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पब्लिक स्कूल नहीं कर सकेंगे किताब, स्कूल ड्रेस और जूते का कारोबार

झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 के माध्यम से प्राइवेट स्कूल के शुल्क संरचना को नियंत्रित करने के लिए हुए विधेयक पास का झारखंड अभिभावक महासंघ ने स्वागत किया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 11:03 AM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 11:03 AM (IST)
पब्लिक स्कूल नहीं कर सकेंगे किताब, स्कूल ड्रेस और जूते का कारोबार

जागरण संवाददाता, धनबाद: झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 के माध्यम से प्राइवेट स्कूल के शुल्क संरचना को नियंत्रित करने के लिए हुए विधेयक पास का झारखंड अभिभावक महासंघ ने स्वागत किया है। इस विधेयक के पास होने से अब न केवल मनमाने शुल्क बढ़ोतरी पर रोक लगेगी, बल्कि ऐसे स्कूल अब पुस्तक, स्कूल ड्रेस और जूते का कारोबार भी नहीं कर सकेंगे।

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विद्यालय प्रबंधन भवन या संरचना या परिसर का उपयोग केवल शिक्षा के उद्देश्य के लिए ही कर सकेंगे। शुल्क निर्धारण के लिए विद्यालय की अवस्थिति, गुणात्मक शिक्षा के लिए छात्रों को उपलब्ध कराई गई संरचना, प्रशासन और रखरखाव पर व्यय, मापदंड के अनुसार शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों के वेतन पर आने वाले खर्च, वार्षिक वेतन वृद्धि के लिए युक्तियुक्त राशि, विद्यालय के कुल आय में से छात्रों का शिक्षा क्षेत्र में विकास, विद्यालय के विस्तार के प्रयोजन के लिए युक्तियुक्त अधिशेष राजस्व आदि तय करना होगा।

शुल्क संरचना निर्धारित करने को बनी तीन स्तरीय कमेटी: इस विधेयक में शुल्क संरचना को निर्धारित करने के लिए तीन स्तरीय कमेटी की व्यवस्था की गई है। प्रथम स्तर पर प्रत्येक विद्यालय में फीस निर्धारण करने को लेकर फीस निर्धारण समिति होगी। निजी विद्यालय में प्रबंधन द्वारा मनोनीत प्रतिनिधि अध्यक्ष व प्रधानाचार्य सचिव होंगे। विद्यालय द्वारा मनोनीत तीन शिक्षक सदस्य होंगे। इसके साथ ही शिक्षक संघ द्वारा नामित चार माता-पिता भी इसके सदस्य होंगे। समिति का कार्यकाल तीन शैक्षणिक वर्षो के लिए होगा। कोई भी अभिभावक सदस्य समिति के सदस्य के रूप में अपने कार्यकाल की समाप्ति के बाद दोबारा मनोनयन के लिए पात्र नहीं होंगे।

उपायुक्त होंगे जिला स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष: दूसरे स्तर पर जिला समिति का गठन किया जाएगा। उपायुक्त इस कमेटी के अध्यक्ष होंगे। जिला शिक्षा पदाधिकारी पदेन सदस्य सह सदस्य सचिव माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के लिए होंगे। जिला शिक्षा अधीक्षक पदेन सदस्य सह सदस्य सचिव प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय के लिए होंगे। जिला परिवहन पदाधिकारी इसके पदेन सदस्य होंगे। अध्यक्ष द्वारा नामित चार्टर्ड अकाउंटेंट इसके सदस्य होंगे। निजी विद्यालय के दो प्राचार्य सदस्य के रूप में अध्यक्ष के द्वारा नामित किए जाएंगे। दो माता पिता सदस्य के रूप में अध्यक्ष के द्वारा ही नामित किए जाएंगे। स्कूल के स्तर पर गठित कमेटी के द्वारा सभी बिंदुओं पर जिसका प्रावधान अधिनियम में किया गया है, उसके अनुसार शुल्क का निर्धारण करेंगे। इसके बाद जिला स्तर पर गठित कमेटी इसका अनुमोदन प्राप्त करेंगे।

निर्णय पर आपत्ति तो दर्ज करा सकेंगे शिकायत: यदि किसी पक्ष या अभिभावक या स्कूल प्रबंधन जिला स्तरीय कमेटी के निर्णय के विरुद्ध आपत्ति है तो झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण के समक्ष शिकायत दर्ज करा सकते हैं। शिकायत के आलोक में आवेदन प्राप्ति की तिथि से 30 दिनों के अंदर अपना निर्णय देना होग।झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण के आदेश से यदि कोई पक्ष या अभिभावक संतुष्ट नहीं है तो न्यायाधिकरण के आदेश के 30 दिनों के अंदर उसके समक्ष पुनर्विचार याचिका देने के बाद न्यायालय अपने निर्णय की समीक्षा कर सकती है या न्यायाधिकरण के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय के समक्ष 90 दिनों के अंदर अपील दायर की जा सकती है। न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए आदेश या निर्णय के 90 दिनों के अंदर आवेदक न्यायाधिकरण के समक्ष आदेश के अनुपालन के लिए आवेदन दायर कर सकेंगे।

महासंघ और कैबिनेट अनुमोदित ड्राफ्ट का होगा तुलनात्मक अध्ययन: अभिभावक महासंघ के महासचिव मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि यह सभी जानकारी कैबिनेट के द्वारा अनुमोदित ड्राफ्ट के अनुसार है। यह जानकारी मिली है कि प्रवर समिति के द्वारा जिला स्तरीय कमेटी में विधायक एवं सासद को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है। संबंधित जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि जो ड्राफ्ट महासंघ ने बनाया था उसमें काफी भिन्नता है। इसे लेकर जल्द ही झारखंड अभिभावक महासंघ की बैठक बुलाई जाएगी, जहां दोनों ड्राफ्ट का तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा। यदि आवश्यकता पड़ी तो संशोधन के लिए भी प्रस्ताव दिया जा सकता है।


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