी 11वीं में नामांकन लिए जाएंगे।
"सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में पूर्व में दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा था कि कोई भी निजी स्कूल अपने छात्रों का एडमिशन लेने से इन्कार नहीं कर सकता। बोर्ड की परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन न करने वाले छात्र जिस स्कूल से बोर्ड की परीक्षा पास किए हैं, वे उसी स्कूल में 11वीं में नामांकन के लिए अधिकृत हैं। स्कूल ऐसे छात्रों का नामांकन लेने के लिए बाध्य होगा। अगर ऐसी कोई शिकायत मिलती है तो ऐसे स्कूलों पर शिक्षा विभाग सीधी कार्रवाई कर सकता है। इसके लिए अभिभावक झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण में भी अपील कर सकते हैं।"
- मनोज मिश्रा, महासचिव झारखंड अभिभावक महासंघ
"कुछ निजी स्कूलों द्वारा अपने बच्चों का 11वीं में एडमिशन न लेने की शिकायत मिली है। ऐसे मामलों की जांच कर स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी।"
-डॉ. माधुरी कुमारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी
स्कूलों का कटऑफ
डीएवी पब्लिक स्कूल कोयला नगर
साइंस : 92
कॉमर्स : 85
राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर
विज्ञान : 85
कॉमर्स : 80
दिल्ली पब्लिक स्कूल कार्मिक नगर
विज्ञान : 90
कॉमर्स : 85
धनबाद पब्लिक स्कूल केजी आश्रम
विज्ञान : 70
कॉमर्स : 70
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