सब्जियों में रासायनिक रंगों का हो रहा इस्तेमाल
झरिया बाजार में ऊपर से चमकने वाली सब्जियों से लोगों को सावधान होने की जरूरत है। ऐसा इसलि
झरिया : बाजार में ऊपर से चमकने वाली सब्जियों से लोगों को सावधान होने की जरूरत है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि झरिया बाजार में खतरनाक रासायनिक रंगों से रंगी सब्जियां बेधड़क बिक रही हैं। ऐसी सब्जियों के खाने से लोगों में कई तरह की बीमारियां हो सकती है। सब्जियों को झरिया की सब्जी मंडी में हर दिन रंगा जाता है। इसके बाद इसे बिक्री की जाती है। शनिवार की सुबह भी सब्जी पट्टी की दुकानों में खीरा, करेला, पटल, कागजी नींबू, भिडी, आदि सब्जियों में चमक लाने के लिए रासायनिक रंगों का प्रयोग कर बासी सब्जियों को ताजा कर उसे थोड़ी सस्ती कीमत में बेच गया। सब्जियों में इतनी चमक कैसे आई। इस सवाल का जवाब दुकानदारों ने नहीं दिया। दुकानदार हर दिन सब्जियों को रंगने के लिए सुबह में मेलाकाइट ग्रीन नामक खतरनाक केमिकल का प्रयोग करते हैं। एक व्यापारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ग्राहकों को चमक वाली सब्जी ही पसंद आती है। ग्राहकों की पसंद को देखते हुए सब्जियों को रंगा जाता है। थोड़ा सा रंग से ही एक टोकरी सब्जियां रंग जाती है।
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सेब से महंगा हुआ प्याज, आलू भी दे रहा उसका साथ :
दुर्गापूजा के समय थोक व खुदरा बाजारों में प्याज के दाम हमेशा कम हो जाते थे। इस वर्ष सेब से भी महंगा प्याज खुदरा और थोक मंडियों में बिक रहा है। आलू भी प्याज के पीछे-पीछे चलते जा रहा है। थोक आलू-प्याज मंडी के व्यापारी अमित कुमार ने बताया कि इस वर्ष दक्षिण भारत व नासिक में प्याज की उपज नहीं होने से मध्य प्रदेश से प्याज आ रहा है। इसलिए यह महंगा है। थोक मंडी में प्याज 64 से 66, लाल आलू 36 से 38, सादा आलू 30 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहे हैं। खुदरा मंडी में प्याज 75 से 80, लाल आलू 40 से 44, सादा आलू 32 से 34 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहे हैं। खुदरा व्यापारियों की मानें तो आवक कम होने से ही इनके भाव आसमान छू रहे हैं। आवक बढ़ने से इनके भाव नरम हो सकते हैं।