School Bag Warning System: मुन्ने का बस्ता भारी तो मिलेगा वार्निंग सिग्नल, कीमत भी भारी-भरकम नहीं
School Bag Warning System हर आयु वर्ग के बच्चे का बॉडी मास इंडेक्स और वहन क्षमता अलग होता है। किसी बच्चे को लगातार क्षमता से अधिक वजन उठाना पड़े तो हड्डियों पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
धनबाद [ तापस बनर्जी]। School Bag Warning System आज के दौर में स्कूल जाने वाले बच्चों को बस्ते का बोझ खासा परेशान करता है। बेशक अभी कोरोना काल है। बच्चों का स्कूल बंद है। पर, जब वह खुलेगा तो इस समस्या से उनको फिर दो चार होना होगा। इसका समाधान तलाशा है केंद्रीय खनन एवंं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) धनबाद के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ. कमल शर्मा ने। उन्होंने सहयोगी अपर्णा शी और प्रेम मंडल के साथ मिलकर ऐसा उपकरण बनाया जो स्कूल बैग का वजन मानक से ज्यादा होने पर वार्निंग सिग्नल देगा।
बीएमआइ के आधार पर तैयार किया उपकरण
हर आयु वर्ग के बच्चे का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) अलग होता है, वहन क्षमता भी। किसी बच्चे को लगातार क्षमता से अधिक वजन उठाना पड़े तो हड्डियों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। इस इंडेक्स के आधार पर सेंसरयुक्त उपकरण तैयार किया गया है।
500 से 700 के बीच होगी उपकरण युक्त बैग की कीमत
सेंसर वाला स्कूल बैग आम लोगों को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। इसकी कीमत 500 से 700 रुपये तक होगी। स्कूली बच्चों के लिए तैयार इस बैग का ट्रायल हो चुका है। हालांकि वैज्ञानिक इसका कॉमर्शियल उपयोग नहीं चाहते हैं। स्कूल बैग के लिए बने उपकरण को और बेहतर बनाने के लिए शोध जारी है। ऐसा विकल्प तलाशा जा रहा है जिससे बारिश में भी वह काम करता रहे। उस पर कोई प्रभाव न पड़े।
ऐसे काम करेगा उपकरण
यह उपकरण सेंसर युक्त है। माइक्रो कंट्रोलर से उसे बीएमआइ के आधार पर तय हुए मानक वजन पर सेट किया जाता है। बैग के ऊपर वाले हिस्से में उपकरण लगाया जाता है जिसमें एक छोटी लाइट लगी रहती है। स्कूल बैग का वजन अगर ज्यादा हुआ तो यही लाइट जलने बुझने लगेगी और सिग्नल देगी।
यह होना चाहिए स्कूल बैग का वजन
- कक्षा एक से दो - डेढ़ किलो
- कक्षा तीन से पांच - दो से तीन किलो
- कक्षा छह से सात - चार किलो
- कक्षा आठ से नौ - साढ़े चार से पांच किलो
- कक्षा 10 - पांच किलो
कुछ नया करने के लिए इनोवेशन फॉर सोसाइटी बनी है। इससे वैज्ञानिक, शिक्षक और प्रबुद्ध नागरिक जुड़े हैं। सभी के सहयोग से स्कूल बैग वॉर्निंग सिस्टम तैयार किया गया है। इसे और कारगर बनाने के लिए हमारी टीम रिसर्च कर रही है।
-डॉ. कमल शर्मा, सेवानिवृत्त वैज्ञानिक सह चेयरमैन इनोवेशन फॉर सोसाइटी