दलदली आश्रम में सचिन बाबा को दी गई समाधि, सीएम ने जताया शोक
सचिन बाबा के निधन की सूचना मिलते ही आश्रम में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी।
कालूबथान, जेएनएन। कलियासोल प्रखंड क्षेत्र के धोबाड़ी पंचायत के दलदली गांव के दामोदर नदी किनारे अवस्थित गोकुलानंद मठ दलदली आश्रम के सचिन बाबा का निधन बुधवार तड़के आसनसोल थाना क्षेत्र के गोपालपुर में हो गया। उनके पाíथव शरीर को भक्तों के दर्शन के लिए 8.30 बजे सुबह दलदली आश्रम लाया गया। बाबा के निधन की सूचना मिलते ही आश्रम में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी। दिन के 12 बजे तकहजारों की संख्या में झारखंड, बंगाल के भक्त बाबा का अंतिम दर्शन करने जुट गए। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कालूबथान पुलिस के साथ जिला से महिला एवं पुरुष पुलिस बल मंगवाना पड़ा। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने दलदली आश्रम (कलियासोल) गोकुल मठ के निर्माता सचिन बाबा के निधन पर शोक जताया है।
सूचना पाकर संसद पीएन ¨सह, निरसा विधायक अरूप चटर्जी, झामुमो नेता अशोक मंडल, पूर्व मंत्री सह भाजपा बंगाल महिला मोर्चा प्रभारी अपर्णा सेनगुप्ता, जिप अध्यक्ष रोबिन गोराई, मुखिया अनिता गोराई सहित विभिन्न दलों के नेता व अधिकारी बाबा के अंतिम दर्शन को पहुंचे।
यह है बाबा का जीवनी : बाबा का जन्म वर्ष 1927 के अक्टूबर माह में दीपावली के दिन दलदली गांव में हुई थी। उनके पिता उपेंद्रनाथ गुरु टाटा कंपनी जमशेदपुर में फोरमैन के पद पर कार्यरत थे। माता किनुरी देवी गृहिणी थी। बाबा ने प्राथमिक शिक्षा जमशेदपुर में प्राप्त की। सातवीं से मैट्रिक तक की पढाई निरसा उत्तर क्षेत्र के उच्च विद्यालय पोद्दारडीह में की। इंटर की पढाई जीडी लेक कॉलेज पुरूलिया जिला के रघुनाथपुर में करने के बाद दलदली मध्य विद्यालय में शिक्षक की नौकरी करने लगे। मध्य विद्यालय कलियासोल में भी एक साल शिक्षक की नौकरी की। सरकारी नौकरी रहने के बावजूद उन्होंने कभी वेतन नहीं उठाया। वर्ष 1966-67 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी व घर चले आए। घर-परिवार में उनका मन नहीं लगने के कारण उन्होंने शादी नहीं की। नौकरी छोड़ने के कुछ ही दिनों के बाद वह बिना किसी को बताए पंचकोटी पहाड़ के नाम से प्रसिद्ध पंचेत पहाड़ में साधना के लिए चले गए। एक माह के बाद सूचना मिलने पर परिवार के लोग एवं ग्रामीण उन्हें साथ लेकर गांव आए। कुछ दिनों बाद उन्होंने अदाड़ीनाथ बाबा भैरव के नाम से बने मंदिर में साधना शुरू की। बाद में नदी किनारे जंगल में राधा वनमालीपुर में तपस्या की व सिद्धि प्राप्त की।
भक्तों की मानें तो बाबा के 16 नाम 32 अक्षर में ही भगवान विराजमान हैं। हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे इसका गुणगान करने एवं बाबा के दर्शन से ही शरीर के सारे कष्ट धुल जाते हैं एवं जीवन की कोई भी कठिनाई से मुक्ति मिल जाती है।
24 साल पहले की बात है संगीत शिक्षक आकुल सरदार के पुत्र उत्तम सरदार को असाध्य बीमारी हो गई। आíथक स्थिति ठीक नहीं रहने पर इलाज नहीं हो पाया था। उत्तम लगभग मौत के मुंह में जा चुका था। आकुल सरदार बाबा के चरणों में अपने पुत्र को रखकर कृष्ण नाम में लीन हो गए। तभी देखा कि उनका पुत्र खेल रहा है।
गांव के मूकबधिर लड़का सर¨बदु चटर्जी को बाबा ने ही बोलना सिखाया। बाबा के भक्त झारखंड सहित बंगाल, बिहार, ओडिशा व अन्य कई राज्यों में है। बाबा जात-पात, अमीर-गरीब में भेदभाव नहीं करते थे।
उरमा के खराडीह निवासी कुर्बान अंसारी उनके बालसखा थे। और दोनों एकसाथ धर्म की चर्चा करते थे। उनकी निधन की खबर पाकर मुस्लिम समुदाय के लोग भी दर्शन को उमड़े।
आश्रम के बीच में बनेगी बाबा की समाधि : आश्रम के शिष्यों व बाबा के परिजनों ने आश्रम में बैठक कर निर्णय लिया कि एक तरफ हरि मंदिर, दूसरी तरफ मां कात्यायनी मंदिर तीसरी तरफ विग्रह मंदिर व बीचों बीच बाबा को समाधि दी जाएगी, ताकि बाबा हमेशा हमारे साथ रहें। बुधवार रात 7.30 बजे बाबा की अंतिम यात्रा निकाली जाएगी। यह गांव के कुलदेवता मंदिर, कात्यायनी मंदिर, राधा वनमालीपुर, जपघर, अदाड़ीनाथ मंदिर का भ्रमण कराते हुए आश्रम के बीचों बीच पहुंचेगी। वहां रात 10.30 बजे से 12 बजे तक समाधि की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। समाधि के बगल में मंदिर का निर्माण करने का निर्णय लिया गया। मंदिर में बाबा का आभूषण, कपड़ा एवं उनके उपयोग के सामान को रखा जाएगा।
सभी दलों के नेता बाबा से लेते थे आशीर्वाद : निरसा विधानसभा व लोकसभा चुनाव में खड़े होने वाले विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता चुनाव से पूर्व बाबा का आशीर्वाद लेने दलदली पहुंचते थे। जब पहली बार रीता वर्मा भाजपा की उम्मीदवार बनीं तो उन्होंने सर्वप्रथम बाबा के आश्रम में पहुंचकर आशीर्वाद लिया था। इसके अलावा पीएन ¨सह, अरूप चटर्जी, अशोक मंडल सहित कई नेताओं ने चुनाव लड़ने से पूर्व बाबा से आशीर्वाद लिया था