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मासूम जान से खिलवाड़... भेड़-बकरियों की तरह ढोए जा रहे स्कूली बच्चे Dhanbad News

25 से 30 साल पुरानी स्कूल वैन और बसें धड़ल्ले से बच्चों को स्कूल लेकर जा रही हैं। इनमें 80 फीसद गाडिय़ों के पास फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं है।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 09:31 AM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 09:31 AM (IST)
मासूम जान से खिलवाड़... भेड़-बकरियों की तरह ढोए जा रहे स्कूली बच्चे Dhanbad News
मासूम जान से खिलवाड़... भेड़-बकरियों की तरह ढोए जा रहे स्कूली बच्चे Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। सात दिन पहले की बात है। पंजाब के संगरूर जिले के लोंगोवाल में स्कूली वैन में आग लगने से चार बच्चे जिंदा जल गए। इसमें पहले ही दिन स्कूल जा रही नवजोत भी बैठी हुई थी। नवजोत स्कूल नहीं जाना चाहती थी लेकिन परिजनों ने कहा, स्कूल में खेलने को मिलेगा, झूला भी होगा। मगर बच्ची के हिस्से में मौत आई। आग लगने के कारणों की जांच हुई तो पता चला कि महज 25 हजार में कबाड़ी बाजार से वैन खरीदी गई थी। रिजेक्ट हो चुकी इस वैन ने मासूमों से उनका जीवन छीन लिया। कम लगाकर ज्यादा कमा लेने की मंशा कितनी भारी पड़ सकती है, यह मामला एक उदाहरणभर है। भगवान न करे ऐसा कोई हादसा धनबाद में हो लेकिन यहां के स्कूली वैन की स्थिति भी ठीक नहीं है।

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दैनिक जागरण ने शहर के सभी बड़े स्कूलों में गुरुवार और शुक्रवार को पड़ताल की। इसमें पाया कि 25 से 30 साल पुरानी स्कूल वैन और बसें धड़ल्ले से बच्चों को स्कूल लेकर जा रही हैं। इनमें 80 फीसद गाडिय़ों के पास फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं है। वैन जर्जर हो चुकी हैं, नीचे का हिस्सा जंग खा चुका है, सीटें टूटी-फूटी हैं, टायर इतने पुराने हो चुके हैं कि कभी भी फट सकते हैं, क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाया जा रहा है। अधिकतर बसों में अग्निशमन यंत्र भी नहीं मिला। वैन चालक का नाम क्या है, कहां रहते हैं, कब से वैन चला रहे हैं, लाइसेंस है या नहीं, इसके बारे में भी जानकारी नहीं है। इसका कारण यह है कि किसी भी चालक के पास आइडी कार्ड नहीं मिला। ये स्थिति बेहद खतरनाक है। अभिभावक तो अपने बच्चों को भेजकर निश्चिंत हो जाते हैं मगर बच्चे कितने सुरक्षित हैं, इसका सहज अंदाज लगाया जा सकता है।

  • क्षमता से अधिक लोड लेकर बच्चों की जान से खेल रहे वाहन मालिक

स्थान-डीएवी कोयला नगर

सुबह 8:25 बजे। 

वाहन जेएच 10 क्यू 0995 नंबर की एक धूल उड़ाती तेज रफ्तार वैन रुकी। वैन में सीट क्षमता से अधिक बच्चे बैठे थे। गिनती करने पर 10 बच्चे मिले। बीच में बेंच लगाकर बच्चे बैठाए गए थे। गाड़ी में अग्निशमन यंत्र और फस्र्ट एड किट नहीं दिखा। ड्राइवर प्रदीप यादव से पूछा गया तो उसने बताया कि कभी जरूरत ही नहीं पड़ी। यूनिफॉर्म और परिचय पत्र के बारे में पूछने पर जवाब मिला बनवाया ही नहीं है।

आठ बजकर 30 मिनट

इस बीच जेएच10 बीपी 7003 वाहन का ड्राइवर ब्रेक मारता है। वैन से 10 बच्चे बच्चे उतरते हैं। ड्राइवर देव से अधिक बच्चे बैठाने के बारे में पूछा गया, तो जवाब था साहब परीक्षा चल रही है। इसलिए कम बच्चे हैं। नहीं तो 15-16 बच्चे बैठाकर लाते हैं। बच्चे बैठाकर तेज गाड़ी चलाने के सवाल पर होश उड़ा देने वाला जवाब दिया। कहना था कि इतने में खर्चा निकलता नहीं है। इसलिए दो ट्रिप लगानी पड़ती है। स्कूल खुलने का समय एक ही होता है। 60-70 की रफ्तार से गाड़ी चलाना मजबूरी है।

आठ बजकर 42 मिनट 

जेएच10आर 8349 नंबर का एक खटारा टेंपो बच्चे लेकर आता है। बीच में बेंच लगाकर बच्चों को बैठाया था। हालांकि, वाहन में बच्चों की सुरक्षा के लिए साइड में जाली जरूर लगी थी, लेकिन अग्निशमन यंत्र और फस्र्ट एड किट नहीं मिली। ड्राइवर ने अपना नाम रॉबिन बताया, यूनिफॉर्म नहीं पहने था और न ही परिचय पत्र नहीं दिखा सका। 


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